Benefits of Poppy Seeds: स्वाद के साथ सेहत का खजाना है ख़सखस, कई जगहों पर है प्रतिबंधित

Benefits of Poppy Seeds: अफीम के पौधे से निकलता है ये शानदार औषधीय गुणों से भरपूर मसाला, जानिए खसखस खाने के फायदे।

Written By :  Jyotsna Singh
Update:2024-11-16 07:37 IST

स्वाद के साथ सेहत का खजाना है ख़सखस, कई जगहों पर है प्रतिबंधित: Photo- Social Media

Poppy Seeds: भारतीय रसोईयों में खसखस यानी पोस्ता दाना को बहुत ही शाही मसालों के तौर पर गिना जाता है। इसे लंबे समय से मीठे और नमकीन हर तरह के व्यंजन में अलग अलग स्वाद पाने के लिए प्रयोग किया जाता रहा है। ये मसाला सेहत को भी कई तरीकों से बेहतर बनाता है। इसके सेवन से कई तरह के हेल्दी फायदे होते हैं। साथ ही ये छोटे-छोटे सफेद-मटमैले रंग के बीज कई हेल्थ प्रॉब्लम्स से भी आराम दिलाते हैं। खसखस एक सुगंधित पौधा है। भारत में इत्र बनाने और ओषधि के रूप में खस का प्रयोग प्राचीन काल से हो रहा है। इसके पौधे की जड़ों का उपयोग विशेष प्रकार का पर्दा बनाने में होता है जिसे ‘खस की टट्टी’ कहते हैं। इसको ग्रीष्म ऋतु में कमरे तथा खिड़कियों पर लगाते हैं और पानी से तर रखते हैं। इसके चलते कमरे में ठंडी तथा सुगंधित वायु आती है और कमरा ठंडा बना रहता है। प्रकंद के वाष्प आसवन से सुगंधित वाष्पशील तेल प्राप्त होता है जिसका उपयोग इत्र बनाने में होता है। फूलों की गंध को पकड़ रखने की इसमें क्षमता पर्याप्त होती है। इसके तेल से मालिश करने पर भी काफी आराम मिलता है। खसखस का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है। खसखस के तेल से साबुन, इत्र आदि बनाये जाते हैं। इसके अलावा खसखस के कई फायदे और भी हैं।

पोस्ता दाना और खसखस में क्या अंतर है? ( What is the difference between poppy seeds and poppy seeds?)

पोस्ता दाना और खसखस एक ही चीज़ होते हैं। इन्हें पॉपी सीड्स भी कहा जाता है। खसखस, अफ़ीम के पौधे के डोडे से निकलने वाले दूध से पाउडर बनाने के बाद बचे बीज होते हैं। खसखस के बीज सफ़ेद या काले रंग के होते हैं। इनमें तेल की मात्रा 40 से 60 प्रतिशत तक होती है। खसखस में नशा नहीं होता।

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खसखस के फायदे (Benefits of poppy seeds)

खसखस या पॉपी सीड्स (poppy seeds ) मिठाइयों में बाकी ड्राई फ्रूट्स के साथ इसका इस्तेमाल गरम मसाले के तौर पर भी किया जाता है। अपने भीतर कई खास गुणों को समेटे हुए खसखस सेहत को भी कई तरीकों से बेहतर बनाता है। इसके सेवन से कई तरह के हेल्दी फायदे होते हैं। साथ ही ये छोटे-छोटे सफेद-मटमैले रंग के बीज कई बड़ी हेल्थ प्रॉब्लम्स से भी आराम दिलाते हैं। खसखस के बीजों की प्रकृति ठंडक देने वाली होती है। इसीलिए, इनके सेवन से स्किन प्रॉब्लम्स और पेट की समस्याएं बहुत हद तक कंट्रोल की जा सकती हैं। खसखस में कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है, जिससे हड्डियां और दांत मज़बूत होते हैं। खसखस में मौजूद अघुलनशील फ़ाइबर पाचन तंत्र को मज़बूत करता है और कब्ज़ से राहत दिलाता है। खसखस में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो दिमाग के कामकाज को बढ़ाते हैं और याददाश्त को कमज़ोर होने से रोकते हैं। खसखस में मौजूद पोटैशियम, शरीर में सोडियम के स्तर को संतुलित करता है और हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखता है। खसखस की ठंडी तासीर से शरीर को ठंडक मिलती है और पाचन तंत्र मज़बूत होता है। खसखस में मौजूद एंटी-इंफ़्लेमेटरी गुण दर्द निवारक के तौर पर काम करते हैं और सूजन को कम करते हैं।

