हाईकोर्ट का बीमा कंपनियों को आदेश, 1 घंटे में पास करें कोरोना मरीजों का बिल

कोर्ट ने बीमा कंपनियों (Insurance Companies) को कोविड-19 मरीजों के बिल 30 से 60 मिनट में पास करने का आदेश दिया है।

Newstrack Network :  Network
Published By :  Shreya
Update:2021-04-29 12:15 IST

दिल्ली हाईकोर्ट (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) में कोरोना वायरस (Corona Virus) का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। रोजाना रिकॉर्ड तोड़ मामले सामने आ रहे हैं। इस बीच बुधवार को यहां कोविड-19 के 25,986 नए मामलों (Covid-19 New Cases) की पुष्टि हुई है, जबकि इस दौरान कोरोना के चलते 368 लोग अपनी जान गंवा दी। राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी स्वास्थ्य बुलेटिन के मुताबिक, नए मामलों के बाद राजधानी में कुल मामलों की संख्या 10,53,701 हो गई है।

दिल्ली में लगातार कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या बढ़ने से अस्पतालों में बेड्स से लेकर ऑक्सीजन जैसे जरूरी चीजों की कमी होने लगी है। इस बीच दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने कोरोना मरीजों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने बीमा कंपनियों (Insurance Companies) को कोविड-19 मरीजों के बिल 30 से 60 मिनट में पास करने का आदेश दिया है, जिससे मरीजों को डिस्चार्ज करने में देरी न हो और इससे दूसरी मरीजों के लिए जगह जल्दी खाली हो सके।

बीमा (सांकेतिक फोटो साभार- सोशल मीडिया)

कोर्ट ने दी ये चेतावनी

हाईकोर्ट के इस फैसले से कोरोना मरीजों को अब अस्पतालों में खाली बेड के लिए ज्यादा देर तक इंतजार नहीं करना होगा। अदालत ने चेतावनी दी कि अगर बिल पास करने में ज्यादा समय लिया गया तो अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट ने कहा अगर किसी बीमा कंपनी या थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर (TPA) प्रोसेसिंग इंश्योरेंस क्लेम के बिल क्लियर करने 6-7 घंटे का समय लेने की जानकारी मिलती है तो उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी।

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा अस्पतालों से अनुरोध मिलने के बाद बीमा कंपनियों या टीपीए को बिलों को मंजूरी देने में 30 से 60 मिनट से अधिक समय नहीं लगाना चाहिए। इस मामले में बीमा नियामक IRDAI को निर्देश जारी करने के लिए कहा गया है।

कोरोना जांच कराती महिला (फोटो -न्यूजट्रैक)

अस्पताल प्रबंधकों को दिया ये आदेश

इसके साथ ही कोर्ट ने अस्पताल प्रबंधकों को निर्देश दिया है कि मरीज के डिस्चार्ज होने का इंतजार किए बिना ही नए मरीजों की भर्ती प्रक्रिया जारी रखे, ताकि मरीज द्वारा बेड खाली होने पर बिना किसी देरी दूसरे पेशेंट को बेड दिया जा सके।

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