Acute Hepatitis: बच्चों में बढ़ा तीव्र गंभीर हेपेटाइटिस का प्रकोप, जानें इसके लक्षण और कारण

Acute Hepatitis: कोरोना, मंकी पॉक्स, टोमैटो फ्लू के अलावा बच्चों में तीव्र गंभीर हेपेटाइटिस का प्रकोप भी बढ़ा है। 35 देशों में इसके कई मामले सामने आए हैं।;

Update:2022-08-31 10:15 IST

Acute Hepatitis (Image: Social Media)

Acute Hepatitis: कोरोना, मंकी पॉक्स, टोमैटो फ्लू के अलावा बच्चों में तीव्र गंभीर हेपेटाइटिस का प्रकोप भी बढ़ रहा है। 35 देशों में इसके कई मामले सामने आए हैं। खासकर यूनाइटेड किंगडम में, बच्चों में तीव्र हेपेटाइटिस में बढ़ोतरी हुई है, जिसमें ज्यादातर पांच साल से कम उम्र के बच्चे हैं। बता दे कि बच्चों में इसके मामले तेजी से बढ़े हैं। 

WHO के अनुसार जुलाई 2022 में बच्चों को प्रभावित करने वाले तीव्र हेपेटाइटिस संक्रमण के एक नए प्रकोप का मामला सामने आया है, जिसमें 35 देशों में हेपेटाइटिस का प्रकोप बताया गया है। वहीं इस साल इसका मामला सबसे पहले स्कॉटलैंड में मिला है। बता दे कि अप्रैल की शुरुआत में स्कॉटलैंड से गंभीर तीव्र हेपेटाइटिस के पहला मामला सामने आया था। 

बता दे कि अप्रैल से यानी पिछले चार महीनों में, दुनिया भर के 35 देशों से एक हजार से अधिक मामले सामने आए हैं और इनमें से अधिकांश मामले पांच साल से कम उम्र के छोटे बच्चों में है। डॉक्टर्स की मानें तो हमें संक्रमण के प्रति चौकस रहने और इसके बारे में अच्छी तरह से जानकारी रखने की जरूरत है। हेपेटाइटिस से जुड़े लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए। हेपेटाइटिस के लक्षण में जी मिचलाना, उल्टी,

पीला मल, गहरा मूत्र, त्वचा और/या आंखों का पीला पड़ना, पीलिया, स्वस्थ बच्चों में गंभीर जिगर की बीमारी आदि हैं। जिनपर ध्यान देना बेहद जरूरी है। डॉक्टर्स की मानें तो हर 30 सेकंड में, लीवर failure, सिरोसिस और कैंसर सहित हेपेटाइटिस से संबंधित बीमारियों से किसी की मृत्यु हो जाती है। इस बीमारी से पीड़ित लगभग 80 प्रतिशत लोग देखभाल करने या देखभाल करने में असमर्थ हैं। 2019 में, एक साल पहले जब दुनिया COVID महामारी से लगभग परेशान थी तो हेपेटाइटिस के कारण दुनिया भर में लगभग 78,000 मौतें हुई थीं। WHO का उद्देश्य रोग की पहचान और चिकित्सा उपचार की उपलब्धता में अंतर को कम करना है। वहीं एक सर्वे के अनुसार हाल ही में इस बीमारी के पीछे एडेनोवायरस को भी माना जा रहा है। दरअसल जो बच्चे पिछले दो सालों में एडेनोवायरस के संपर्क में नहीं आए थे, वे अब वायरस के संपर्क में आने पर अधिक प्रभावित हो सकते हैं। बता दे कि एक्यूट हेपेटाइटिस में अचानक लीवर में सूजन आ जाती है और इसमें रोगी में 6 महीने तक लक्षण रह सकते हैं, बाद में धीरे धीरे ठीक हो जाते हैं। वहीं क्रोनिक हेपेटाइटिस में रोगी का इम्यून सिस्टम बुरी तरह प्रभावित हो जाता है।

बता दे कि अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए, माता-पिता को समय पर चिकित्सा सहायता प्राप्त करने और बीमारी को बढ़ने से रोकने के लिए बीमारी के बारे में अच्छी तरह से जानकारी होनी चाहिए। इसके अलावा माता-पिता को दस्त या उल्टी जैसे लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए और त्वचा और आंखों के रंग पर भी ध्यान देना चाहिए। संक्रमण के सबसे प्रमुख लक्षणों में से एक त्वचा और आंखों का पीलापन भी है। साथ ही माता-पिता को भी स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बच्चों को नियमित रूप से हाथ धोने, मुंह और नाक को ढंकने, मास्क पहनने और रूमाल या रुमाल पर खांसने और छींकने या कोहनी का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना जाना चाहिए। ये उपाय एडेनोवायरस के प्रसार को सीमित कर देंगे।

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