फेफड़ों में पहुंचकर जानलेवा हो जाता है कोरोना, फिर इस तरह करता है हमला

कोरोना वायरस ने इस समय पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले रखा है और पूरी दुनिया के वैज्ञानिक और चिकित्सक इस वायरस के हमले के बारे में जानकारी जुटाने में जुटे हैं। वैज्ञानिकों और चिकित्सकों का मानना है कि कोई भी ऐसा इंसान इस वायरस की चपेट में आसानी से आ जाता है जिसकी प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) कमजोर होता है।

Update: 2020-04-16 13:36 GMT

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। कोरोना वायरस ने इस समय पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले रखा है और पूरी दुनिया के वैज्ञानिक और चिकित्सक इस वायरस के हमले के बारे में जानकारी जुटाने में जुटे हैं। वैज्ञानिकों और चिकित्सकों का मानना है कि कोई भी ऐसा इंसान इस वायरस की चपेट में आसानी से आ जाता है जिसकी प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) कमजोर होता है। किसी भी इंसान के फेफड़े में पहुंचने के बाद यह वायरस काफी खतरनाक हो जाता है क्योंकि तब यह अपना कुनबा बढ़ाने लगता है।

फेफड़े में पहुंचकर बढ़ाता है कुनबा

ब्रिटेन की डॉक्टर सारा जार्विस का कहना है यदि किसी व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है और वह व्यक्ति इस वायरस की चपेट में आ जाए तो यह वायरस उस व्यक्ति के फेफड़े में पहुंच जाता है। फेफड़े में पहुंचने के बाद यह वायरस अपना कुनबा बढ़ाता है। डॉक्टरों का कहना है कि वायरस की संख्या बढ़ने के बाद उस व्यक्ति के फेफड़े में सूजन आ जाती है और उसकी कार्यक्षमता पूरी तरह प्रभावित हो जाती है।

ऐसे हावी हो जाता है या वायरस

डॉक्टर सर्विस का कहना है कि जब यह वायरस किसी इंसान के शरीर में प्रवेश करता है तो उसका इम्यून सिस्टम इस वायरस से लड़ता है। इम्यून सिस्टम के कमजोर होने पर फेफड़ों की स्वस्थ कोशिकाएं खराब हो जाती हैं और इससे निमोनिया और सांस संबंधी तकलीफ हो जाती है। इसके बाद वायरस तेजी से हावी हो जाता है।

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ऐसे में सांस लेना हो जाता है कठिन

चिकित्सकों का कहना है कि वायरस जब सांस की नली से होते हुए सांस लेने में मदद करने वाले अंगों और फेफड़ों की कोशिकाओं में पहुंचता है तो स्थिति खराब हो जाती है। ऐसा होने पर व्यक्ति को सीने में दर्द का एहसास होता है और सांस लेने में तकलीफ होती है क्योंकि वायरस के कारण सांस लेने में इस्तेमाल होने वाले सभी अंगों में सूजन आ जाती है।

गले में रुकने पर नुकसान कम

कोरोना वायरस नाक और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। शरीर को होने वाला नुकसान इस बात पर निर्भर करता है कि वायरस शरीर के भीतर कितना गया। ऐसे लोगों की सूखी खांसी और बुखार की तकलीफ घर पर ही ठीक हो जाती है।

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नुकसान को ठीक करता है शरीर

अमेरिका के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर जेफरी टॉप टॉबेनबर्गर का कहना है कि जब वायरस से फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है तो शरीर उसकी मरम्मत की कोशिश में लग जाता है। अगर यह प्रक्रिया सफल हो जाती है तो संक्रमण कुछ दिन में ठीक हो सकता है मगर सफल न होने पर दिक्कतें खड़ी हो जाती हैं।

कुछ मामलों में इम्यून सिस्टम गलती भी कर जाता है जिससे वायरस फेफड़ों के भीतर पहुंचकर स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है।

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फिर हो जाता है मल्टी ऑर्गन फेल्योर

चिकित्सक बताते हैं कि यह वायरस एल्वियोली को भी प्रभावित करता है जिसका काम खून में ऑक्सीजन पहुंचाना होता है। इसके अलावा कार्बन डाइऑक्साइड को निकालना होता है। इससे एल्वियोली में सूजन आ जाती है और उसमें पानी या पस बढ़ जाता है जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है। इस कारण रक्त में ऑक्सीजन भी कम मात्रा में पहुंचती है। इस कारण मल्टी ऑर्गन फेल्योर के हालात पैदा हो जाते हैं।

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