-खसखस में मौजूद आयरन, शरीर में खून की कमी को दूर करने में मदद करता है।

-खसखस का सेवन करने से दिमाग की थकान दूर होती है और ताकत मिलती है।

-खसखस का सेवन करने से स्किन की समस्याओं में भी आराम मिलता है।

खसखस यानी पोस्ता के दाने को अक्सर दूध में भिगोकर खाया जाता है । लेकिन सेहत से भरपूर खसखस को खाते समय कुछ सावधानी रखने की भी जरूरत है , नहीं तो ये खतरनाक भी हो सकता है।

खसखस के प्रकार ( types of poppy seeds)

खसखस के प्रकार की बात करें तो इसकी दो प्रजातियां मुख्यतौर पर देखीं जाती।जिसमें से एक नीला खसखस इसे यूरोपीय देशों में खसखस भी कहा जाता है, क्योंकि ये ज्यादातर ब्रेड और कन्फेक्शनरी (स्वीट एंड चॉकलेट) में देखे जाते हैं।सफेद खसखस इसे भारतीय या एशियाई खसखस भी कहा जाता है।

इन समस्याओं में लाभकारी है पोस्ता दाना यानी खसखस

1.माउथ अल्सर में राहत

खसखस माउथ अल्सर की एक आजमायी हुई रेमेडी है। जिसे, माउथ अल्सर होने पर खाया जाता है। आयुर्वेद में इसे शरीर की गर्मी को कम करने वाला फूड बताया गया है। छालों से राहत पाने के लिए इसे शक्कर के साथ फांक लें। छाले कम होने लगेंगे।

2. कॉन्स्टिपेशन से राहतः

कब्ज़ में आराम दिलाने के लिए भी पॉपी सीड्स या खसखस के दाने मदद करते हैं। इसमें, फाइबर की मात्रा ज़्यादा होती है। जो, कॉन्स्टिपेशन या कब्ज से बचाती है।

3. गठिया या जोड़ों के दर्द में राहत

यदि जोड़ों में दर्द या गठिया की समस्या है तो भी खसखस काफी लाभकारी है। इसका एन्टीइंफ्लमेट्री गुण दर्द निवारक के तौर पर काम करता है, साथ ही सूजन को कम करता है। कैल्शियम की प्रचुर मात्रा होने की वजह से ये हड्डियों को भी मजबूत बनाता है।

4. नींद ना आने की समस्या में राहत

यदि ठीक से नींद नहीं आती, दिमाग अक्सर तनाव में रहता है या डिप्रेशन की समस्या है तो खसखस इन समस्याओं को दूर करने में काफी मददगार है। इसके सेवन से दिमाग की थकान दूर होती है, ताकत मिलती है और स्ट्रेस दूर होता है, साथ ही मस्तिष्क रिलेक्स महसूस करता है जिसकी वजह से डिप्रेशन में आराम मिलता है और नींद बेहतर आती है।

5. सर दर्द में राहत

इसके अलावा खसखस का सेवन न्यूरोट्रांसमीटर के उत्पादन में सहायक है जिससे मस्तिष्क को बेहतर तरीके से काम करने में मदद मिलती है। सिर में दर्द की समस्या के दौरान खसखस का सेवन करने से काफी फायदा मिलता है।

