Lancet Report: चिंताजनक ! आधे भारतीय शारीरिक रूप से अनफिट
Lancet Report:आंकड़ों का मतलब है कि अगर इस निष्क्रियता पर लगाम नहीं लगाई गई, तो वर्ष 2030 तक हमारी 60 प्रतिशत आबादी अस्वस्थ हो जाएगी और तरह तरह की बीमारी के जोखिम में होगी।
Lancet Report: भारत की वयस्क आबादी में आधे से ज्यादा लोग शारीरिक रूप से अनफिट हैं। ये एक चिंताजनक स्थिति है। लैंसेट ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित नए आंकड़ों के अनुसार, आधी वयस्क भारतीय आबादी विश्व स्वास्थ्य संगठन के पर्याप्त शारीरिक गतिविधि संबंधी दिशा-निर्देशों को पूरा नहीं करती है।
महिलाएं ज्यादा निष्क्रिय
पुरुषों (42 प्रतिशत) की तुलना में ज़्यादा महिलाएँ (57 प्रतिशत) शारीरिक रूप से निष्क्रिय हैं। सबसे ज़्यादा चिंताजनक बात यह है कि भारतीय वयस्कों में अपर्याप्त शारीरिक गतिविधि का आंकड़ा 2000 में 22.3 प्रतिशत से बढ़कर 2022 में 49.4 प्रतिशत हो गया है। यानी निष्क्रियता बढ़ती जा रही है।
60 फीसदी आबादी होगी बीमार
आंकड़ों का मतलब है कि अगर इस निष्क्रियता पर लगाम नहीं लगाई गई, तो वर्ष 2030 तक हमारी 60 प्रतिशत आबादी अस्वस्थ हो जाएगी और तरह तरह की बीमारी के जोखिम में होगी।
- डब्लूएचओ कहता है कि सभी वयस्कों के लिए हर हफ्ते कम से कम 150 से 300 मिनट की मध्यम या जोरदार एरोबिक गतिविधि जरूरी है।
- अपर्याप्त शारीरिक गतिविधि का मतलब है कि हर हफ्ते 150 मिनट की मध्यम तीव्रता वाली गतिविधि या 75 मिनट की जोरदार तीव्रता वाली गतिविधि का न करना।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार शारीरिक निष्क्रियता से वयस्कों में हृदय संबंधी बीमारियों जैसे दिल के दौरे और स्ट्रोक, टाइप 2 मधुमेह, डिमेंशिया और कैंसर का खतरा अधिक होता है।
भारत की खराब स्थिति
भारत 195 देशों में अपर्याप्त शारीरिक गतिविधि के मामले में 12वें स्थान पर है। दुनिया भर में लगभग एक तिहाई (31 प्रतिशत) वयस्क यानी लगभग 1.8 बिलियन लोग 2022 में शारीरिक गतिविधि के अनुशंसित लेवल को पूरा नहीं कर पाए। डब्ल्यूएचओ में स्वास्थ्य संवर्धन के निदेशक डॉ. रुडिगर क्रेच ने कहा, यह स्थिति कई कारकों के कारण है, जिसमें वर्क पैटर्न में बदलाव, पर्यावरण में बदलाव, सुविधाजनक परिवहन मोड और खाली समय में भी कोई एक्टिविटी न करना शामिल हैं। शारीरिक निष्क्रियता की उच्चतम दर उच्च आय वाले एशिया-प्रशांत क्षेत्र (48 प्रतिशत) और दक्षिण एशिया (45 प्रतिशत) में देखी गई, जबकि अन्य क्षेत्रों में निष्क्रियता का स्तर उच्च आय वाले पश्चिमी देशों में 28 प्रतिशत से लेकर ओशिनिया में 14 प्रतिशत तक था।
हमें चिंतित होना चाहिए
भारतीयों में जेनेटिक रूप से हृदय रोग और मधुमेह जैसी बीमारियाँ होने की संभावना दूसरों की तुलना में बहुत ज्यादा होती है। जो बीमारी दूसरों को दस साल बाद होने की संभावना है वो भारतीयों में दस साल पहले हो जाती है।शारीरिक गतिविधि की कमी का मतलब है कि हम अपने मौजूदा जोखिम कारकों को और बढ़ा रहे हैं। डब्ल्यूएचओ के टारगेट हृदय रोग, मधुमेह, मोटापे और कुछ प्रकार के कैंसर के जोखिम को कम करने के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य और मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए तय किए गए थे। लेकिन दुनिया के कुछ हिस्सों में, खास तौर पर भारत समेत दक्षिण एशिया में शहरीकरण और औद्योगीकरण ने एक जड़ और आरामदायक जीवन शैली को जन्म दिया है।
महिलाएँ ज्यादा निष्क्रिय क्यों?
भारत में कई अध्ययनों से पता चला है कि महिलाओं में शारीरिक एक्टिविटी का स्तर कम इसलिए भी है क्योंकि महिलाओं में गलत धारणा है कि घर के काम शारीरिक व्यायाम का एक अच्छा तरीका है। मध्यम आयु वर्ग की शहरी महिलाओं में निष्क्रियता सबसे ज्यादा है। अध्ययन में कहा गया है कि भारतीय महिलाओं की स्थिति पड़ोसी बांग्लादेश, भूटान और नेपाल से भी खराब है।
क्या करना चाहिए
एक्सपर्ट्स का मानना है कि फिटनेस में सबसे बड़ी बाधा मानसिक बाधा है। आलस के चलते लोग निष्क्रिय रहते हैं। ठीक रहने के लिए अपनी पसंद की शारीरिक गतिविधियों से शुरुआत करें, जैसे कि पौधों को पानी देना या घर के काम करना। एक बार जब आप नियमित रूप से ऐसा करने लगते हैं, तो अगला कदम किसी दोस्त को साथ लेकर टहलने जाएं या किसी सामुदायिक क्लब में शामिल हों। पालतू जानवर रखना एक गतिहीन जीवनशैली को तोड़ने का एक बढ़िया तरीका है। ध्यान रखें कि जीवन में कभी भी मांसपेशियों का निर्माण किया जा सकता है। किसी भी उम्र में नए न्यूरो-मांसपेशी कनेक्शन बनाए जा सकते हैं।
क्या डाइट लें
- प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फैट के अलावा विटामिन और मिनरल्स जैसे माइक्रो न्यूट्रिएंट लेना चाहिए।
- हर किसी को हर भोजन में कम से कम दो सब्ज़ियाँ (एक पकी हुई, एक कच्ची) और दिन में दो पूरे फल खाने चाहिए।