सिल्वर स्क्रीन पर धमाल मचा चुका है हॉलीवुड, जानें महामारी पर बनीं फिल्मों के नाम

कोरोना का प्रकोप पूरी दुनिया में है। दुनिया के कई शक्तिशाली देश इस महामारी की गिरफ्त में हैं। भारत के साथ-साथ, चीन, अमेरिका जैसी महाशक्तियों ने जहां कोरोना के सामने घुटने टेक दिए हैं तो वहीं अब इसके खत्म करने के लिए मिलकर एक साथ उपाय ढूंढे जा रहें हैं।

Update:2020-06-06 08:35 IST

जयपुर : कोरोना का प्रकोप पूरी दुनिया में है। दुनिया के कई शक्तिशाली देश इस महामारी की गिरफ्त में हैं। भारत के साथ-साथ, चीन, अमेरिका जैसी महाशक्तियों ने जहां कोरोना के सामने घुटने टेक दिए हैं तो वहीं अब इसके खत्म करने के लिए मिलकर एक साथ उपाय ढूंढे जा रहें हैं।

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फिल्म की दुनिया में भविष्य दिखाया जाता है, यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा। तभी तो वर्तमान समय में पूरी दुनिया में मौत बिछा रही कोरोना जैसी घातक बीमारी की तरह के घटनाक्रमों पर फंतासी का इस्तेमाल करके पहले ही महामारी से त्रस्त दुनिया की रूपरेखा तैयार की जा चुकी है।

हॉलीवुड की दूरदर्शिता

हॉलीवुड में ऑस्कर विजेता निर्देशक अलफांसो कुरइन ने 2006 में “चिल्ड्रेन ऑफ मैन” के माध्यम से एक ऐसी दुनिया की कल्पना की, जिसमें कुदरत ने इंसानों को बच्चा ही पैदा नहीं कर पाने लायक कर दिया है और पूरी दुनिया अब खत्म होने की कगार पर है। एक लड़की के गर्भवती होने के बाद पूरे समाज में ही संघर्ष होने लगता है, कोई उसे मारना चाहता है तो कोई बचाना। इसी संघर्ष पर ये बेमिसाल फिल्म तैयार हुई है।

1957 में महान फिल्मकार इंगमर बर्गमैन ने प्लेग जैसी महामारी को फिल्मी कथानक का केन्द्र अपनी फिल्म “द सेवन्थ शील” में लिया था। इस फिल्म में जीवन-मरण और अस्तित्व के सवालों के जवाब देती मृ’त्यु को एक व्यक्ति के साथ शतरंज की चालों के खेलते दिखाया गया।

 

 

मौजूदा वक्त पर बन चुकी हैं कई फिल्में

इसके अलावा 1995 की अंग्रेजी फिल्म “ब्लाइंडनेस” में व्हाइट सिकनेस महामारी को दिखाया गया है। इस बीमारी में भी आज के हालात की तरह ही दुनिया दर्शायी गयी । एक ऐसी दुनिया जहां एक के बाद एक सब अपनी आंखें खोने वाले हैं।

कॉन्टेजियनने मचाया है धमाल

दुनिया में कोरोना की घोषणा के बाद सबसे अधिक देखे जाने वाली फिल्म के रूप में ट्रेंड सैटर बनने वाली फिल्म सामने आयी “कॉन्टेजियन”। यह फिल्म 2011 में स्टीवन सोडरबर्ग द्वारा निर्देशित की गई। इसमें दिखायी गयी महामारी तेजी से लोगों को खत्म करने लगती है, जिससे हाहाकार की स्थिति बन जाती है। आज की तरह ही सुनसान रास्ते और खाली जगहों के दर्शायों की समानता आप इस फिल्म में देख सकते हैं। 2013 की ‘वर्ल्ड वा’र जेड’ नाम की फिल्म, जिसको मार्क फोस्टर ने निर्देशित किया और जिसमें ब्रेड पिट ने काम किया, महामारी से खत्म होते लोगों को बचाने की मुहिम पर बनी एक बेहतरीन फिल्म है। इसमें दुनिया ने मिलकर महामारी को हराने का प्रयास किया, जो आज भी दिख रहा है।

महामारी को मुख्य किरदार की तरह मानकर कई फिल्मकारों ने इसके इर्द-गिर्द भयावह लेकिन सच्ची दुनिया तैयार की है। सच्ची इसलिए क्योंकि जो हालात हम आज देख रहें हैं, वही लगभग फिल्मों में दर्शाए गये हैं। ‘स्लमडॉग मिलेनियर’ जैसी फिल्म बनाने वाले ऑस्कर विजेता निर्देशक डेनी बॉयल ने साल 2002 में ‘28 डेज लेटर’ नाम की फिल्म बनायी। इस फिल्म में एक वायरस से होने वाली महामारी को दर्शाया गया। फिल्म के कमाल के दृश्यों में आप खाली यूनाइट किंगडम के शहरों को देख सकते हैं।

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93 डेज्समें भी दिखा समाज का संघर्ष

2016 की नाइजीरियन फिल्म ‘93 डेज्स’ में ईबोला महामारी और संघर्ष को दर्शाया गया है तो वहीं 2007 में फ्रांन्सिस लॉरेंस निर्देशित फिल्म आई एम लिजेंड में वाइरस इन्फेक्शन और तबाही को दर्शाया गया। मशूहर अदाकार विल स्मिथ ने इस फिल्म में बेमिसाल काम किया।

मलयालम में भी बनी है वायरस पर फिल्म

भारत में 2019 में केरल निर्देशक आशिक अबू ने मलयालम भाषा में बेहतरीन फिल्म बनायी है जिसमें वायरस के बाद होने वाली तबाही को ही केन्द्र में रखा गया है। इसके पहले हिन्दी भाषा में 2003 में कयामतः सिटी अंडर थ्रेट में अब्बास रम्मानी ने वाइरस के ऊपर ही फिल्म को बनाया था, हालांकि ये सफल फिल्म तो नहीं थी लेकिन हिल फार्मूला के बीच वायरस को सेट करने की कोशिश की गयी थी।

 

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इसके अलावा इट कम्स एट नाइट, कैरियर्स, आऊटब्रेक, फ्लू, डिरेंज्ड (साऊथ कोरियन), द बे, द लास्ट डेज, जाम्बिज और रेजिडेंट इवल जैसी कई फिल्मों में खत्म होती दुनिया के बीच फंसें हुए लोगों के संघर्ष को दिखाया गया है। इन फिल्मों की शुरूआत कैसी भी लेकिन हताशा के बीच भी न खत्म होने वाली आशा के साथ मनुष्यता ही जीत जाती है। उम्मीद की जानी चाहिए कि कोरोना के इस संघर्ष को भी इंसान इसके अंजाम तक जरूर पहुंचायेगा।

इसके अलावा भी प्राकृतिक आपदा पर वक्त, मदर इंडिया, काइपोचे, तुम मिले केदारनाथ जैसी फिल्मे बन चुकी है।

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