कब थमेगा कोरोना का कहर, क्या कहते हैं वैज्ञानिक, क्या है हमारी जिम्मेदारी
कोरोना की दूसरी लहर घातक मारक क्षमता से सभी परेशान हैं। मौजूदा दौर में हर एक के जेहन में बस एक सवाल है कि आखिर कब तक..कब थमेगा कोरोना का कहर...अभी कितनी जानें और लेगा ये घातक वायरस।
लखनऊ: कोरोना की दूसरी लहर घातक मारक क्षमता से सभी परेशान हैं। मौजूदा दौर में हर एक के जेहन में बस एक सवाल है कि आखिर कब तक... कब थमेगा कोरोना का कहर... अभी कितनी जानें और लेगा ये घातक वायरस। ऐसे में आईआईटी कानपुर की मैथेमेटिकल रिसर्च महत्वपूर्ण है और लोगों को दिलासा देने वाली है कि यूपी में 30 अप्रैल के बाद कोरोना की लहर धीमी पड़ने लगी है। आइए देखते हैं दूसरे विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने इस बारे में क्या अनुमान लगाए हैं।
कानपुर आईआईटी के प्रोफेसर मणीन्द्र अग्रवाल की रिसर्च कहती है कि कोरोना का यूपी में कोरोना का पीक 20 से 25 अप्रैल के बीच आएगा और रोज लगभग 30 हजार मामले आएंगे। उनके अनुसार इसके बाद थोड़ा बहुत उतार चढ़ाव के साथ 30 अप्रैल के बाद से कोरोना के मामले घटना शुरू हो जाएंगे।
जबकि इससे पहले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के शोधकर्ताओं की टीम ने आशंका जताई थी कि देश में अप्रैल के मध्य में कोरोना की दूसरी लहर की पीक आ सकती है। उन्होंने लगभग 25 लाख लोगों के इस लहर की चपेट में आने की आशंका जताई थी। विशेषज्ञों के अनुमान के मुताबिक यह लहर कम से कम 100 दिनों की हो सकती है, यानी इसकी शुरुआत अगर फरवरी से मान ली जाए तो इसका असर मई-जून तक देखने को मिल सकता है।
हालांकि इससे पहले भी सरकार द्वारा नियुक्त वैज्ञानिक कमेटी ने पिछले साल अक्टूबर में कहा था कि भारत में कोविड -19 महामारी अपने चरम यानी पीक को पार कर गई है और फरवरी 2021 में महामारी समाप्त होने की संभावना है। इस कमेटी में आईआईटी व आईसीएमआर के वैज्ञानिक शामिल थे।
आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने मार्च के अंत में फरवरी में तेजी से कोरोना के बढ़ने पर कहा था कि कोरोना की दूसरी लहर समय से पहले आ गई है। इसलिए हम सबको सचेत रहने की जरूरत है। इसका असर मई तक रहने की संभावना है।
जबकि लांसेंट जर्नल की रिपोर्ट को आधार मानें तो आने वाले दो महीनों के अंदर यानी जून के पहले सप्ताह में ही हर दिन देश में कोरोना से मरने वालों की संख्या 2500 हो सकती है। जर्नल का दावा है कि कोरोना संक्रमण हवा के जरिए तेजी से फैल रहा है। ऐसे में सुरक्षा प्रोटोकॉल में तत्काल बदलाव लाने की जरूरत है।
इसलिए वैज्ञानिकों की शोध अपनी जगह है लेकिन सभी को कोरोना की गाइडलाइन का सख्ती से पालन लंबे समय तक करना होगा। अगर ढिलाई बरती तो इससे भी कहीं तेजी से फैलेगा कोरोना।