Health Tips: रोजा के दौरान सेहत का कैसे रखें ख्याल, डायबिटीज एक्सपर्ट डा. एके तिवारी ने बताया
Health Tips: मधुमेह की समस्या से जूझ रहे लोगों को रमजान के दौरान उपवास रखने में सावाधानी बरतनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मधुमेह के रोगियों को डॉक्टरों से परामर्श कर उपवास करना चाहिए।
Health Tips: शनिवार यानि 2 अप्रैल से रमजान का पवित्र महिना प्रारंभ हो सकता है। अगर 2 अप्रैल की रात चांद दिखाई देता है तो अगले दिन यानि 3 अप्रैल रविवार से रोजा रखा जाएगा। रोजा पूरे दिन भूखे–प्यासे रहकर अल्लाह की इबाबद की जाती है। ऐसे में वे इस्लाम के अनुनायी जो मधुमेह के मरीज (diabetic patients) हैं उनके लिए ये समय सेहत को लेकर खासा चुनौतीपूर्ण होता है। जाने माने मधुमेह विशेषज्ञ और जय क्लिनिक डायबिटीज केयर के डायरेक्टर डा एके तिवारी ने अपने क्लिनिक में रोजा रखने वाले डायबिटीज के मरीजों के लिए एक शिविर का आय़ोजन किया।
इस दौरान डॉ तिवारी ने कहा कि मधुमेह की समस्या से जूझ रहे लोगों को रमजान के दौरान उपवास रखने में सावाधानी बरतनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मधुमेह के रोगियों को डॉक्टरों से परामर्श कर उपवास करना चाहिए। लोगों को सहरी और इफ्तार के दौरान खान-पान की भी हिदायत दी गई।
व्रत का पालन करने के लिए दिशा-निर्देश
डॉ. एके तिवारी जो हिडा के संस्थापक अध्यक्ष भी हैं, ने आज यहां एक बयान में कहा कि आईडीएफ मधुमेह और रमजान अलायंस (डीएआर) ने 14 जोखिम कारकों को वर्गीकृत करते हुए दिशानिर्देश जारी किए थे जिन्हें उपवास करते समय ध्यान में रखा जाना चाहिए। डॉ तिवारी ने कहा कि मधुमेह और रमजान (डीएआर) समूह ने इसके तहत एक जोखिम स्कोर विकसित किया है जिसमें व्रत का पालन करने के लिए कुछ दिशा-निर्देश जारी किए गए थे। इन दिशानिर्देशों में रोगी की समग्र स्थिति, उसके द्वारा ली जा रही इंसुलिन सहित दवाएं, लो और हाई शूगर की समस्या और अन्य मुद्दों के बारे में संकेत दिया गया था।
उन्होंने कहा कि गाइडलाइंस के तहत हाई रिस्क कैटेगरी में आने वालों को व्रत न रखने की सलाह दी गई है। डॉ तिवारी ने कहा कि "मध्यम जोखिम" वाले रोगियों को भी उपवास नहीं रखना चाहिए, लेकिन अगर वे जोर देते हैं, तो उन्हें जटिलताओं से अवगत कराना और आपात स्थिति में इससे कैसे निपटना है, जिसमें उपवास को तत्काल बंद करना भी शामिल है। डॉ तिवारी ने आगे कहा कि कम जोखिम वाले लोग अपनी स्वास्थ्य स्थिति का समग्र आकलन करने के बाद उपवास रख सकते हैं। डॉ तिवारी ने कहा कि उपवास शुरू करने से पहले मरीजों को अपने डॉक्टर से इस बारे में सलाह लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उपवास के दौरान ब्लड शूगर की जांच करने में कोई बुराई नहीं है।
रमजान के दौरान आहार प्रबंधन
रमजान के दौरान आहार प्रबंधन का जिक्र करते हुए डॉ तिवारी ने कहा कि दैनिक अनुशंसित कैलोरी को तीन भोजन- सहरी, इफ्तार, रात का खाना और यदि आवश्यक हो तो 1-2 स्नैक्स में विभाजित किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि आहार संतुलित होना चाहिए जिसमें कम और मध्यम ग्लाइसेमिक फल और सब्जियां शामिल हों। उन्होंने कहा कि व्रत रखने वाले ऐसे रोगियों को चाहिए कि वे सूर्यास्त और सूर्योदय के बीच बिना मीठे पेय पदार्थों का सेवन करके खुद को हाइड्रेट रखें।
चिलचिलाती गर्मी के दौरान नारियल पानी, सत्तू, बिना चीनी के फलों का रस, रेशों वाला ताजा रस, छाछ जैसे पेय पदार्थ का सेवन करें। मधुमेह रोगी जो उपवास कर रहे हैं उन्हें कैफीनयुक्त पेय पदार्थ, तंबाकू और धूम्रपान से परहेज करना चाहिए। उन्होंने कहा कि चूंकि इस वर्ष उपवास की अवधि लंबी होने वाली है, इसलिए बढ़ते पारा के दौरान शरीर को हाइड्रेटेड रखना आवश्यक है। डॉ तिवारी ने कहा कि रोजा रखने वाले डायबिटीज के मरीज नियमित तौर पर अपने ब्लड शूगर की जांच करें और डॉक्टर के परामर्श पर दवा का सेवन करें।
उपवास के दौरान व्यायाम से परहेज करें
डॉ तिवारी ने कहा कि सभी रोगियों को अपना उपवास तोड़ना चाहिए यदि -ब्लड शुगर 70 मिलीग्राम / डीएल या कम है, ब्लड शूगर 300 मिलीग्राम / डीएल और उससे अधिक है और यदि हाइपोग्लाइकेमिया, हाइपरग्लाइकेमिया, निर्जलीकरण या तीव्र बीमारी के लक्षण हैं। उन्होंने कहा कि रोगी को अपने दम पर दवा की खुराक में वृद्धि या कमी नहीं करनी चाहिए और डॉक्टरों से परामर्श करना चाहिए। डॉ तिवारी ने कहा कि प्रार्थना एक अच्छा व्यायाम है जिससे मधुमेह रोगियों को मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि मधुमेह रोगियों को तरावीह की नमाज के बाद कुछ देर टहलना चाहिए। लेकिन उपवास के दौरान व्यायाम से परहेज करें।