हवा की बिगड़ती स्थिति दे रही फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों को बुलावा, खुलकर सांस लेने के लिए अभी से उठाएं कदम

lungs Disease: हवा की गुणवत्ता में गिरावट सीओपीडी संकट को बढ़ावा दे रही है।

Report :  Jyotsna Singh
Update:2024-11-20 15:15 IST

lungs Disease

lungs Disease: मौसम के बदलाव के साथ ही देश में कई जगहों पर हवा जहरीली बन चुकी है। लोगों का ऐसे में सांस लेना दूभर हो रहा है। हवा की गुणवत्ता में गिरावट सीओपीडी संकट को बढ़ावा दे रही है। जिससे बचने के लिए खुलकर सांस लेने के लिए अभी से प्रभावी कदम उठाने होंगे। सीओपीडी का खतरा बढ़ रहा है और बिगड़ती वायु गुणवत्ता इसे एक वैश्विक महामारी में बदल रही है।

20 अक्टूबर को आयोजित होने वाले विश्व सीओपीडी दिवस के एक दिन पूर्व केजीएमयू के पल्मोनरी एण्ड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग द्वारा प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। वार्ता के दौरान गंभीर रूप लेती जा रही सीओपीडी की समस्या पर विस्तृत चर्चा की गई। इस दौरान प्रो. (डॉ.) वेद प्रकाश ने बीमारी से बचाव के लिए कई बड़े सुझाव देते हुए बताया कि “अपने फेफड़ों की कार्यप्रणाली को जानना आपकी सांस की सुरक्षा के लिए पहला कदम है।” उन्होंने बताया कि वैश्विक स्तर पर अनुमानत वर्ष 2023 तक लगभग 48 करोड़ लोग सीओपीडी से ग्रसित थे। वर्ष 2050 तक इसका प्रसार 23 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है, जो संभावित रूप से लगभग 60 करोड़ लोगों तक पहुंच जाएगी। यह वृद्धि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में अधिक रहेगी और विशेषकर पुरुषो की अपेक्षा, महिलाओं को अधिक प्रभावित कर सकती है।

उन्होंने जानकारी दी कि सीओपीडी दुनिया भर में मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण बन चुकी है। जो गैर-संचारी रोगों होने वाली मृत्यु दर में महत्वपूर्ण योगदान देता है। वर्ष 2030 तक, बढ़ती आबादी, तंबाकू के बढ़ते उपयोग और पर्यावरण प्रदूषकों के संपर्क के कारण सीओपीडी वैश्विक स्तर पर मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण बने रहने की उम्मीद है। अनुमान 2019 में, सीओपीडी के कारण दुनिया भर में लगभग 32 लाख मौतें हुईं थी। भारत में 5.5 करोड़ से अधिक लोग सीओपीडी से पीड़ित हैं।

सीओपीडी क्या है?

क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) फेफड़ों की एक निरंतर बढ़ने वाली बीमारी है जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है। इसमें क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और एम्फाइसीमा जैसी स्थितियां शामिल हैं। सीओपीडी वाले लोग अक्सर पुरानी खांसी, सांस की तकलीफ, घरघराहट और सीने में जकड़न जैसे लक्षणों का अनुभव करते हैं। यह बीमारी दैनिक जीवन को व्यापक रूप से प्रभावित कर सकती है और अगर ठीक से प्रबंधन न किया जाए तो गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं।


स्पाइरोमेट्री परीक्षण से जाने फेफड़ों की स्थिति

विश्व सीओपीडी दिवस, जो इस वर्ष 20 नवंबर, 2024 को मनाया जाएगा, दुनिया भर में स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों और सीओपीडी रोगी समूहों के सहयोग से ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव लंग डिजीज (गोल्ड) द्वारा आयोजित किया जाता है। विश्व सीओपीडी दिवस 2024 का विषय “अपने फेफड़ों के कार्य क्षमता को जानें”। इस थीम का उद्देश्य फेफड़ों की कार्यप्रणाली को मापने के महत्व पर प्रकाश डालना है, जिसे स्पाइरोमेट्री भी कहा जाता है। स्पिरोमेट्री एक सरल और प्रारम्भिक परीक्षण है जो यह मापता है कि आप कितनी हवा अंदर ले सकते हैं और बाहर छोड़ सकते हैं। सीओपीडी और फेफड़ों की अन्य स्थितियों के निदान के लिए यह परीक्षण महत्वपूर्ण है।

सीओपीडी का प्रभाव

सीओपीडी के सामान्य लक्षणों में शामिल है

पुरानी खांसी

सांस लेने में तकलीफ

घरघराहट

सीने में जकडन

थकान

बार-बार श्वसन संक्रमण होना

अनपेक्षित वजन घटना

दैनिक क्रियाकलाप करने में कठिनाई होना।

जैसे-जैसे सीओपीडी बढता है, लोगों को अपनी सामान्य दैनिक गतिविधियां करने में अक्सर सांस फूलने के कारण अधिक कठिनाई होती है, चिकित्सा उपचार की लागत के कारण काफी वित्तीय बोझ हो सकता है। सीओपीडी के अटैक के समय उन्हें घर पर अतिरिक्त उपचार प्राप्त करने या आपातकालीन देखभाल के लिए अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है। गंभीर अटैक जीवन के लिए खतरा हो सकता है।


