Social Media Addiction: सोशल मीडिया एडिक्शन से बच्चे हो रहे आक्रामक, पेरेंट्स चाहते हैं कानून बने
Social Media Addiction: भारत के कम्युनिटी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लोकलसर्कल्स द्वारा किए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि ऑनलाइन रहने की लत विशेष रूप से कोरोना लॉकडाउन के दौरान शुरू हुई।
Social Media Addiction: अगर आपके बच्चे आक्रामक, आलसी या उदास हैं, तो बहुत मुमकिन है कि वे सोशल मीडिया, ओटीटी और ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म के एडिक्शन के शिकार हो गए हैं।
देश के 296 जिलों में 46,000 से अधिक लोगों पर किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार लगभग 61 प्रतिशत शहरी भारतीय माता-पिता ने बताया है कि उनका बच्चा सोशल मीडिया पर अत्यधिक समय बिताता है और उसमें एकाग्रता की कमी के साथ न केवल आक्रामकता बल्कि अधीरता और अति सक्रियता के लक्षण भी दिखाई देते हैं।
बच्चों पर सोशल मीडिया के खराब असर के डर से 73 फीसदी माता-पिता चाहते हैं कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया, ओटीटी, वीडियो और ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म में शामिल होने के लिए माता-पिता की अनिवार्य सहमति सुनिश्चित की जाए और इसके लिए डेटा संरक्षण कानून बनाया जाए।
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ऑनलाइन रहने की लत कोरोना लॉकडाउन से
भारत के कम्युनिटी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लोकलसर्कल्स द्वारा किए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि ऑनलाइन रहने की लत विशेष रूप से कोरोना लॉकडाउन के दौरान शुरू हुई। हालाँकि 2022 की शुरुआत से बच्चे कोरोना के बाद स्कूल में वापस आ गए लेकिन मनोरंजक गतिविधियों के लिए उनका इंटरनेट उपयोग बहुत बढ़ गया है।
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सर्वे के अनुसार, वीडियो देखने, अपने पसंदीदा ऑनलाइन गेम खेलने या दोस्तों के साथ जुड़े रहने की इस इच्छा से प्रेरित होकर शहरी क्षेत्रों में कई बच्चे घर पर पूर्णकालिक या अंशकालिक गैजेट एक्सेस की मांग कर रहे हैं।
बच्चों में गैजेट की लत
9 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों में गैजेट की लत नई वास्तविकता बन गई है। इससे अधीरता और आक्रामकता, एकाग्रता की कमी, याददाश्त संबंधी समस्याएं, सिरदर्द, आंख और पीठ की समस्याएं, तनाव, चिंता, संचार संबंधी समस्याएं, सुस्ती और यहां तक कि अवसाद भी हो रहा है।
कई माता-पिता ने कहा है कि वे अपने बच्चों द्वारा उपयोग किए जा रहे विभिन्न सोशल मीडिया और गेमिंग ऐप्स से अनजान हैं। बच्चों द्वारा ऑनलाइन क्या इस्तेमाल किया जा रहा है इसका कोई हिसाब नहीं है।
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लोकलसर्कल्स के संस्थापक सचिन टापरिया के अनुसार, सरकार नए डिजिटल निजी डेटा संरक्षण कानून को लागू कर रही है, जो 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों द्वारा उपयोग किए जाने वाले ऐप्स के लिए माता-पिता की सहमति लेना अनिवार्य बनाता है। उन्होंने कहा, प्लेटफ़ॉर्म इस तरह की आयु-ग्रेडिंग को लागू करने के लिए कोशिश कर रहे हैं।