#Diwali 2018: अगर पढ़ाई में नहीं लगता है मन तो इस दिन करें ये जरूरी काम

Update:2018-11-04 13:41 IST

शिवाकान्त शुक्ल

लखनऊ: वैसे तो रोशनी के पर्व दिवाली पर विशेष रूप से धन की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। माता लक्ष्मी को अकेले नहीं पूजा जाता बल्कि उनके साथ माता सरस्वती और भगवान गणेश और कुबेर की भी पूजा की जाती है। इस बता दें कि साल 7 नवंबर 2018 को दीपावली है। आज newstrack.com छात्रोें को पढ़ाई जीवन में कैसे दिवाली मनानी चाहिए इसकी जानकारी देने जा रहा है।

विद्यार्थियों के लिए उसकी पढ़ाई ही सबसे बड़ी पूजा

विद्यार्थियों के लिए उसकी पढ़ाई ही सबसे बड़ी पूजा है। इस दिन पढ़ाई करने का विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि इस त्यौहार पर अपनी विद्या को जगाना चाहिए। जो व्यक्ति जिस भी क्षेत्र में रहे चाहे उसको दिवाली के दिन उस क्षेत्र में विशेष रूप से लगकर कार्य करना चाहिए। चाहे वह शिक्षा हो या व्यापार अथवा नौकरी। ऐसी मान्यता है कि इससे साल भर माता लक्ष्मी माता सरस्वती व भगवान गणेश की कृपा बनी रहती है।

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विद्यार्थियों को इस दिन चाहिए कि वह पटाखे जलाने खेलने कूदने और खाने पीने के अलावा ज्यादा से ज्यादा समय पढ़ाई पर दें। इस दिन पढ़ाई करने से माता सरस्वती शीघ्र प्रसन्न होती हैं। और इस दिन पढ़ी हुई किताबें जल्द ही कंठस्थ हो जाती हैं, और ऐसी मान्यता है कि दिवाली के बाद अमावस्या से एकादशी 11 दिन तक रोशनी में रोज शाम को 2 से 3 घंटों तक यदि विद्यार्थी अपने पढ़ाई की साधना करते हैं तो आगे उनका मन पढ़ाई में लगने लगता है। बता दें कि इसी दौरान तांत्रिक अपनी तंत्र साधना कर साल भर के लिए जगाते हैं। मंत्रों को जगाने वाले इस दौरान मंत्र जाप कर उसको सिद्ध करते हैं। यदि छात्र इस दौरान पढ़ाई करता है तो उसका मन पढ़ाई में लगने लगता है।

यदि किसी विषय को पढ़ने में छात्र का न लगता हो तो करें ये काम

कथा व्यास आचार्य मधुसूदन जी महराज ने बताया धर्मशास्त्रों के अनुसार इस दिन लेखनी का पूजन भी किया जाता है। दिवाली के दिन लेखनी का पूजन कर उससे परीक्षा देने से अच्छे नम्बर आते हैं। ऐसी भी मान्यता है कि अमावस्या से एकादशी 11 दिन तक यदि छात्र रोज शाम को लगातार जो विषय कमजोर है उसको पढ़ता है तो छात्र को विषय में दक्षता प्राप्त होती है। एक ​कथा के अनुसार जब भगवान विष्णु अमावस्या के 11 दिन बाद एकादशी के दिन अपनी निंद्रा से उठते हैं। उसके पहले वह चार महीने के लिए शयन करते रहते हैं। जब उठते हैं तो उस समय वह माता लक्ष्मी को ढूंढने पृथ्वी पर आते हैं। इस दौरान पृथ्वीलोक पर जो भी जिस किसी भी कार्य को करता रहता है वह उसमें उसका मन लगने लगता है।

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क्यों होती है लक्ष्मी, सरस्वती और गणपति की एक साथ पूजा?

बता दें कि दिवाली वाली पूजा में लक्ष्मी के साथ सरस्वती और गणपति भी दिखाई देते हैं, सरस्वती ज्ञान की देवी हैं और गणपति बुद्धि के देवता। इन तीनों को साथ पूजने का योग हमें बुद्धि से काम करने का संकेत देता है।

अगर हम लक्ष्मी की कृपा पाना चाहते हैं तो हमें ज्ञान और बुद्धि से काम करना चाहिए। जब हम ज्ञान और बुद्धि के अनुसार काम करते हैं देवी लक्ष्मी यानी धन की प्राप्ति होती है। इसलिए इन तीनों को एक साथ पूजना शुभ माना गया है। साथ ही लक्ष्मी पूजन से पहले गणेश भगवान की पूजा की जाती है। देवताओं में वैसे भी भगवान गणेश को सबसे पहले ही पूजा जाता है।

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ऐसे ही दिवाली पर धन की देवी लक्ष्मी का पूजन करना विशेष रूप से बताया गया है। धन आए तो उसे अपने ज्ञान से संभालना चाहिए। बुद्धि के उपयोग से उसे निवेश करना चाहिए, ताकि वह बढ़ता रहे। इससे लक्ष्मी का स्थाई निवास होता है। इसीलिए दीपावली पर तीनों की साथ मूर्ती या चित्र की पूजा करने की परंपरा है। हम लक्ष्मी से प्रार्थना करते हैं कि वे हमारे घर में विराजें, साथ में विद्या और बुद्धि भी लेकर आएं।

विधि-विधान से करें दिवाली पूजा

जब हम इन तीनों देवी-देवता की पूजा एक साथ करते हैं तो धन, बुद्धि और ज्ञान बढ़ता है। इन तीनों के उपयोग से हम सभी सुख प्राप्त कर पाते हैं। इसलिए इस बार दिवाली पर मां लक्ष्मी, मां सरस्वती और गणेश भगवान की विशेष पूजा करें। तीनों की मूर्ति स्थापना कर पूरे विधि-विधान से पूजा करें। ऐसे करने से आपको घर-भंडार सालों साल धन समृद्धि से भरे रहेंगे।

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