6. त्वचा संबंधी समस्याओं में राहत

खसखस का सेवन करने से स्किन की भी तमाम परेशानियां कम होती हैं और शरीर को मजबूत बनता है। इसमें आयरन भी प्रचुर मात्रा में होता है, ऐसे में ये शरीर में खून की कमी को भी तेजी से दूर करने में कारगर है।

7. वेट लॉस में कारगर

खसखस वजन कम करने में भी मददगार है। इसे खाने के बाद काफी देर तक भूख का अहसास नहीं होता, जिसकी वजह से वजन नियंत्रित रहता है। इसके अलावा उल्टी पर रोक लगाने के लिए बराबर-बराबर की मात्रा में मूंग, पिप्पली, खस तथा धनिया का 5-10 ग्राम चूर्ण बना लें। इसे 6 गुना पानी में रात भर के लिए भिगो दें। सुबह छानकर पीने से पित्तज विकार के कारण होने वाली उल्टी ठीक हो जाती है।

8. पित्त कम करने में कारगर

3-6 ग्राम खस के चूर्ण में मधु मिलाकर चावल के धोवन के साथ पिएं। इससे पित्तज विकार की वजह से होने वाली उल्टी और अत्यधिक प्यास लगने की परेशानी ठीक होती है।

- पेट के कीड़ों को खत्म करने में कारगर

पेट के कीड़ों को खत्म करने के लिए खसखस उपयोगी होता है। इसके लिए 10-40 मिली खसखस का सेवन करें। इससे पेट के कीड़े खत्म होते हैं।

कुष्ठ रोग में भी कारगर

-कुष्ठ रोग में भी खसखस का प्रयोग लाभ पहुंचाता है। आपको 10-40 मिली की मात्रा में खसखस की जड़ का सेवन करना है। बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।

मूत्र विकारों में कारगर

-पेशाब का कम आना आदि में 2-4 ग्राम खस की जड़ के चूर्ण में 5 ग्राम मिश्री मिला लें। इसका सेवन करें। इससे कम पेशाब आने की समस्या ठीक हो जाती है। यह मूत्र के अन्य विकारों में भी लाभ देता है।

शरीर की जलन से परेशानी में कारगर

-शरीर की जलन से परेशानी रहती है तो खसखस की जड़ को पीसकर पूरे शरीर पर लगाएं। इससे शरीर की जलन शांत हो जाती है। इसी तरह लालचन्दन, चन्दन, खस तथा पद्माक का काढ़ा बना लें। इसे ठंडे पानी में मिलाएं। इस पानी से नहाने पर शरीर की जलन ठीक हो जाती है।

खून की कमी की समस्या में भी कारगर

-कई लोगों को एनीमिया (खून की कमी की समस्या) हो जाती है। इसमें 10-40 मिली खसखस का सेवन करें। इससे खून की कमी दूर होती है।

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ऐसे करें इस्तेमाल (Use it like this)

खसखस को रातभर के लिए पानी में भिगो दें। इसके बाद इसके दानों को बारीक पीस लें। इसके बाद या तो देसी घी का हलवा बनाकर खा सकते हैं, या दूध में एक चम्मच खसखस डालकर इसका सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा कुछ लोग खसखस के लड्डू भी बनाकर खाते हैं। लेकिन खसखस का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। इसके बारे में आप किसी विशेषज्ञ से परामर्श कर सकते हैं।

खसखस का भाव बाजार में 800 रूपये प्रति किलो से भी अधिक तक बाजार में है।

पोस्त पौधे से जुड़ी कुछ और बातें (Some more things related to poppy plant)

पोस्त पौधा भूमध्यसागर प्रदेश का मूल निवासी है।

पोस्त पौधे से अफ़ीम निकलती है, जो नशीली होती है।

पोस्त पौधे के पीले फूल को ’कैलिफ़ोर्निया पॉपी’ भी कहा जाता है।

पोस्ता दाना को खसखस भी कहा जाता है।

खसखस के बीज महंगे होते हैं, इसलिए इन्हें कभी-कभी ऐमारैंथस पैनिकुलैटस के बीजों के साथ मिलाया जाता है।

