Fish For Diabetes: इन मछलियों का सेवन डायबिटीज को संतुलित रखने में होता है सहायक
Fish For Diabetes: उल्लेखनीय है कि इसका सेवन आपके इन्सुलिन के स्तर को बढ़ने नहीं देता है। साथ कैलोरी की मात्रा कम होने से मछली का सेवन शरीर में मोटापा बढ़ने नहीं देने के साथ मधुमेह को संतुलित रखता है।
Fish For Diabetic Patient: मछली का सेवन सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। बता दें कि मछली में मौजूद ओमेगा 3, विटामिन्स, प्रचुर मात्रा में प्रोटीन और फैटी एसिड्स डायबिटीज के मरीज़ों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। उल्लेखनीय है कि मछली खाने से डायबिटीज के मरीजों के शुगर लेवल को कंट्रोल में रहता है। साथ ही मछली विटामिन डी का भी बेहतरीन सोर्स मसाना जाता है।
एक रिसर्च के अनुसार मछली का सेवन डायबिटीज को कंट्रोल करने के साथ ही बहुत सारे दिल के रोगों से बचाने में मददगार होता है। इसलिए मधुमेह के रोगियों को मछली के नियमित सेवन की सलाह दी जाती है। गौरतलब है कि इसका नियमित सेवन डायबिटीज से जुड़ें खतरे को भी काफी हद तक कम कर देता है। आमतौर पर प्रकृति की गोद में सेहत का खजाना छिपा हुआ ही होता है, लेकिन कई बार हमें इसका सही इस्तेमाल करना नहीं आता है। बता दें कि समंदर में मौजूद कई जीव ऐसे होते हैं, जिन्हें हम खाते हैं जिसे सीफूड या समुद्री भोजन कहा जाता हैं। हालाँकि बहुत लोग सीफूड खाने के बेहद शौकीन होते हैं, लेकिन क्या आप इस बात से वाकिफ हिन् कि अगर इन चीजों को सही तरीके से न तैयार किया जाए तो ये आपकी सेहत के लिए भयंकर नुकसानदायक भी साबित हो सकता है, लेकिन अगर इसे अच्छी तरह से पकाकर खाया जाए तो ये से फूड्स आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में काफी सहायक होते हैं।
गौरतलब है कि मछली प्रोटीन रिच होने के साथ विटामिन बी 12 से भी भरपूर होती है। जो डायबिटीज के पेशेंट्स के लिए प्रकृति की ओर से वरदान है। इसके अलावा भरपूर फाइबर से युक्त मछली आपके बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक होती है। उल्लेखनीय है कि इसका सेवन आपके इन्सुलिन के स्तर को बढ़ने नहीं देता है। साथ कैलोरी की मात्रा कम होने से मछली का सेवन शरीर में मोटापा बढ़ने नहीं देने के साथ मधुमेह को संतुलित रखता है।
इसलिए एक्सपर्ट्स डायबिटीज के मरीजों को मछली का अत्यधिक सेवन करने की सलाह देते हैं। साथ ही इसमें डायबिटीज के रिस्क को भी खत्म करने के गुण मौजूद होते हैं।
सीफूड में मौजूद होते हैं जरुरी पोषक तत्व
सीफूड में मौजूद प्रोटीन, विटामिंस, ओमेगा-3 की भरपूर मात्रा आपके सेहत के लिए बहुत लाभकारी माने जाते हैं। लेकिन इसके लिए आपको सही सीफ़ूड या मछली का चुनाव करना बेहद आवश्यक है।
तो आइए जानते हैं कि कौन सी मछली या सीफूड्स खाने से डायबिटीज के मरीजों को विशेष फायदा हो सकता है। और क्या है इसे बनाने का सही तरीका :
साल्मन (Salmon):
साल्मन (Salmon) फिश खाने में बेहद टेस्टी होने के साथ सेहत के लिए भी लाभदायक होती है। बता दें कि इसमें मौजूद न्यूट्रिएन्ट्स के साथ भरपूर मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है। लेकिन ध्यान रहे कि साल्मन पकाने से काटते वक्त छोटा कट ही लगाएं। और इसके साथ नींबू-पानी लेना भी फायदेमंद माना जाता है।
शेलफिश (Shellfish)
हालाँकि आमतौर पर शेलफिश (Shellfish) को पकाने से पहले नमक और पानी में डालकर रखा जाता हैं। लेकिन अत्यधिक नमक का सेवन डायबिटीज में नुकसानदायक माना जाता है। इसलिए आप इस फिश में नमक के बजाए तेजपत्ते डालकर रख सकते हैं जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमन्द होने के साथ स्वादिष्ट भी होता है।
टूना (Tuna)
टूना (Tuna) एक बेहद पॉपुलर सीफूड है, जिसे लंबे वक्त के लिए फ्रिज में आसानी से प्रिजर्व जा सकता है। आमतौर पर टूना को तेल में डालकर रखा जाता है। जिसके कारण इसमें भारी मात्रा में फैट चला जाता है, लेकिन डायबिटीज के मरीज को टूना खाने के लिए इसे तेल की बजाय पानी में स्टोर करके रखने की सलाह दी जाती है। बता दें कि ऐसा करने से टूना की एक्सट्रा कैलोरीज हटकर जरुरी न्यूट्रिएंट्स बचे रह जाते हैं। डायबिटीज के मरीज़ों के लिए इसका सेवन यह बेहद फायदेमंद माना जाता है।
गा (Shrimp)
गा (Shrimp) मछली में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा ज्यादा होता है लेकिन इसमें फैट की कम मात्रा होती है जिसके कारण डायबिटीज के मरीजों को हफ्ते में एक बार ही झींगा खाने की सलाह दी जाती है। लेकिन इसे पकाते समय ध्यान रखें कि कम तेल में ही पकाये अन्यथा ये सेहत के लिए नुक्सान साबित हो सकता है।
तिलापिया (Tilapia)
तिलापिया (Tilapia) में कम फैट मौजूद होने के साथ प्रोटीन की ज्यादा मात्रा होती है। इसलिए इसे बनाते वक्त कम तेल का इस्तेमाल करना चाहिए। जिसके लिए सादा बर्तन की जगह नॉनस्टिक पैन या कढ़ाई का उपयोग करना बेस्ट विकल्प हो सकता है। गौरतलब है कि इसको पकाते वक़्त तेल की कम मात्रा लगती है जो आपको ओवर फैट होने से भी बचाव करता है।
कॉड (Cod)
बता दें कि कॉड (Cod) मछली आकार में मोटी होने के साथ बेहद फायदेमंद होती है। ध्यान रहें कि डायबिटीज के मरीजों के लिए इसे बनाते वक्त कम नमक और शक्कर का उपयोग करना चाहिए, अन्यथा नुकसान हो सकता है।
ट्राउट (Trout)
ट्राउट (Trout) में उच्च मात्रा में मौजूद ओमेगा-3 और फैटी एसिड डायबिटीज को कंट्रोल करने में सहायक होते हैं। बता दें कि ट्राउट बनाते समय हमेशा कम नमक का ही इस्तेमाल सेहत के दृष्टिकोण से सही होता है। गौरतलब है कि इस सीफ़ूड को स्वादिष्ट बनाने के लिए जड़ी-बूटियों का भी उपयोग किया जाता है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. Newstrack.com इसकी पुष्टि नहीं करता है.)