सीओपीडी का उपचार

1. ब्रोंकोडाईलेटर्स

2. इनहेल्ड कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स

3. पलमोनरी रिहैबिलिटेषन

4. ऑक्सीजन थेरेपी

5. सर्जरी

आपके फेफड़ों की कार्यप्रणाली को जानना कई कारणों से आवश्यक है। शीघ्र पता लगाना-नियमित फेफड़ों के कार्य परीक्षण से सीओपीडी को प्रारंभिक चरण में पकड़ने में मदद मिल सकती है, जब यह सबसे अधिक प्रबंधनीय होता है। बीमारी के पता चलने से शीघ्र समय पर समुचित उपचार किया जा सकता है, जिससे जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है और रोग की प्रगति धीमी हो सकती है।

रोग की प्रगति की निगरानी करना

जिन लोगों में पहले से ही सीओपीडी की बीमारी का पता है, उनके लिए नियमित स्पिरोमेट्री परीक्षण रोग की प्रगति और उपचार की प्रभावशीलता की निगरानी करने में मदद कर सकते हैं। देखभाल के बारे यह जानकारी उपयुक्त निर्णय लेने के लिए मदद करती है।

अच्छी जीवनशैली को अपनाकर:

अच्छी जीवनशैली को अपनाकर अपने फेफड़ों की कार्यप्रणाली को बेहतर किया जा सकता है। यदि आपके फेफड़ों की कार्यक्षमता कम हो रही है, तो यह आपको धूम्रपान छोड़ने, फुफ्फुसीय पुनर्वास में संलग्न होने या फेफड़ों के स्वास्थ्य में सहायता करने वाली स्वस्थ आदतें अपनाने के लिए प्रेरित कर सकता है। इसके अलावा स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के बेहतर परामर्ष से आपके फेफड़ों की कार्यप्रणाली को बेहतर किया जा सकती है। जिसमें पल्मोनरी एण्ड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग सीओपीडी देखभाल में उत्कृटता प्रदान करने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।

पल्मोनरी एण्ड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग में सीओपीडी से निपटने के लिए हैं खास इंतजाम

सीओपीडी देखभाल में पल्मोनरी एण्ड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग अपने केन्द्र पर सीओपीडी के लक्षणों वाले मरीजों की पूरी शारीरिक जाँच कर बिमारी का निदान और चरण का सटीक मूल्यांकन करने में महती भूमिका निभा रहा है। इस विभाग द्वारा सीओपीडी का बेहतर इलाज करने के लिए स्पायरोमेट्री, बाडी-प्लेथिस्मोग्राफी डिफ्यूजन स्टडी, फोस्र्ड ऑसिलोमेंट्री ( एफ.ओ.टी.), हाई रिजोल्यूसन सीटी स्कैन जैसी अत्याधुनिक सुविधाओं का खास प्रबंध किया गया है। जो बिमारी के शीध्र निदान में मदद करती है। इस केन्द्र में आधुनिक वेटींलेटर, वरिष्ठ विषेषज्ञ चिकित्सक एवं प्रषिक्षित नर्सिग स्टाफ से सुसज्जित उत्कृष्ट क्रिटिकल केयर यूनिट (आई0सी0यू0)का उत्कृष्ट प्रबंध है। जो सीओपीडी के गम्भीर अटैक का त्वरित आपातकालीन इलाज प्रदान करने में सक्षम है। पल्मोनरी और क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के प्रमुख प्रोफेसर (डॉ.) वेद प्रकाश का इस प्रेस वार्ता के दौरान कहना है कि हम कड़े संक्रमण नियंत्रण प्रोटोकाल और आई0सी0यू0 स्वच्छता प्रथाओं का पालन करके वेंटिलेटर- सम्बद्ध निमोनिया (वैप) के जोखिम को 10 से भी कम करने में सक्षम हुये है, जो कि एक उत्कृष्ट आकड़ा है।

विश्व सीओपीडी दिवस के अवसर पर, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के पल्मोनरी और क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग ने सीओपीडी के रोकथाम, उपचार और शीघ्र निदान की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक प्रेस बातचीत का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में पल्मोनरी और क्रिटिकल केयर मेडिसिन के प्रमुख प्रोफेसर (डॉ.) वेद प्रकाश, रेस्पीरेटरी मेडिसिन विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर (डॉ.) राजेंद्र प्रसाद, पीएमआर विभाग के प्रोफेसर (डॉ.) अनिल गुप्ता, और रेस्पीरेटरी मेडिसिन विभाग के प्रोफ़ेसर आर एस कुशवाहा सहित प्रतिष्ठित संकाय सदस्यों ने भाग लिया। पल्मोनरी और क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग से डॉ. सचिन कुमार, डॉ. मोहम्मद आरिफ और डॉ. अतुल तिवारी भी उपस्थित थे। चर्चा में सीओपीडी प्रबंधन में केजीएमयू की पहल, टीकाकरण के महत्व और सीओपीडी से बचाव पर जोर दिया गया। इस आयोजन ने नैदानिक उत्कृष्टता, सामुदायिक आउटरीच और सार्वजनिक स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से सीओपीडी से निपटने के लिए विभाग की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।

( लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं ।)

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