कोरोना की नई लहरः त्योहारी भीड़ बनेगी मुसीबत का सबब
दिल्ली में इस समय रोजाना लगभग 2700 नए मामले सामने आ रहे हैं। विशेषज्ञों की समिति ने दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को एक रिपोर्ट सौंपी है जिसमें समिति ने यह कहा है
नई दिल्ली: तालाबंदी में धीरे धीरे छूट दिए जाने के बाद जिन राज्यों में त्योहारों से जुड़े कार्यक्रम आयोजित किए गए, उनमें कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ गए हैं। अब आने वाले नवरात्रि, दुर्गा पूजा, दशहरा, दीवाली, छठ जैसे त्योहारों को देखते हुए संक्रमण के मामलों में उछाल आने की आशंका व्यक्त की जा रही है। नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञों की समिति ने इस विषय पर चिंता व्यक्त की है और कहा है कि अगर आने वाले त्योहारों को लेकर सावधानी नहीं बरती गई तो अकेले दिल्ली में रोजाना संक्रमण के 15,000 नए मामले आ सकते हैं।
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दिल्ली में इस समय रोजाना लगभग 2700 नए मामले सामने आ रहे हैं
दिल्ली में इस समय रोजाना लगभग 2700 नए मामले सामने आ रहे हैं। विशेषज्ञों की समिति ने दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को एक रिपोर्ट सौंपी है जिसमें समिति ने यह कहा है कि केरल में ओणम और महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी के कार्यक्रमों के आयोजन के बाद देखा गया कि दोनों राज्यों में महामारी गंभीर रूप से बढ़ गई। समिति ने प्राधिकरण से अपील की ऐसी गलती को दिल्ली में दोहराया नहीं जाना चाहिए और त्योहार संबंधित आयोजनों को परिवार के सदस्यों तक सीमित रखना चाहिए।
भीड़ बढ़ने से होगी मुसीबत
समिति ने कहा कि बाजारों और रिहायशी इलाकों में वैसे ही भीड़ बढ़ रही है और ऐसे में अगर त्योहारों की वजह से अगर भीड़ और बढ़ी तो स्थिति में धीरे धीरे होते सुधार के फायदों से दिल्ली हाथ धो बैठेगी। केरल में ओणम के कार्यक्रम अगस्त के आखिरी सप्ताह और सितंबर के पहले सप्ताह के बीच आयोजित किए गए थे। उसके बाद के सप्ताहों में राज्य में सक्रिय मामलों में दोगुने से भी ज्यादा बड़ी उछाल आई है।
इस समय केरल में 92,246 सक्रिय मामले हैं और अब रोजाना 10,000 से भी ज्यादा नए मामले सामने आने लगे हैं। केरल उन राज्यों में भी शामिल हो गया है जहां कोविड-19 से मारे जाने वालों की संख्या भी सबसे तेजी से बढ़ रही है। सक्रिय मामलों के लिहाज से केरल अभी सभी राज्यों में तीसरे स्थान पर है। पहले स्थान पर महाराष्ट्र और दूसरे पर कर्नाटक हैं।
गणेश चतुर्थी भी अगस्त के आखिरी सप्ताह में मनाई गई थी
गणेश चतुर्थी भी अगस्त के आखिरी सप्ताह में मनाई गई थी और एक रिपोर्ट के अनुसार उसके बाद महाराष्ट्र में 3.7 लाख नए मामले सामने आए जो राज्य में संक्रमण के कुल मामलों के 46 प्रतिशत के बराबर है। जानकार इसे इस बात का स्पष्ट संकेत मानते हैं कि त्योहारों में लोगों के घर के बाहर निकल कर कार्यक्रमों में शामिल होने से महामारी के फैलने की रफ्तार बढ़ जाती है।
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अक्टूबर और नवंबर में कई राज्यों में एक के बाद एक कई त्योहार धूम धाम से मनाए जाते हैं। इस बार इन त्योहारों को लेकर अलग अलग राज्यों में अलग स्थिति है। दिल्ली में दुर्गा पूजा का आयोजन वाली समितियों ने पंडाल ना लगाने का फैसला लिया है, लेकिन पश्चिम बंगाल में पंडाल लगने शुरू हो गए हैं और लोग भी त्योहारों से संबंधित खरीददारी के लिए बाजारों में नजर आ रहे हैं। दिल्ली में भी कुछ लोग सरकार से रामलीला मंचन और दशहरा मेलों के आयोजन की अनुमति दिए जाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन विशेषज्ञ समिति की मानें तो ऐसा करना जोखिम भरा होगा।
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