भारत में 50 लाख मौतें: अभी-अभी आई ये बड़ी खबर, सांसद ने किया ये दावा

Coronavirus in India : वर्तमान में लगातार बढ़ रहे कोरोना के मामले केंद्र सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है।

Newstrack :  Network
Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2021-12-01 10:13 GMT

रूस में कोरोनावायरस का बढ़ता खतरा (फोटो- सोशल मीडिया)

Coronavirus in India : देश में कोरोना महामारी ने वापस से अपने पैर पसारने शुरू कर दिए। वर्तमान में लगातार बढ़ रहे कोरोना के मामले केंद्र सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है। पहले की अपेक्षा लोग ना तो मास्क का उपयोग कर रहे हैं और ना ही कोविड के खिलाफ नियमों का पालन कर रहे हैं, ऐसे में निकटतम भविष्य में हालात और अधिक बेकाबू होने के आसार जन्म ले रहे हैं।

ऐसे में पक्ष-विपक्ष के नेता आपसी खींचातानी के चलते एक दूसरे को गलत ठहराने पर तुले हुए हैं। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान तो जैसे एक दूसरे को गलत साबित करने की होड़ सी लग गई है। अब ऐसे में दोनों अपना-अपना पक्ष मजबूत करने की कोशिश में लगे हुए हैं।

दरअसल मामला ऐसा है कि बुधवार को संसद के शीतकालीन सत्र में राज्यसभा के नेता विपक्ष और कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार द्वारा जारी देश में कोरोना से हुई मौतों के सरकारी आंकड़ों पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि-"पिछले 2 वर्षों में कोविड 19 के कारण 50 लाख से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवाई लेकिन सरकार के अनुसार केवल 4 लाख लोगों की वायरस के कारण मृत्यु हुई।

क्या है आधिकारिक आंकड़ा?

अगर भारत सरकार स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी कोरोना मामले और मरीजों के आंकड़ों की ओर देखें तो यह आंकड़ा राज्यसभा नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आंकड़ों से बिल्कुल भी मेल नहीं खाता है।

भारत सरकार द्वारा जारी सरकारों आंकड़ों के अनुसार देश में अबतक कोरोना के चलते 4.69 लाख मौतें हो चुकी हैं वही मल्लिकार्जुन के मुताबिक देश में अबतक कोरोना से 50 लाख मौतें हो चुकी हैं।

मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार और सरकारी आंकड़ों पर अपना संदेह व्यक्त करते हुए कि सरकार सही आंकड़ों को छुपाकर झूठे आंकड़ें प्रस्तुत कर जनता को भ्रमित कर रही है।

हालांकि मल्लिकार्जुन खड़गे के आरोपों में कितनी सच्चाई है इसका कोई भी सबूत उपलब्ध नहीं है और फिलहाल हमारे और देश के जनता के पास सरकार द्वारा जारी सरकारी आंकड़ों को मानने से बेहतर कोई विकल्प भी मौजूद नहीं है।

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