Chronic Kidney Disease: किडनी कमजोर होने के लक्षण, जानिये क्रोनिक किडनी डिजीज से बचाव के उपाय

Chronic Kidney Disease: अगर किसी को किडनी की बीमारी का पता चलता है तो यह प्रभावित करेगा। जीवन भर स्वस्थ रहना चाहते हैं? कमजोर किडनी के इन संकेतों पर ध्यान दें और क्रोनिक किडनी रोग को रोकने के लिए सुझावों के लिए पढ़ें ये खबर

Written By :  Preeti Mishra
Update:2023-03-02 08:11 IST

Chronic Kidney Disease (Image credit: social media)

Chronic Kidney Disease: क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) या क्रोनिक किडनी फेल्योर का मतलब किडनी की कार्यक्षमता का धीरे-धीरे कम होना है क्योंकि हमारी किडनी रक्त से अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ को फिल्टर करती है, जिसे बाद में हमारे मूत्र में निकाल दिया जाता है लेकिन अगर किसी को किडनी की बीमारी का पता चलता है तो यह प्रभावित करेगा। आप अपनी दैनिक गतिविधियों को आसानी से नहीं कर पाएंगे और उन्नत क्रोनिक किडनी रोग वाले व्यक्ति को डायलिसिस पर जाना होगा और जीवित रहने के लिए गुर्दा प्रत्यारोपण की भी आवश्यकता हो सकती है।

एक्सपर्ट के अनुसार मधुमेह, मोटापा, धूम्रपान, उम्र, पॉलीसिस्टिक किडनी रोग या अन्य विरासत में मिली गुर्दे की बीमारी, हृदय रोग, बार-बार होने वाले गुर्दे के संक्रमण के रूप में जाना जाता है। वृक्कगोणिकाशोध (pyelonephritis)और ऐसी दवाएं लेना जो गुर्दों को नुकसान पहुँचा सकती हैं, कुछ ऐसे कारक हैं जो गुर्दों की बीमारी का कारण बनते हैं।


क्रोनिक किडनी डिजीज के संकेत या लक्षण :

- मतली,

- उल्टी,

- खराब भूख,

- कमजोरी,

- नींद में असमर्थता,

- बार-बार या कम पेशाब आना,

- मांसपेशियों में ऐंठन,

- पैरों और टखनों में सूजन,

- सूखी,

- खुजली वाली त्वचा,

- उच्च रक्तचाप,

- सांस लेने में असमर्थता भी शामिल हैं।

- फेफड़ों में तरल पदार्थ का निर्माण और यहां तक ​​कि सीने में दर्द भी।

- इसके अलावा फ्लूइड रिटेंशन के कारण आपके हाथों और पैरों में सूजन,

- उच्च रक्तचाप,

- एनीमिया,

- हृदय रोग,

- कमजोर हड्डियां और

- हड्डियों के टूटने का खतरा भी बढ़ जाता है, जिससे केंद्रीय तंत्रिका तंत्र क्षतिग्रस्त हो जाता है, कम प्रतिरक्षा, संक्रमण और गर्भावस्था की जटिलताएं होती हैं।

क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) से बचाव के विभिन्न उपाय:

 नियमित चेक-अप के लिए जाना न भूलें:

यदि आपको गुर्दे की बीमारी होने की अधिक संभावना है, तो आपको अपने उपचार करने वाले डॉक्टर के पास नियमित रूप से नियमित स्वास्थ्य जांच और फॉलो-अप के लिए जाना होगा।

डॉक्टर के सुझाव के अनुसार अपने रक्तचाप की जाँच करें:

उच्च रक्तचाप आपके गुर्दों पर बुरा असर डाल सकता है और आपको गुर्दों की बीमारी के लिए अतिसंवेदनशील बना सकता है। यदि आपका रक्तचाप उच्च रहता है, तो आपका डॉक्टर आपको एक दवा लिखेगा। जीवनशैली में सरल परिवर्तन करना, जैसे नमक का सेवन और शराब कम करना,

 रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रण में रखना:

यदि आपको मधुमेह है, तो अपने गुर्दे की रक्षा करने का सबसे अच्छा तरीका रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रण में रखना है। दवा लें और रक्त शर्करा के स्तर का प्रबंधन करें।

व्यायाम:

यह आपको स्वस्थ वजन रखने, रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने और गुर्दे की बीमारी के जोखिम को कम करने में मदद करेगा।

 धूम्रपान छोड़ें:

धूम्रपान न केवल आपके फेफड़ों पर बल्कि गुर्दों पर भी बुरा प्रभाव डालता है। धूम्रपान छोड़ना व्यक्ति के लिए हर सूरत में फायदेमंद होता है।

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