छात्रवृत्ति घोटाला: एक हजार फर्जी आवदेन, 11 हजार करोड़ की चपत, ऐसे हुआ खुलासा

सीबीआई ने 250 करोड़ रुपये के छात्रवृति घोटाले पर साक्ष्य निकालने शुरू कर दी हैं। केसी ग्रुप  ने नवांशहर की जांच में खुलासा किया है कि संस्थान ने चार सालों में करीब 1000 फर्जी दाखिले दिखाकर करीब 11 करोड़ रुपये की राशि गबन किया है।

Update: 2020-07-18 03:42 GMT

लखनऊ : बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में सीबीआई ने प्रमाण देने शुरु कर दिए हैं। आरोप है कि स्टूडेंट्स को दी जाने वाली स्कॉलरशिप में 250 करोड़ का गबन किया गया है। छात्रवृत्ति घोटाले की परतें खोलने शुरू हो गई है सीबीआई ने 250 करोड़ रुपये के छात्रवृति घोटाले पर साक्ष्य निकालने शुरू कर दी हैं। केसी ग्रुप ने नवांशहर की जांच में खुलासा किया है कि संस्थान ने चार सालों में करीब 1000 फर्जी दाखिले दिखाकर करीब 11 करोड़ रुपये की राशि गबन किया है।

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संस्थान में पढ़ाई

कागजों की जांचपड़ताल और लंबी पूछताछ में सीबीआई ने पाया है कि संस्थान, शिक्षा विभाग के अधिकारी और बैंक ने मिलकर पूरे घोटाले को अंजाम दिया। साल 2013 से लेकर 2017 के बीच संस्थान में पढ़ाई करने के नाम पर करीब 1200 विद्यार्थियों ने छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया था। जांच के दौरान इसमें एक हजार आवेदन फर्जी पाए गए हैं।

12 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर

 

इसमें दस्तावेज मुहैया करवाने में उन्होंने कितने पैसों का लेन-देन किया। यही वजह है कि सीबीआई की टीम मामले में मुख्य आरोपी शिक्षा विभाग के अधीक्षक अरविंद राज्टा समेत संस्थान के वाइस चेयरमैन हितेश गांधी और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की शाखा नवांशहर के कैशियर एसपी सिंह से एक बार फिर पूछताछ के लिए कैथू जेल पहुंची थी। सीबीआई अभी तक इस मामले में शिक्षा विभाग, बैंक और निजी संस्थान के प्रबंधकों समेत 12 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर कर चुकी है।

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निजी कंप्यूटर सेंटरों से बच्चों के दस्तावेज

 

सीबीआई के मुताबिक करोड़ों की छात्रवृत्ति लेने के लिए निजी कंप्यूटर सेंटरों को निशाना बनाया गया है। इस बारे में ज्यादातर विद्यार्थियों को भी पता नहीं है कि दस्तावेजों में उन्होंने कई डिग्रियां हासिल कर ली हैं। ऐसे कंप्यूटर सेंटरों पर भी केंद्रीय जांच एजेंसी शिकंजा कस रही है। यहां से बच्चों के दस्तावेज हासिल कर और उन्हीं के नाम पर विभिन्न योजनाओं के तहत मिलने वाली छात्रवृत्ति ली गई है।

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