फिर वैक्सीनेशन की पॉलिसी बदली, अब पूरी तरह केंद्र के हाथ में रहेगी व्यवस्था

कोरोना महामारी के बीच भारत की वैक्सीन पालिसी तीसरी बार फिर बदल गई है।

Reporter :  Neel Mani Lal
Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update: 2021-06-07 16:32 GMT

टीकाकरण (कॉन्सेप्ट फोटो- सोशल ​मीडिया)

लखनऊ: कोरोना महामारी के बीच भारत की वैक्सीन पालिसी तीसरी बार फिर बदल गई है। वैक्सीनेशन को लेकर इस तरह का बदलाव सिर्फ भारत में ही देखने को मिला है, अधिकांश देशों में शुरू से ही एक केंद्रीयकृत व्यवस्था ही चली आ रही है। इस बार तो स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करके नई नीति की घोषणा की है जिसमें वैक्सीनेशन का पूरा कामकाज केंद्र ने अपने हाथ में ले लिया है।

शुरुआती नीति

दरअसल जब 16 जनवरी, 2021 से भारत में कोरोना वैक्सीनेशन शुरू हुआ तो उसका पूरा कंट्रोल केंद्र सरकार के हाथ में था। केंद्र ही वैक्सीन निर्माता कंपनियों से डील कर रहा था। राज्यों का इसमें कोई हाथ नहीं था।

लेकिन समय बीतने के साथ वैक्सीन की कमी पड़ने लगी। राज्य वैक्सीनशन के लिए सप्लाई की डिमांड करने लगे। इसी बीच कोरोना की दूसरी लहर आ गई। जबरदस्त अफरातफरी मच गई तो राज्य हल्ला मचाने लगे और इसमें दिल्ली की केजरीवाल सरकार सबसे आगे थी।

उदार नीति और अफरातफरी

कोरोना की दूसरी लहर के बीच केंद्र ने 19 अप्रैल को घोषणा कर दी कि वैक्सीनेशन पालिसी को उदार बनाया जा रहा है और इसमें राज्य खुद खरीद कर सकते हैं। 1 मई से लागू नई नीति में 18 वर्ष से ऊपर के लोगों के लिए भी वैक्सीनेशन खोल दिया गया। दूसरी लहर में जब स्थिति बहुत बिगड़ने लगी तो वैक्सीनों के लिए बहुत अफरातफरी मच गई। ऐसे में राज्यों ने केंद्र के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। राज्य ग्लोबल टेंडर मंगवाने लगे। निजी अस्पतालों में ऊंची कीमतों पर वैक्सीने लगने की शिकायतें आने लगीं।

फिर केंद्र के हाथ में कंट्रोल

वैक्सीनेशन की उदार नीति से मामला बिगड़ने के बाद केंद्र सरकार ने स्थिति को पटरी पर लाने के लिए अब फिर केंद्रीयकृत व्यवस्था को अपनाने का फैसला किया है। पीएम ने इसकी घोषणा की है।

ऐसे में सवाल उठता है कि महामारी के दौर में वैक्सीनेशन को लेकर प्रयोग करने की जरूरत क्यों आ पड़ी और किनके सुझाव पर बदलाव किए गए। एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत में 70 साल से चले आ रहे यूनिवर्सल टीकाकरण अभियान की सफलता की तारीफ पूरी दुनिया में की जाती है। ये अभियान पूरी तरह केंद्र चलाता है और फंडिंग करता है। उसी अभियान के तहत कोरोना वैक्सीनेशन को भी लाया जाना चाहिए क्योंकि कोरोना की वैक्सीन एक ही बार तो लगनी नहीं है। अभी तीसरे बूस्टर भी लगने होंगे। ऐसे में वैक्सीनेशन की केंद्रीयकृत व्यवस्था का लागू होना सही समय पर लिया गया सही कदम है। 

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