शोले में इस वजह से काम नहीं करना चाहता था ये एक्टर, कैंसर से हुई थी मौत

बॉलीवुड के इतिहास में शोले फिल्म बेहतरीन फिल्मों में से एक है। इसके एक- एक  किरदार और डॉयलॉग  लोगों के जहन में है। हिंदी फिल्मों में शोले का जब भी जिक्र होता है तो सिर्फ एक नाम नहीं बल्कि कई कैरेक्टर सामने आ जाते हैं। फिल्म में गब्बर का किरदार हो

Update: 2020-05-10 04:32 GMT

मुंबई बॉलीवुड के इतिहास में शोले फिल्म बेहतरीन फिल्मों में से एक है। इसके एक- एक किरदार और डॉयलॉग लोगों के जहन में आज भी है। जब हिंदी फिल्मों में शोले का जिक्र होता है तो सिर्फ एक नाम नहीं,बल्कि फिल्म के छोटे-से-छोटा कैरेक्टर यादा आ जाता है। चाहे इमाम साहब या उनका का बेटा हो या गांव वाले।फिल्म में गब्बर का किरदार हो या फिर जय-वीरू, बसंती ये किरदार तो कोई नहीं भूल सकता। पर इसके अलावा भी मौसी, इमाम साहब, सूरमा भोपाली, सांभा, कालिया जैसे छोटे-छोटे रोल था जो उतने ही हिट हुए जितने की बड़े रोल और उसे निभाने वाले।

 

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अगर फिल्म के विलेन सांभा की बात करें तो ये रोल मैकमोहन ने किया था। 10 मई 2010 आज ही के दिन मैकमोहन का निधन हो गया था। उन्हें कैंसर था और लंबे समय के इलाज के बाद उनकी जान चली गई थी। शोले को लेकर कई कहानियां फिल्म के कामयाब होने के बाद आईं। उसी में से एक कहानी ये थी कि शोले में सांभा का रोल पहले मैकमोहन नहीं करना चाहते थे। उन्होंने रमेश सिप्पी से फिल्म में सांभा का रोल करने से साफ मना कर दिया था। इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया था कि सांभा के रोल में डायलॉग बहुत कम हैं।

शोले में गब्बर और सांभा के बीच जो संवाद हुआ था वो डायलॉग कितना फेमस हुआ था। लोग उसे आज भी बोलते हैं। जब गब्बर कहता है- सरकार ने हम पर कितने इनाम रखा है, तब सांभा कहता है- पूरे पचास हजार। ऐसे ही सांभा और गब्बर के की डायलॉग फेमस हुए थो जो लोग आज भी बोलते हैं।

 

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शोले' के सांभा, पैसों की तंगी के चलते एक्टर बने थे, उनकी इच्छा क्रिकेटर बननने की थी। फिल्म 'अतिथि तुम कब जाओगे' की शूटिंग के दौरान मैकमोहन की तबियत बिगड़ गई। मैकमोहन का फिल्मी करियर काफी लंबा था। हकीकत' से 1964 में फिल्मी सफर की शुरुआत की थी। जानकारी के मुताबिक, मैकमोहन ने करीब 200 हिंदी फिल्मों में काम किया था। उनके खाते में शोले के अलावा रफू चक्कर, कर्ज, डॉन, खून-पसीना जैसी फिल्में हैं।उन्होंने फिल्मी दुनिया में करीब 46 साल तक काम किया था।

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