Congenital Heart Disease : गर्भावस्था के समय ना करें ये गलतियां, बच्चों में हो सकता है हार्ट का खतरा
Congenital Heart Disease : कई बार जन्म के समय बच्चों के हार्ट में समस्या देखने को मिलती है। यह समस्या गर्भावस्था के दौरान की गई कुछ गलतियों की वजह से भी हो सकती है।
Congenital Heart Disease : किसी भी महिला के लिए प्रेगनेंसी का समय काफी महत्वपूर्ण होता है। हालांकि इन दिनों खराब लाइफस्टाइल के कारण दिल की समस्या बढ़ रही है जो कि प्रेगनेंट लेडी को ज्यादा प्रभावित कर सकती है। कई बार यह जेनेटिक प्रॉब्लम भी होता है। इसलिए बच्चों के जन्म के समय हार्ट में अक्सर गड़बड़ी पाई जाती है, जिसे डॉक्टर की भाषा में कंजेटियल हार्ट डिजीज कहते हैं। अब यह किस कारण से होता है, इसके बारे में आज हम आपको थोड़ा डिटेल्स में बताएंगे। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको इसके लक्षण भी बताते हैं।
क्या है ये डिजीज
कंजेनिटल हृदय रोग विभिन्न प्रकार की हृदय असमर्थता या हृदय संबंधी समस्याओं का समूह होता है जो गर्भावस्था के दौरान शिशु के दिल के विकास के दौरान होती हैं। ये समस्याएं विभिन्न कारणों से हो सकती हैं, जैसे जेनेटिक विकास के दौरान अविकसित हृदय संरचनाओं में कोई गड़बड़ी, आंतरिक जीवन शैली और पर्यावरण कारकों का प्रभाव, या मात्रात्मक या जीवाणु असाधारणता। यह हृदय समस्याएं अलग-अलग हो सकती हैं, जैसे कि अलग-अलग हृदय संरचनाओं में गलती, अलग-अलग वाल्व्स के असमर्थता और अन्य स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं आदि। कुछ मामलों में कंजेनिटल हृदय रोग का पता जन्म के समय ही लग जाता है, जब शिशु का जन्म होता है लेकिन, दूसरे मामलों में यह समस्याएं बचपन में पता चलती हैं और कई बार यह समस्याएं वयस्कता के समय में भी पहचानी जाती हैं।
लक्षण
सांस लेने में परेशानी: हृदय रोग से प्रभावित शिशु को सांस लेने में कठिनाई हो सकती है और वे अक्सर सांस लेने के दौरान थक जाते हैं।
रंग में बदलाव: शिशु का सांस लेते समय चेहरा या लाल हो सकता है।
वजन कम होना: हृदय रोग के बालकों का वजन आमतौर पर सामान्य से कम होता है।
ध्वनि: कुछ बच्चों के हृदय रोग के लक्षणों में गले में विशेष ध्वनियों की सुनाई देने की संभावना होती है, जैसे कि दबाव, सुनने में गलती, या गुटका ध्वनि।
बाल्यकाल में थकान: बच्चों में हृदय रोग के लक्षण में अनियमित और अन्य सामान्य स्थितियों में असामान्य थकान हो सकती है।
होने के कारण
अगर गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज की समस्या हो तो बच्चे के दिल पर प्रभाव पड़ सकता है।
प्रेगनेंसी के दौरान स्मोक करने या शराब पीने की वजह से भी बच्चे इस डिजीज का शिकार हो सकते हैं।
जेनेटिक कारणों की वजह से बच्चों में यह कंडीशन पैदा हो सकती है।
कई बार दवाइयां की वजह से भी बच्चों के दिल में यह समस्या हो जाती है।
प्रेगनेंसी के दौरान यदि महिला को रूबेला हो जाए तो बच्चे में इस डिजीज का खतरा बढ़ जाता है।