ये एक सुगंधित पौधा है। इसका वानस्पतिक नाम वेटिवीरिआ जिजेनिऑयडीज (VETIVRIA) है जिसकी व्युत्पत्ति तमिल के शब्द वेटिवर से हुई प्रतीत होती है। यह सुगंधित, लंबे पुष्पगुच्छवाला वर्षानुवर्षी पौधा है।

सौंदर्य वृद्धि में खसखस का इस्तेमाल ( Use of poppy seeds for beauty enhancement)

आपके त्वचा में किसी प्रकार का छोटा-मोटा जख़्म हुआ है तो वहां भी खसखस लगाने से तुरंत राहत मिल मिलती है।

खसखस लगाने का तरीका (method of planting poppy seeds)

चमकदार त्वचा पाने के लिए अगर आपकी त्वचा संवेदनशील है तो खस रूट पाउडर का इस्तेमाल शहद या दूध के साथ करें। इसके बेहतर परिणाम के लिए इसका त्वचा पर इस्तेमाल दिन में एक बार या हफ़्ते में तीन बार कर सकते हैं। अगर त्वचा में किसी तरह का घाव या छोटा-मोटा जख़्म हुआ है तो नारियल तेल के साथ खसखस मिलाकर लगाने से जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है।

बालों का झड़ना करें कम

खसखस में मिनरल जैसे कैल्शियम होता है जो बालों का झड़ना कम करके नए बाल उगाने में मदद करते हैं। खसखस के इस्तेमाल से बाल शाइनी और हेल्दी बनते हैं।

बालों में खसखस इस्तेमाल करने का तरीका

नारियल तेल में खसखस डालकर उसको अच्छी तरह से तेल में मिला लें। उसके बाद स्कैल्प में लगायें। बेहतर परिणाम के लिए इसको हफ़्ते में तीन बार इस्तेमाल कर सकते हैं।

खसखस का इस्तेमाल किस मौसम में करना होता है बेहतर (In which season is it better to use poppy seeds?)

वैसे तो खसखस के फायदे अनगिनत हैं और इसके औषधीय गुणों के कारण पूरे साल कभी भी इसका इस्तेमाल करने की जरूरत पड़ सकती है। लेकिन आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुरूप खसखस ठंडा होने के कारण इसका सेवन गर्मी के मौसम में करना ही फायदेमंद होता है। सर्दी के मौसम या मानसून में खसखस के सेवन से बचना चाहिए । गरमी के दिनों में खसखस से शरबत बनाया जाता है जिससे शरीर को ठंडक मिलती है।

इन देशों में होती है खसखस की खेती (Poppy seeds are cultivated in these countries)

पोस्ता दाना या खसखस, पॉपी कुल के पोस्त पौधे से मिलता है । पोस्ते के पौधे की खेती भारत, चीन, एशिया माइनर, तुर्की जैसे देशों में होती है। भारत में, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, और राजस्थान में पोस्त की खेती की जाती है। पोस्ता दाना के उत्पादन में तुर्की पहले नंबर पर है। इसके बाद चेक गणराज्य और स्पेन का नंबर आता है।

इन देशों में पोस्ते दाने के इस्तेमाल पर है कानूनी प्रतिबंध

चूंकि ये बीज अफीम के पौधे से प्राप्त किए जाते हैं इसलिए इनके इस्तेमाल पर कई देशों में कानूनी प्रतिबंध लगाया गया है। सिंगापुर में पापवर सोम्नीफेरम से प्राप्त किया पोस्ता के बीजों की बिक्री पर मॉर्फिन की मात्रा के कारण प्रतिबंध लगा दिया गया है । पोस्ता के बीजों पर ताइवान में भी प्रतिबंध है , मुख्य रूप से इस जोखिम के कारण कि व्यवहार्य बीजों को बेचा जाएगा और अफीम पोस्ता उगाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।

चीन ने खसखस ​​और खसखस ​​की फली से बने मसाला मिश्रणों पर प्रतिबंध लगा रखा है क्योंकि उनमें अफीम के अंश पाए जाते हैं, और कम से कम 2005 से ऐसा किया जा रहा है।

