Modi Cabinet: केंद्र में भाजपा सहयोगी दलों का बढ़ेगा दबदबा, इन नेताओं के लिए मोदी कैबिनेट में बड़ा मौका
Modi Cabinet : मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार पर चर्चा जारी है। मैनेज रहा है कि भाजपा इस बार अपने सहयोगी दलों के नेताओं को मोदी कैबिनेट में शामिल करेगी।
Modi Cabinet: केंद्र में मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार (Modi Cabinet Expand) की कवायद तेज हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi)ने सोमवार की रात भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा BJP President JP Nadda)के अलावा केंद्रीय मंत्रियों अमित शाह (Amit Shah), राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) और नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) के साथ महत्वपूर्ण बैठक (BJP Meeting) की। इस बैठक को केंद्रीय मंत्रिमंडल में संभावित फेरबदल और मंत्रियों के कामकाज के आकलन से जोड़कर देखा जा रहा है।
शिवसेना और अकाली दल के एनडीए गठबंधन (NDA Alliance) छोड़ने के बाद मोदी सरकार (Modi Govt) में सहयोगी दलों का प्रतिनिधित्व भी नाममात्र का ही बचा रह गया है। सहयोगी दलों के नाम पर मात्र रिपब्लिकन पार्टी के रामदास अठावले ही मोदी सरकार में मंत्री हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि मोदी सरकार के संभावित विस्तार में जदयू, अपना दल और अन्नाद्रमुक के साथ ही लोजपा से टूटे हुए नए घड़े को भी मोदी सरकार में मौका मिलेगा।
कई दिनों से मंत्रणा में जुटे हैं पीएम मोदी
2019 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद अभी तक मोदी सरकार का एक बार भी विस्तार नहीं हुआ है। ऐसे में पहले विस्तार के लिए पिछले कई दिनों से वरिष्ठ नेताओं के बीच मंथन का दौर चल रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बैठक की थी।
शनिवार को भी पीएम मोदी की केंद्रीय कैबिनेट के कई मंत्रियों के साथ बैठक हुई थी और इन मंत्रियों ने अपने अपने मंत्रालयों का प्रजेंटेशन दिया था। जानकारों के मुताबिक पीएम मोदी अपने मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा भी कर रहे हैं।
डेढ़ दर्जन मंत्रियों को मिल सकता है मौका
मौजूदा समय में मोदी सरकार में 22 कैबिनेट, 9 स्वतंत्र प्रभार और 29 राज्य मंत्री हैं। इस तरह मंत्रियों की कुल संख्या 68 है जबकि केंद्रीय मंत्रिमंडल में पीएम सहित अधिकतम 82 मंत्री बनाए जा सकते हैं। ऐसे में मोदी मंत्रिमंडल में अभी भी 22 मंत्रियों के पद खाली है। जानकारों के मुताबिक मंत्रिमंडल विस्तार में करीब डेढ़ दर्जन नए मंत्रियों को मौका दिया जा सकता है।
मोदी सरकार के विस्तार की कवायद इसलिए भी तेज कर दी गई है क्योंकि शिवसेना और अकाली दल से गठबंधन टूटने और कई नेताओं के निधन के कारण करीब आधा दर्जन मंत्रियों पर काम का काफी ज्यादा बोझ है। जानकारों का कहना है कि इसी कारण कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों का काम संभालने वाले मंत्री अपने काम पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पा रहा हैं।
सहयोगी दलों को जोड़ने की तैयारी
कोरोना महामारी के कारण पीएम मोदी चाहकर भी काफी समय से अपने मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं कर पाए हैं। कोरोना की दूसरी लहर के कमजोर पड़ने के बाद अब मंत्रिमंडल विस्तार की कवायद तेज कर दी गई है। इस बार के विस्तार में सहयोगी दलों को भी जोड़ने की विशेष तैयारी है। पीएम मोदी सहयोगी दलों को जोड़ने के विशेष इच्छुक हैं ताकि देश और विपक्ष को एनडीए की एकजुटता का बड़ा सियासी संदेश दिया जा सके। सियासी जानकारों के मुताबिक इसी कारण सहयोगी दलों को इस बार पहले से ज्यादा मौका दिया जा सकता है।
