Chikungunya Vaccine: अच्छी खबर – चिकनगुनिया की वैक्सीन को मंजूरी, बुरी खबर – दुनिया भर में तेजी से बढ़े इस बीमारी के मामले
Chikungunya Vaccine: दुनिया में पहली बार चिकनगुनिया से बचाव के लिए वैक्सीन को मंजूरी दे दी गयी है। दुनिया भर में चिकनगुनिया के मामलों में बढ़ोतरी के बीच ये अच्छी खबर है। अमेरिका के औषधि नियामक एफडीए ने इस वैक्सीन के इस्तेमाल को अपनी सहमति प्रदान कर दी है।
Chikungunya Vaccine: दुनिया में पहली बार चिकनगुनिया से बचाव के लिए वैक्सीन को मंजूरी दे दी गयी है। दुनिया भर में चिकनगुनिया के मामलों में बढ़ोतरी के बीच ये अच्छी खबर है। अमेरिका के औषधि नियामक एफडीए ने इस वैक्सीन के इस्तेमाल को अपनी सहमति प्रदान कर दी है।
चिकनगुनिया में घुटनों के साथ-साथ हाथों और पैरों के जोड़ों में भी आमतौर पर दर्द होता है। दर्द इतना तेज़ हो सकता है कि कुछ लोगों को चलने या पानी का गिलास पकड़ने तक में भी कठिनाई होती है। डाक्टरों का कहना है कि चिकनगुनिया संक्रमण जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। अच्छा भला आदमी अचानक हिल नहीं सकता, आपको हर दिन के सामान्य कार्य करने के लिए किसी अन्य व्यक्ति की मदद की ज़रूरत पड़ने लगती है। हालाँकि मच्छरों से फैलने वाली यह बीमारी शायद ही कभी घातक होती है, लेकिन सबसे खराब लक्षण लंबे समय तक रहने वाला जोड़ों का दर्द हो सकता है।
नई वैक्सीन
अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा अनुमोदित एक नया टीका इस वायरस को दूर करने में मदद कर सकता है। ये भी बता दें कि चिकन्गुनिया नाम तंजानिया और मोज़ाम्बिक के कुछ हिस्सों में बोली जाने वाली भाषा से निकला है जिसका अर्थ है "विकृत हो जाना"
ख़ास जानकारी
एफडीए ने जिस वैक्सीन को मंजूरी दी है उसका नाम है - इक्सचिक। चिकनगुनिया वायरस के लिए दुनिया का यह पहला टीका 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए है। इसके लिए इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन द्वारा दी जाने वाली केवल एक खुराक की आवश्यकता होती है। ये टीका इस मायने में महत्वपूर्ण है कि इस बीमारी का वैश्विक दायरा बढ़ रहा है। एफडीए का कहना है कि चिकनगुनिया के इलाज के सीमित विकल्पों के मद्देनजर इस बीमारी की रोकथाम में यह एक महत्वपूर्ण प्रगति है। टीके की सुरक्षा लगभग 4,500 से जुड़े दो नैदानिक अध्ययनों पर आधारित है
यह बीमारी कैसे अपनी पहुंच बढ़ा रही?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ दक्षिण अमेरिका की ओर इशारा करते हैं। दक्षिण अमेरिका में इस वर्ष मामलों की संख्या पहले से ही सवा लाख नए मामलों तक पहुंच गई है। पराग्वे में इसका प्रकोप अपने चरम पर है, जहां इस वर्ष पहले ही 1,20,000 से अधिक मामले देखे जा चुके हैं। अर्जेंटीना में पहले जहां हर साल एक या दो से अधिक मामले नहीं आते थे वहीँ अब हर दिन चिकनगुनिया के मरीज़ अस्पताल पहुँच रहे हैं जिनमें कुछ बिना यात्रा इतिहास वाले भी शामिल हैं। इसका मतलब है कि, पहली बार, अर्जेंटीना के भीतर मच्छर बीमारी फैला रहे हैं।
क्यों बढ़ रहा है बीमारी का प्रकोप?
कोलंबिया यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के वायरोलॉजिस्ट निश्चय मिश्रा कहते हैं - मच्छर जहां भी जाएंगे, हमें चिकनगुनिया होगा। जलवायु बदलने और तापमान बढ़ने के साथ इस बात की अधिक संभावना है कि मच्छर हर जगह जीवित रह सकते हैं। और जब मच्छर होंगे तो बीमारियाँ होंगी।
दक्षिण अमेरिका के अलावा, चिकनगुनिया दुनिया के अन्य हिस्सों में एक समस्या है: भारत, चीन और अफ्रीका के कई देश इससे परेशान हैं। यहां तक कि अमेरिका, टेक्सास और फ्लोरिडा में भी पिछले वर्षों में बीमारी के स्थानीय संचरण की सूचना मिली है।
चिकनगुनिया का इलाज चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि कुछ लोग महीनों या वर्षों तक जोड़ों के दर्द से पीड़ित रहते हैं, भले ही उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली ने वायरस को खत्म करने के लिए एंटीबॉडी का निर्माण किया हो। अल्बर्ट आइंस्टीन कॉलेज ऑफ मेडिसिन के एक वायरोलॉजिस्ट मार्गरेट किलियन कहते हैं कि हम वास्तव में यह नहीं समझते हैं कि इस स्थिति का कारण क्या है। क्या जोड़ों में कोई वायरस छिपा रहता है? क्या यह सूजन है? हमें कुछ नहीं पता।