Coronavirus: कोरोना संक्रमित गर्भवती के बच्चे पर महामारी का होगा कैसा असर, रिसर्च में हुआ बड़ा खुलासा

Coronavirus New Research: एक रिसर्च में सामने आया है कि प्रेग्नेंसी के दौरान कोरोना संक्रमित हुए महिलाओं के बच्चों पर कोरोना का क्या असर पड़ेगा? यह शोध 'जर्नल ऑफ पेरिनाटल मेडिसिन' में प्रकाशित हुआ है।

Newstrack :  Network
Published By :  Shreya
Update:2021-12-22 09:48 IST

(कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Coronavirus New Research: कोरोना वायरस महामारी (Corona Virus Maharmari) से अब तक पूरी दुनिया बुरी तरह जूझ रही है। दूसरी लहर के दौरान कोविड का सबसे भयावह रूप देखने को मिला। अब भी दुनियाभर में कोरोना को लेकर तरह तरह के शोध (Corona Par Shodh) जारी हैं। इस बीच एक रिसर्च में सामने आया है कि प्रेग्नेंसी (Pregnancy) के दौरान कोरोना संक्रमित हुए महिलाओं के बच्चों पर कोरोना का क्या असर पड़ेगा? यह शोध 'जर्नल ऑफ पेरिनाटल मेडिसिन' में प्रकाशित हुआ है। 

शोध में बताता गया है कि जिन प्रेग्नेंट महिलाओं (Pregnant Women) को कोरोना हुआ था, उनसे पैदा हुए बच्चों का छह महीने तक फॉलोअप करने पर उनके वृद्धि और विकास के आश्वस्त करने वाले पैटर्न दिखे हैं। यह खुलासा अमेरिका की एक रिपोर्ट में हआ है। इस शोध की वरिष्ठ लेखिका और लुरी चिल्ड्रन अस्‍‍‍‍‍‍पताल की नियोनेटोलॉजिस्ट और प्रेंटिस महिला अस्पताल के न्यूबॉर्न नर्सरी की मेडिकल डायरेक्टर प्रोफेसर मलिका शाह ने कहा कि हमने ऐसे बच्चों पर 6 महीने तक फॉलोअप किया था, इस दौरान इन बच्चों में सामान्‍य बच्‍चों की ही तरह ग्रोथ पैटर्न और विकासात्‍मक पड़ाव देखा गया।   

(सांकेतिक फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

सामान्य बच्चों की तरह रहा विकास 

उन्होंने बताया कि सामान्य बच्चों की ही तरह इनमें वृद्धि और विकास के आश्वस्त करने वाले पैटर्न दिखे। साथ ही इनमें विकास संबंधी रेफरल रेट भी अधिक नहीं है। महामारी के दौर में यह एक बेहद अच्छी खबर सामने आई है। बताया गया है कि इस रिसर्च में कुल 33 महिलाओं को शामिल किया गया था। इन सभी महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान कोरोना संक्रमण हुआ था। इन अमेरिकी महिलाओं में से 55 प्रतिशत को Delivery के 10 दिन के अंदर ही कोरोना हो गया था। जबकि किसी भी बच्चे की कोरोना टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं आई थी। 

इन सभी बच्चों के स्वास्थ्य और विकास पर खास नजर बनाकर रखी गई। प्रोफेसर मलिका शाह ने कहा कि यह अध्ययन अप्रैल से जुलाई 2020 के बीच पैदा हुए नवजात बच्चों पर किया गया। तब तक कोविड वैक्सीन भी दुनिया में उपलब्ध नहीं हुई थी। उन्होंने यह भी बताया कि जब अध्ययन हुआ था उस वक्त तक कोरोना वेरिएंट्स के बारे में जानकारी नहीं थी। ऐसे में कोविड स्वरूपों के सामने आने के बाद कितनी परिस्थिति बदली। इस पर कुछ कहा नहीं जा सकता। ऐसे में इस बारे में रिसर्च के निष्कर्ष का इंतजार है। 

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