बिहार में भाजपा जदयू के साथ मिलकर सरकार चला रही है और जदयू पूर्व में सरकार में शामिल होने से मना करता रहा है। अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जदयू नेताओं को मंत्रिमंडल में लेने पर अपनी रजामंदी जता दी है। इस कारण मंत्रिमंडल विस्तार में जदयू को उचित प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है।
अन्नाद्रमुक और अपना दल पर भी नजर
जदयू के अलावा तमिलनाडु की बड़ी सियासी ताकत माने जाने वाले अन्नाद्रमुक को भी केंद्र सरकार में शामिल करने की तैयारी है। तमिलनाडु में हाल में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अन्नाद्रमुक के साथ मिलकर किस्मत आजमाई थी। हालांकि इस गठबंधन को द्रमुक-कांग्रेस के गठबंधन के सामने हार का मुंह देखना पड़ा मगर अब मोदी अन्नाद्रमुक को भी केंद्र सरकार मैं मौका देने की तैयारी में जुटे हुए हैं।
उत्तर प्रदेश में भाजपा के सहयोगी अपना दल को भी मंत्रिमंडल विस्तार में जगह दी जा सकती है। पिछले दिनों अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। जानकारों के मुताबिक इस दौरान अनुप्रिया ने मोदी सरकार में जगह देने की मांग की थी। उन्होंने उत्तर प्रदेश में भी अपने पति आशीष पटेल के लिए मंत्री का पद मांगा था। उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए अपना दल को भी मोदी कैबिनेट में जगह देने की तैयारी है।
लोजपा के नए धड़े को होगा फायदा
सूत्रों के मुताबिक चिराग पासवान के खिलाफ बगावत करके अलग होने वाले लोक जनशक्ति पार्टी के नए धड़े को भी मोदी सरकार में मौका देने की तैयारी है। लोजपा के छह सांसदों में से पांच सांसदों ने अलग ग्रुप बना लिया है और इस ग्रुप को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने की मान्यता दे दी है। हाजीपुर से सांसद पशुपति कुमार पारस को इस ग्रुप का नेता चुना गया है।
लोजपा में हुई टूट के बाद पार्टी के नेता चिराग पासवान पूरी तरह अलग-थलग पड़ चुके हैं। बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए के प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लड़ने के बाद चिराग के खिलाफ पार्टी में काफी नाराजगी थी और इसी कारण अब लोजपा में टूट हुई है। लोजपा नेताओं को मौका देकर भाजपा उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में दलित वोटों पर भी निशाना साधना चाहती है।
सिंधिया और सोनोवाल के नाम भी चर्चा में
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने वाले और मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनवाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी मंत्रिमंडल विस्तार में महत्वपूर्ण विभाग मिलने की संभावना है। सिंधिया के कई समर्थकों को मध्यप्रदेश में शिवराज चौहान मंत्रिमंडल में शामिल किया जा चुका है मगर खुद सिंधिया को अभी तक कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई है। माना जा रहा है भाजपा का शीर्ष नेतृत्व उन्हें इस विस्तार में जरूर एडजेस्ट करेगा।
असम में भाजपा की सत्ता में वापसी के बावजूद इस बार सर्बानंद सोनोवाल की जगह हिमंत बिस्वा सरमा को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है। सोनोवाल की अगुवाई में इस बार भाजपा राज्य में अपनी सरकार बनाए रखने में कामयाब रही है मगर उन्हें मुख्यमंत्री का पद नहीं मिल सका। माना जा रहा है कि सोनोवाल भी इस विस्तार में मंत्री पद का तोहफा पा सकते हैं।