HIV-AIDS cure: खुशखबरी! अब एड्स नहीं रहा लाइलाज, बीमारी खत्म करने के लिए लगाना होगा सिर्फ एक टीका
HIV-AIDS cure: जी हाँ, ऐसा दावा इजराइल के वैज्ञानिकों की तरफ से आया है। उन्होंने दावा किया है कि कैंसर जैसी बीमारी के इलाज के बाद अब उनके वैज्ञानिकों ने एचआईवी एड्स HIV/AIDS जैसी जानलेवा बीमारी का इलाज भी ढूंढ लिया है।
HIV-AIDS cure: दुनिया की सबसे खतरनाक बीमारियों में से एक एचआईवी एड्स को लेकर एक नई और राहत भरी खबर आयी है। जी हाँ , अब तक भले दुनिया ने बहुत तरक्की कर ली हो लेकिन एड्स का इलाज़ खोजने में अब तक असफल ही थे। जिस कारण इसे एक लाइलाज बीमारी का दर्जा प्राप्त हो गया था। लेकिन, अब ये एक लाइलाज बीमारी नहीं रह गयी है बल्कि इसका सही और सटीक इलाज़ की खोज हो गयी है।
जी हाँ, ऐसा दावा इजराइल के वैज्ञानिकों की तरफ से आया है। उन्होंने दावा किया है कि कैंसर जैसी बीमारी के इलाज के बाद अब उनके वैज्ञानिकों ने एचआईवी एड्स HIV/AIDS जैसी जानलेवा बीमारी का इलाज भी ढूंढ लिया है। बता दें कि इस बीमारी से ग्रसित हो चुके मरीजों का इम्यून सिस्टम बेहद कमजोर हो जाने के कारण ये वायरस से लड़ने में सक्षम नहीं हो पाते हैं।
गौरतलब है कि इजराइल के तेल अवीव शहर के विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने एक ऐसी वैक्सीन बनाने में सफलता हासिल की है, जिसके बारे में यह दावा किया जा रहा है कि इसकी एक खुराक से ही शरीर में में एचआईवी एड्स HIV/AIDS के वायरस को आसानी से खत्म किया जा सकेगा।
कैसे बना ये टीका?
इजराइल के साइंटिस्टों ने जीन एडिटिंग टेक्नोलॉजी की मदद से इस वैक्सीन को बनाया है। हालांकि फिलहाल इसका ट्रायल अभी इंसानों पर नहीं बल्कि चूहों पर ही किया गया है। बता दें कि इस वैक्सीन में टाइप बी डब्ल्यूबीसी यानी व्हाइट ब्लड सेल्स का उपयोग किया गया जिनसे इम्यून सिस्टम में HIV से लड़ने वाली एंटीबॉडीज विकसित हो सकती हैं। शोधकर्ताओं ने यह दावा किया है कि इस दवा से बनने वाली एंटीबॉडीज बेहद ही सुरक्षित और शक्तिशाली होने के साथ यह संक्रामक बीमारियों के अलावा कैंसर और बाकी ऑटोइम्यून बीमारियों से ठीक होने में भी इंसान की सहायता कर सकती हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार जल्दी ही AIDS और कैंसर का स्थायी इलाज बाज़ार में आ सकता है।
AIDS बीमारी क्या है ?
एड्स एक ऐसी गंभीर बीमारी है जो HIV नामक वायरस के शरीर में आ जाने के कारण होती है। बता दें कि इसका पूरा नाम एक्वायर्ड एमीनों डेफिशियेन्सी सिंड्रोम (Acquired Immuno Deficiency Syndrome) है। गौरतलब है कि एड्स की समस्या से पीड़ित व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कमज़ोर हो जाने के कारण ये शरीर में किसी भी तरह के वायरस को घुसने से रोकने में असमर्थ हो जाते हैं। उल्लेखनीय है कि HIV का यह वायरस 20वीं सदी में चिम्पांजी से इंसान में ट्रांसफर हुआ था। जिसका अभी तक कोई इसका स्थाई इलाज उपलब्ध नहीं है।
HIV वायरस का इतिहास
कहा जाता है कि इस वायरस का सबसे पहला मामला अफ्रीकी देश कॉन्गो में साल 1959 में आया था। जब एक व्यक्ति की मौत इस वायरस के कारण हुई थी। जिसके खून की जांच से HIV एड्स का पता चला था। उल्लेखनीय है कि फिर 1980 के दशक के शुरुआत में इस बीमारी के सामने आने के बाद से अब तक दुनियाभर में लाखों लोग इस बीमारी से अपनी जान गंवा चुके हैं। आंकड़ों के अनुसार दुनियाभर में 3.26 करोड़ से भी अधिक लोग एचआईवी से पीड़ित बताये जा रहे हैं। इस बीमारी में 60 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान होने पर ही एचआईवी विषाणु मारे जाते हैं। गौरतलब है कि भारत में में एड्स का पहला मामला साल 1986 में चेन्नई सामने आया था।
लेकिन इतने साल बाद पहली बार इजराइल के तेल अवीव शहर के विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने एक ऐसी वैक्सीन बनाने में सफलता हासिल की है, जिसके बारे में दावा किया जा रहा है कि इसकी एक खुराक से ही शरीर में HIV के वायरस को खत्म किया जा सकेगा।
यह वैक्सीन कैसे है प्रभावी ?
उल्लेखनीय है कि जीन एडिटिंग से बदल चुके सेल्स से जैसे ही वायरस का सामना होता है, वैसे ही सेल्स उस पर हावी हो जाते हैं। इतना ही नहीं टाइप बी वाइट ब्लड सेल्स ही आपके शरीर में वायरस और बैक्टीरिया के खिलाफ इम्यूनिटी को बढ़ाने का काम करते हैं। उल्लेखनीय है कि ये आपके नसों के जरिए अलग-अलग अंगों में पहुंच जाते हैं। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने जीन एडिटिंग टेक्नोलॉजी CRISPR की मदद से इनमें थोड़ा बदलाव करना शुरू कर दिया है। बता दें कि CRISPR एक जीन एडिटिंग टेक्नोलॉजी है, जिसकी मदद से वायरस, बैक्टीरिया या इंसानों के सेल्स को जेनेटिकली आसानी से बदला जा सकता है। गौरतलब है कि इसके कारण जैसे ही बदल चुके सेल्स से वायरस का सामना होता है, वैसे ही ये सेल्स उस पर हावी हो जाते हैं।