Organ Donation: अंगदान में महिलाएं सबसे आगे, लेकिन पाने में बहुत पीछे

Organ Donation: संगठन द्वारा कुछ दिनों पहले भारत में पुरुष और महिला अंग प्राप्तकर्ताओं की संख्या के बारे में एक रिपोर्ट जारी की गई थी। वैसे फिलीपींस और हांगकांग को छोड़कर, महिला जीवित डोनर्स का वैश्विक अनुपात कुल मिलाकर अधिक है।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2023-12-02 13:58 IST

Women organ doner in india   (photo: social media )

Organ Donation: क्या आप जानते हैं कि भारत में पुरुषों - महिलाओं में अंगदान की क्या स्थिति है? नहीं जानते तो जान लीजिए : 80 फीसदी अंगदाता महिलाएं हैं जबकि अंगदान पाने वाली महिलाएं मात्र 20 फीसदी हैं।

ये आंकड़ा बताया है नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाईजेशन ऑफ इंडिया ने। इस संगठन द्वारा कुछ दिनों पहले भारत में पुरुष और महिला अंग प्राप्तकर्ताओं की संख्या के बारे में एक रिपोर्ट जारी की गई थी। वैसे फिलीपींस और हांगकांग को छोड़कर, महिला जीवित डोनर्स का वैश्विक अनुपात कुल मिलाकर अधिक है। यानी सभी जगह महिला डोनर्स ही आगे हैं।

लैंगिक असमानता

यह रिपोर्ट हमारे देश में मौजूद लैंगिक असमानता का एक नमूना मात्र है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 1995 और 2021 के बीच, प्रत्येक पांच ट्रांस्प्लांट्स में से चार प्राप्तकर्ता पुरुष थे, और एक महिला थी। यानी भारत में अधिकांश जीवित ऑर्गन डोनर महिलाएं हैं।

एक बड़ी सर्जरी

अंग प्रत्यारोपण एक प्रमुख सर्जरी है। हृदय, गुर्दे, लिवर और फेफड़ों के ट्रांसप्लांट के लिए डोनर का स्वस्थ और इतना मजबूत होना आवश्यक है कि वह सर्जरी की प्रक्रिया को झेल सके। प्राप्तकर्ता और डोनर, दोनों के लिए चीजें गलत होने की भी संभावना है, कई मामले में जटिलताओं के कारण मौत भी हो सकती है।

80 फीसदी महिलाएं

यह एक तथ्य है कि 80 फीसदी जीवित दानदाता महिलाएं हैं। माताएँ, पत्नियाँ, बहनें और बेटियाँ अपने परिवार के सदस्यों को अपने अंग दान करने के लिए आगे आती हैं। लेकिन पुरुष, जिन्हें मजबूत बताया जाता है, स्थिति आने पर परिणाम देने में विफल रहते हैं।

मृत डोनर

रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां तक मृत डोनर की बात है तो उसमें पुरुषों का प्रतिशत अधिक है। लेकिन देश में कुल अंग दान का 93 फीसदी हिस्सा जीवित डोनर्स से है। एक्सपर्ट् का कहना है कि सिरोसिस जैसी बीमारियों की अधिक घटनाओं के कारण प्राप्तकर्ताओं में से अधिकांश पुरुष हैं।

एक ड्यूटी

महिलाओं के बीच अंग दान की बढ़ती घटनाओं को उनकी मदद और पालन-पोषण की इच्छा और कभी-कभी एक ड्यूटी या बलिदान के रूप में पेश किया जा सकता है। जब घर के पुरुष को अंग की जरूरत होती है तो अंगदान की जिम्मेदारी महिला पर आ जाती है। भाइयों, पिताओं, पुत्रों और पतियों के पास बहाना होता है घर चलाने के लिए पैसा कमाने, मेहनत करने का।

केरल की स्थिति

एक उदाहरण केरल का लेते हैं जो काफी शिक्षित और अग्रणी राज्य माना जाता है। आंकड़ों के अनुसार, केरल में जीवित किडनी और लीवर दाताओं में क्रमशः 64 फीसदी और 63 फीसदी महिलाएं हैं, जबकि अधिकांश प्राप्तकर्ता पुरुष हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि हालांकि पुरुषों में लीवर और किडनी की बीमारियों के मामले अधिक हैं, लेकिन वित्तीय और सामाजिक दबाव भी इस असमानता में योगदान देता है।

एक पहलू ये भी है

केरल के ऑर्गन ट्रांसप्लांट आर्गेनाईजेशन के कार्यकारी निदेशक और सदस्य सचिव डॉ. नोबल ग्रेसियस एसएस का कहना है कि महिला डोनर ज्यादा होने की प्रवृत्ति की तुलना लैंगिक असमानता से नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि लोग समझते हैं कि चूंकि पुरुष परिवार में कमाने वाले होते हैं, इसलिए महिलाओं द्वारा अंग दान करने की संभावना अधिक होती है। हालाँकि, यह एकमात्र कारण नहीं है। इसके पीछे कई कारक हैं। डॉ. नोबल ने कहा कि किडनी रोगियों की संख्या देखें तो लगभग 55 से 60 फीसदी पुरुष हैं, जबकि 40 से 45 फीसदी महिलाएं होती हैं। इसलिए, यह उम्मीद की जाती है कि अंग पाने वालों में से अधिकांश पुरुष होते हैं।

एक अन्य एक्सपर्ट के मुताबिक, महिलाओं में लास्ट स्टेज ऑर्गन फेलियर की संभावना कम होती है। उनके मुताबिक लिवर और किडनी की बीमारियां मुख्य रूप से पुरुषों को प्रभावित करती हैं। ऐसे मामलों में जहां पति को किडनी या लीवर ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है, वहां पत्नियां अक्सर डोनर के रूप में आगे आती हैं।माताएं अक्सर अपने बच्चों को अंग दान करती हैं।

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