लॉकडाउन के दो साल: कोरोना की तीन लहरों ने बदल डाला जीवन, दूसरी ने मचाई थी जबर्दस्त तबाही

Two years since lockdown: देश में महामारी के दो साल पूरे हो चुके हैं मगर अभी तक सबकुछ पहले की तरह सामान्य नहीं हो सका है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Monika
Update: 2022-03-24 05:24 GMT

लॉकडाउन के दो साल  ((Photo- Ashutosh Tripathi- Newstrack)

Two years since lockdown: कोरोना महामारी (Coronavirus) के कहर को रोकने के लिए दो साल पहले आज ही के दिन पूरे देश में लॉकडाउन (Lockdown) लगाया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने इस महामारी से देशवासियों की रक्षा के लिए 21 दिन के पूर्ण लॉकडाउन का ऐलान किया था। माना जा रहा था कि 21 दिनों के इस लॉकडाउन के बाद इस मारामारी पर विजय हासिल करने के साथ ही सबकुछ सामान्य हो जाएगा मगर बाद में सरकार लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने पर मजबूर हो गई थी।

देश में महामारी के दो साल पूरे हो चुके हैं मगर अभी तक सबकुछ पहले की तरह सामान्य नहीं हो सका है। इस महामारी के कारण काफी संख्या में लोगों की जान चली गई जबकि करोड़ों लोगों का रोजगार पूरी तरह चौपट हो गया। पिछले दो वर्षों के दौरान देश में कोरोना की तीन लहरें आ चुकी है। इन लहरों में दूसरी लहर अभी तक सबसे जानलेवा साबित हुई है और अब चौथी लहर की भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं।

लॉकडाउन के दो साल

कई देशों में बड़े केस मगर भारत में राहत

भारत के लिए राहत की सबसे बड़ी बात यह है कि मौजूदा समय में देश में कोरोना के कम केस दर्ज किए जा रहे हैं और कई राज्यों में प्रतिबंधों से पूरी तरह ढील दी गई है। हालांकि यह भी सच्चाई है कि दुनिया के कई अन्य देशों में हाल के दिनों में कोरोना के केसों में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। चीन, हांगकांग, दक्षिण कोरिया और वियतनाम समेत कई देशों में कोरोना के बढ़ते केसों के कारण फिर से कड़े कदम उठाने पड़े हैं।


देश में कोरोना के केसों की घटती संख्या के कारण ही केंद्र सरकार की ओर से घोषणा की गई है कि 31 मार्च से डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट लागू नहीं होगा। वैसे सरकार की ओर से सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की हिदायत भी दी गई है। देश में वैक्सीनेशन का अभियान काफी तेजी से चलाया गया है और अब तक आबादी के बड़ी संख्या को वैक्सीन की दोनों डोज लगाई जा चुकी है। इसी कारण केंद्र सरकार की ओर से अब प्रतिबंधों में ढील दी गई है।

लॉकडाउन के दो साल

पहली लहर में हुआ था सबसे ज्यादा पलायन

पिछले दो वर्षों के दौरान कोरोना की तीन लहरों के कारण देश के लाखों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। 3 मार्च को शुरुआत के बाद पहली लहरर 16 सितंबर 2020 को पीक पर पहुंची थी और इस दौरान ही देश में सबसे ज्यादा लोगों का पलायन हुआ। ट्रेनों और परिवहन के साधन न मिलने के कारण काफी संख्या में लोग सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर ही अपने घर पहुंचने के लिए मजबूर हो गए थे।


कोरोना की दूसरी लहर सबसे ज्यादा जानलेवा साबित हुई और पिछले साल अप्रैल और मई महीने के दौरान काफी संख्या में लोग कोरोना की वजह से मौत का शिकार हुए। इस दौरान काफी दर्दनाक नजारा दिखा और देश के विभिन्न श्मशान घाट लाशों से पट गए जबकि नदियों में भी काफी संख्या में शव प्रवाहित किए गए। अस्पतालों के बाहर तड़पते मरीज दिखे तो देशभर के अस्पतालों में ऑक्सीजन की जबर्दस्त मारामारी मची रही।

लॉकडाउन के दो साल

कोरोना के साथ जीना होगा जीवन

पिछले साल के आखिर में ओमिक्रॉन वेरिएंट कोरोना की तीसरी लहर का कारण बना। जब देश में सबकुछ सामान्य हो रहा था तभी इससे वेरिएंट ने दस्तक दी और उसके बाद फिर देश के विभिन्न राज्यों में सख्ती से तमाम बंदिशें लागू कर दी गईं। हालांकि इस लहर के दौरान रिकवरी रेट काफी अच्छा था और ज्यादा लोगों की मौत नहीं हुई।


दूसरी लहर में काफी संख्या में लोगों की मौत के कारण लोगों में दहशत जरूर दिखी मगर राहत की बात यह रही कि यह वेरिएंट ज्यादा जानलेवा नहीं साबित हुआ। अब देश में चौथी लहर की चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं और तमाम स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि लोगों को कोरोना के साथ ही जीने के लिए अभ्यस्त होना होगा।

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