सावधान! रोजाना इतने मिनट तक मोबाइल का इस्तेमाल आपको डाल सकता है खतरे में, अमेरिकी वैज्ञानिकों का दावा
अगर 10 साल तक इंसान हर रोज 17 मिनट मोबाइल का इस्तेमाल करता है तो उसमें कैंसर की गांठ बनने का खतरा 60 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। ये दावा किया है अमेरिकी वैज्ञानिकों ने।
क्या आप मोबाइल फोन का अत्यधिक इस्तेमाल करते हैं... ? या आप मोबाइल फोन को अपने साथ रखकर सोते हैं...? तो ये जानकारी आपके लिए बेहद जरूरी है। रोजाना स्मार्टफोन (Smart Phone) का इस्तेमाल आप में कैंसर (Cancer) का खतरा बढ़ा सकता है। ये दावा किया है अमेरिकी वैज्ञानिकों ने।
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के एक रिसर्च में यह सामने आया है कि अगर 10 साल तक इंसान हर रोज 17 मिनट मोबाइल का इस्तेमाल करता है तो उसमें कैंसर की गांठ बनने का खतरा 60 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, मोबाइल सिग्नल से निकलने वाला रेडिएशन मनुष्य के शरीर में स्ट्रेस प्रोटीन को बढ़ाता है, जो डीएनए को डैमेज करता है।
मोबाइल फोन का इस्तेमाल
रिसर्च में यह पाया गया है कि साल 2011 तक 87 प्रतिशत घरों में एक मोबाइल फोन हुआ करता था। वहीं, साल 2020 में पाया गया कि मोबाईल फोन का इस्तेमाल 95 घरों में होने लगा। शोधकर्ता जोएल मॉस्कोविट्ज के मुताबिक, लोगों को मोबाइल फोन का इस्तेमाल कम करना चाहिए। जितना हो सके लैंडलाइन का इस्तेमाल करें। और यदि मोबाइल का इस्तेमाल करते भी हैं तो इसे शरीर से जितना हो सके उतना दूर रखें।
मॉस्कोविट्ज के मुताबिक, वायरलेस डिवाइस रेडिएशन एनर्जी को अधिक एक्टिव बनाती है। जिससे कोशिकाओं के काम करने के रास्ते में बाधा उत्पन्न होती है। इसका नतीजा यह होता है कि शरीर में स्ट्रेस प्रोटीन और फ्री-रेडिकल्स बनने लगते हैं, इससे डीएनए भी डैमेज होने का खतरा रहता है। और कभी कभी इंसान की मौत भी हो सकती है।
मोबाइल फोन के रेडिएशन से खतरा
2018 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनवायर्नमेंटल हेल्थ साइंस की रिसर्च में यह पाया गया था कि मोबाइल फोन के रेडिएशन से कैंसर हो सकता है। हालांकि, इसे एफडीए ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसे इंसानों पर नहीं अप्लाय किया जा सकता। अमेरिका की शोधकर्ताओं की टीम ने साउथ कोरिया नेशनल कैंसर सेंटर और सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर एक रिसर्च की है। इसके नतीजे आने अभी बाकी हैं।
और क्या-क्या हो सकते हैं नुकसान-
तनाव और डिप्रेशन के कारणों में एक प्रमुख कारण मोबाइल फोन से निकलने वाले रेडिएशन के खतरनाक प्रभाव भी हैं। यह आपके दिमाग की कोशिकाओं को संकुचित करती हैं, जिससे ब्रेन में ऑक्सीजन की सही मात्रा नहीं पहुंच पाती।
गर्भवती महलाओं के मोबाइल फोन का अधिक इस्तेमाल गर्भस्थ शिशु को प्रभावित कर सकता है। इससे शिशु के दिमाग पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
मोबाइल फोन का जरूरी और सीमित इस्तेमाल ही इलेक्ट्रोमेगनेटिक विकिरणों के दुष्प्रभाव को कम कर सकता है।
WHO के एक शोध के अनुसार, मोबाइल का अत्यधिक इस्तेमाल मस्तिष्क के कैंसर के लिए जिम्मेदार होता है।
इसके विकिरणों के प्रभाव के चलते ब्रेन में ट्यूमर हो सकता है।