खसखस के नुकसान (Disadvantages of poppy seeds)

खसखस का सेवन हमेशा डॉक्टर के सलाह के अनुसार ही करना चाहिए। अत्यधिक मात्रा में खसखस ग्रास का सेवन करने से हद से ज्यादा पेट भरा हुआ महसूस होता है। सर्दी-खांसी होने पर खसखस का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए क्योंकि खस की तासीर ठंडी होती है। गर्भवती महिला या जो मां दूध पिलाती है वह खसखस का सेवन करने के पहले डॉक्टर से ज़रूर सलाह ले लें।

अरब व्यंजनों में ब्रेड मसाले के रूप में इसके वर्तमान उपयोग के बावजूद , सऊदी अरब में विभिन्न धार्मिक और ड्रग नियंत्रण कारणों से खसखस ​​पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। संयुक्त अरब अमीरात में एक चरम मामले में , एक यात्री के कपड़ों पर खसखस ​​के बीज पाए जाने के कारण कारावास हुआ। मलेशिया में एमपी दातुक मोहम्मद सईद यूसुफ ने चिंता जताई थी जिन्होंने 2005 में दावा किया था कि ममक रेस्तरां ग्राहकों को इसकी लत लगाने के लिए अपने खाना पकाने में खसखस ​​का इस्तेमाल करते हैं।

रूस में पापावर वंश की अफीम पैदा करने वाली किस्मों को उगाना अवैध है , हालांकि अधिकांश क्षेत्रों में पोस्त के बीजों की बिक्री प्रतिबंधित नहीं है।

पोस्ता दाना और अफ़ीम में अंतर इस प्रकार है (The difference between poppy seeds and opium is as follows)

पोस्ता मुख्य रूप से अफ़ीम के लिए बोया जाता है। अफ़ीम, पोस्ता के बीज कैप्सूल से निकलने वाले लेटेक्स को सुखाकर बनाई जाती है. अफ़ीम में करीब 12 प्रतिशत मॉर्फिन होता है, जो एक एनाल्जेसिक अल्कलॉइड है।

अफ़ीम से मॉर्फिन को रासायनिक रूप से संसाधित करके हेरोइन और अन्य सिंथेटिक ओपिओइड बनाए जाते हैं।

पोस्ता के भूसे से मॉर्फिन और अन्य ओपियेट्स बनाए जाते हैं। पोस्ता के भूसे को अफ़ीम का भूसा, कटा हुआ अफ़ीम का भूसा, कुचला हुआ पोस्त कैप्सूल, पोस्त भूसा या पोस्त भूसी के नाम से भी जाना जाता है।

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अफ़ीम बनाने की प्रक्रिया (Process of making opium)

कच्चे डोडे पर तेज चाकू से धारियां बनाई जाती हैं।इससे एक तरह का दूध निकलता है जो सूखकर गाढ़ा हो जाता है।इस गाढ़े दूध को खुरचकर हटा लिया जाता है। यह ही अफ़ीम होता है।

खसखस का पौधा गमले में कैसे उगाएं (How to grow poppy plant in pot)

चूँकि खसखस ​​के बीज बहुत छोटे होते हैं, इसलिए आपको गमले में उगाने के लिए उन्हें बारीक रेत के साथ मिलाकर मिश्रण के रूप में फैलाना होगा। इससे बीज एक ही जगह पर अधिक नहीं उगेंगे और बीज का समान वितरण सुनिश्चित होगा।

अंकुरण के लिए बीजों को प्रकाश की आवश्यकता होगी। इसलिए, बीजों को मिट्टी से 1/8 इंच से अधिक नहीं ढकें। ठंड और पिघलने की स्थितियों के संपर्क में आने से भी अंकुरण प्रक्रिया में तेजी आएगी। इसलिए, बीजों को देर से पतझड़ या बहुत शुरुआती बसंत में बोएं।

(लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं ।)

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