कंडक्टर ने पास किया UPSC का एग्जाम: संघर्ष की कहानी जान, आ जायेंगे आंसू

कर्नाटक के मांड्या जिले के रहने वाले बस कंडक्टर मधु एनसी ने बतौर कंडक्टर आठ घंटे ड्यूटी करते हुए यूपीएसपी मुख्य परीक्षा में सफलता पायी है।

Update: 2020-01-29 07:07 GMT

कर्नाटक: आठ घंटे काम करने वाला एक बस कंडक्टर देश के लाखों करोड़ों लोगों के लिए एक मिसाल बन गया है। अपनी किस्मत पर रोने कि बजाय कंडक्टर ने अपने बुलंद हौसलों से अपनी मंजिल तलाश कर ली, बल्कि सपने देखने वाले उन सभी लोगों के सामने उदाहरण भी पेश किया, जो कुछ पाना तो चाहते हैं लेकिन किस्मत और जिन्दगी की परेशानियों के सामने घुटने टेक देते हैं।

बीएमटीसी बस कंडक्टर मधु एनसी ने पास की यूपीएससी की परीक्षा:

हम बात कर रहे हैं कर्नाटक के मांड्या जिले के रहने वाले बस कंडक्टर मधु एनसी का। मधु एनसी ने साबित कर दिया कि आदमी चाह ले तो अपने भाग्य को बदल सकता है। मधु ने यूपीएसपी मुख्य परीक्षा में सफलता पायी है।

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दरअसल, मधु एनसी बेंगलुरू मेट्रोपोलिटन ट्रांसपोर्सट कॉर्पोरेशन (बीएमटीसी) में कंडक्टर के पद पर तैनात हैं। उन्होंने नौकरी की शुरुआत 19 साल की उम्र में ही कर दी थी। हालांकि उनका लक्ष्य कुछ और था। परिवार की सहायता के लिए कम उम्र में ही काम शुरू करने वाले मधु ने सपने देखना और उसे पूरा करने के लिए मेहनत करना नहीं छोड़ा।

दो बार मिली नाकामयाबी, फिर पास की मुख्य परीक्षा:

मधु ने साल 2014 में कर्नाटक प्रशासनिक सेवा की परीक्षा दी, लेकिन कामयाबी हासिल नहीं हुई। नाकाम होने के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और तैयारी जारी रखी। फिर साल 2018 में यूपीएससी की परीक्षा में भी सफलता नहीं मिली।

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उन्होंने दोबारा फिर से यूपीएससी की परीक्षा दी और आख़िरकार इस बार उन्हें कामयाबी मिल ही गयी। इस बारे में मधु ने बताया, 'आम तौर पर लोग असफलता के बाद हिम्मत हार जाते हैं। लेकिन मैं जिंदगी में कुछ बड़ा हासिल करना चाहता था।'

आठ घंटे ड्यूटी के बाद पढ़ाई करना नहीं था आसान:

गौरतलब है कि मधु बतौर कंडक्टर आठ घंटे ड्यूटी करते थे। ऐसे में काम करते हुए परीक्षा की तैयारी करना आसान नहीं था। काम पर जाने से पहले मधु चार बजे सुबह उठ जाते थे। फिर रोजाना पांच घंटे पढ़ाई में बिताते। साल 2019 में जब उन्होंने प्रारंभिक परीक्षा पास की तो मुख्य परीक्षा के लिए तैयारी और ज्यादा बढ़ा दी। प्रारंभिक परीक्षा कन्नड़ भाषा में दी जबकि मुख्य परीक्षा में उन्होंने अंग्रेजी को चुना।

ख़ास बात ये हैं कि मधु ने प्रतियोगी परीक्षा पास करने के लिए कोई कोचिंग, ट्यूशन या क्लास नहीं ली, बल्कि खुद ही पढ़ाई की। इसके लिए वह अपने विभाग यानी बीएमटीसी के कुछ वरिष्ठ लोगों से मदद लेते थे। मधु अब इंटरव्यू की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने अपनी कामयाबी का श्रेय बीएमटीसी को भी दिया।

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