Omicron Variant: क्या एक बार उबर चुके मरीजों को दोबारा संक्रमित कर सकता है ओमिक्रॉन? जानें WHO ने क्या दिया जवाब
Omicron Variant: कोरोना वायरस के नए वेरिएंट 'ओमिक्रॉन’ की दस्तक के बाद देश में संक्रमितों की संख्या में खासा इजाफा हुआ है। कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ती ही रही है।
Omicron Variant : कोरोना वायरस (Coronavirus) के नए वेरिएंट 'ओमिक्रॉन' (Omicron Variant) की दस्तक के बाद देश में संक्रमितों की संख्या में खासा इजाफा हुआ है। कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ती ही रही है। वहीं, ओमिक्रॉन को लेकर अब तक तरह कई सवालों के जवाब अनुत्तरित हैं। इन्हीं में एक सवाल अहम है, कि क्या ओमिक्रॉन किसी व्यक्ति को दूसरी बार संक्रमित कर सकता है (Can the Omicron variant reinfect a person)?
करोड़ों मन में उठने वाले इस सवाल का जवाब दिया है विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और एक्सपर्ट्स ने। कहा जा रहा है कि नए वेरिएंट से दोबारा संक्रमित होने की संभावनाएं काफी ज्यादा हैं। अतः इस जवाब ने उस अवधारणा पर विराम लगा दिया, जिसमें यह माना जा रहा था कि एक बार संक्रमण के बाद दोबारा इसकी संभावना कम हो जाती होगी।
लंबे समय पहले टीकाकरण करा चुके लोगों की बढ़ी चिंता
समाचार दैनिक 'हिंदुस्तान टाइम्स' में छपी खबर के अनुसार, ओमिक्रॉन वेरिएंट (Omicron Variant) को लेकर प्रकाशित एक नोट में डब्ल्यूएचओ (WHO) ने कहा है, कि यह वेरिएंट लोगों में मौजूद पिछली इम्युनिटी से बच सकता है तथा पहले कोविड का शिकार हो चुके लोगों को फिर से संक्रमित कर सकता है। इस जानकारी के बाद वैक्सीन हासिल नहीं करने वालों और लंबे समय पहले टीकाकरण करा चुके लोगों की चिंताएं बढ़ गई हैं।
20-30 साल के करीब उम्र वाले युवाओं में हुआ ज्यादा प्रसार
दिसंबर 2021 में जारी एक नोट में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा था, कि 'जो लोग कोविड-19 से उबर चुके हैं। डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रॉन से उनके संक्रमित होने की संभावनाएं 3 से 5 गुना ज्यादा हैं। हालांकि, WHO ने यह भी कहा, कि इस बात का अभी तक कोई सबूत नहीं मिल सका है कि डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रॉन ज्यादा गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है। WHO ने आगे कहा, कि वायरस का ज्यादातर प्रसार 20 और 30 साल के आसपास वाले युवाओं में हुआ है।'
ओमीक्रॉन फेफड़ों को आसानी से संक्रमित नहीं करता
ओमीक्रॉन के घातक नहीं होने का एक कारण यह भी है कि यह वेरिएंट पिछले स्वरूपों की तुलना में फेफड़ों को आसानी से संक्रमित नहीं करता। ऐसी ही एक स्टडी कंसोर्टियम ऑफ जापानीज एंड अमेरिकन साइंटिस्ट्स (Consortium of Japanese and American Scientists) में प्रकाशित हुई थी। जिसमें चूहों और हैम्स्टर पर प्रयोग किए गए थे। बेल्जियम में हैम्सटर पर हुई एक अन्य स्टडी में भी इसी तरह के नतीजे सामने आए थे।
टीका नहीं लेने वाले 96 प्रतिशत तक संक्रमित
कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट को अब तक 'हल्का' माना जा रहा है। इसकी एक वजह शायद ये भी रही, क्योंकि बीते साल डेल्टा वेरिएंट की तुलना में यह अब तक कम जानलेवा रहा है। लेकिन अगर किसी ने कोरोना की वैक्सीन नहीं ली है, तो उसके लिए ओमिक्रॉन भी कहर बरपा सकता है। मुंबई के आंकड़े इसकी तस्दीक करते हैं। यहां कोरोना से संक्रमित जिन लोगों को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखे जाने की जरूरत पड़ रही है, उनमें से अधिकांश ने टीका नहीं लिया है। यह जानकारी मुंबई नगरपालिका के मुखिया ने दी है।
6 जनवरी 2022 तक के आंकड़ों पे नजर दौड़ाएं तो बीएमसी कमिश्नर इकबाल चहल के अनुसार, 'ऑक्सीजन बेड पर भर्ती 1,900 कोरोना मरीजों में से 96 फीसदी ऐसे हैं, जिन्होंने टीका नहीं लिया था। जबकि, सिर्फ 4 फीसदी ही टीकाकृत मरीज हैं।'