बड़ी खबर: कोटा में 100 बच्चों की मौत, बढ़ता जा रहा आंकड़ा

राजस्थान के कोटा में अस्पताल में बच्चों की मौतों का बढ़ता आंकड़ा शासन-प्रशासन और मेडिकल व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहा है। मात्र दिसंबर माह में लगभग 100 शिशुओं की कोटा में मौत हो गयी। वहीं ये आंकड़ा बढ़ता जा रहा है।

Update:2020-01-02 09:34 IST

कोटा: राजस्थान के कोटा (Kota) में अस्पताल में बच्चों की मौतों का बढ़ता आंकड़ा शासन-प्रशासन और मेडिकल व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहा है। मात्र दिसंबर माह में लगभग 100 शिशुओं की कोटा में मौत हो गयी। वहीं ये आंकड़ा बढ़ता जा रहा है, ऐसे में हालत उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के बीआरडी अस्पताल जैसे हो गये हैं, लेकिन न तो कोई इसकी जिम्मेदारी ले रहा है, न ही अब तक बच्चों की जान बचाने के लिए कोई पुख्ता इंतजाम किये गये हैं।

शिशुओं की मौतों का आंकड़ा बढ़ा:

दरअसल, कोटा के जेके लोन अस्पताल में शिशुओं की मौतों को लेकर चौकाने वाले आंकड़े सामने आये हैं। बीते एक माह में अस्पताल में तकरीबन 100 बच्चों की मौत हो गयी। बता दें कि बीते 23-24 दिसंबर को 48 घंटे के भीतर अस्पताल में 10 शिशुओं की मौत हो गयी थी, जिसके बाद हंगामा शुरू हो गया। वहीं दिसंबर के आखिरी दो दिनों में कम से कम 9 अन्य शिशुओं की मौत हो गयी।

हालांकि, अस्पताल के अधिकारियों ने कहा था कि यहां 2018 में 1,005 शिशुओं की मौत हुई थी और 2019 में उससे कम मौतें हुई हैं।इसके अलावा अस्पताल के चीफ ने बताया कि अधिकतर शिशुओं की मौत जन्म के समय कम वजन के कारण हुई।

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अस्पताल की लापरवाही को नकारा था, कमेटी की रिपोर्ट:

वहीं शिशुओं की मौत के बाद सरकार ने एक जांच कमेटी का गठन किया, रिपोर्ट में इलाज में खामी की वजह से बच्चों की मौत की बात को नकारा गया है। रिपोर्ट में कहा गया कि बच्चों को ठंड में जीप या अन्य वाहनों में अस्पताल लाया गया, जो मौत का एक बड़ा कारण बनी।

वहीं रिपोर्ट के मुताबिक़, बच्चों की मौत ऑक्सीजन पाइपलाइन नहीं होने के कारण इंफेक्‍शन फैलने और ठंड के चलते हुई है। कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक, अस्पताल के नियोनेटल आईसीयू में ऑक्सीजन की पाइपलाइन नहीं है। यहां सिलेंडरों से ऑक्सीजन सप्लाई की गई। ऐसे में बच्चों में इन्फेक्शन बढ़ गया। जिससे उनकी मौत हो गयी।

गौरतलब है कि ये आंकड़ा उस क्षेत्र का है, जिसे देश को सबसे ज्यादा डॉक्टर देने वाला माना जाता है। कोटा कोचिंग सिटी के नाम से मशहूर हैं। लेकिन इस शहर के मासूम ही ठंड और सही इलाज न मिलने के चलते अपनी जान गवां रहे हैं।

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