IPF In Hindi: इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस बीमारी बनी जाकिर हुसैन की मौत की वजह, जानें इसके बारे में विस्तार से

Idiopathic Pulmonary Fibrosis Kya Hai: इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस फेफड़ों की गंभीर बीमारियों का एक समूह है। इससे सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। यह बीमारी प्रगतिशील है, जो बढ़ती रहती है।

Written By :  Jyotsna Singh
Update:2024-12-17 12:59 IST

IPF In Hindi (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Idiopathic Pulmonary Fibrosis (IPF) In Hindi: पूरी दुनियां में भारतीय संगीत का रौब कायम करने वाले भारतीय तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन (Ustad Zakir Hussain) के निधन से कला जगत को एक अपूरणीय क्षति पहुंची है। इनकी मृत्यु के पीछे का कारण एक लाइलाज बीमारी इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (IPF) है। जिसके चंगुल में फंसकर मात्र 73 साल की उम्र में ही उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में।

फेफड़े को किस तरह प्रभावित करती है आईपीएफ बीमारी

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (Idiopathic Pulmonary Fibrosis) फेफड़ों की गंभीर बीमारियों का एक समूह है, जो श्वसन प्रणाली (Respiratory System) को प्रभावित करता है। पल्मोनरी फाइब्रोसिस फेफड़ों के ऊतकों को दागदार और मोटा कर देता है। यह फेफड़ों और एल्वियोली (फेफड़ों के अंदर हवा की थैली) में कनेक्टिंग ऊतक को प्रभावित करता है। फेफड़ों की क्षति धीरे-धीरे समय के साथ बदतर होती जाती है। कठोर, सख्त फेफड़ों के ऊतक उतने नहीं फैल पाते जितने कि उन्हें फैलना चाहिए, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है। पल्मोनरी फाइब्रोसिस (Pulmonary Fibrosis) के कारण सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।

फुफ्फुसीय फाइब्रोसिस में, इन वायु थैलियों की पतली दीवारें निशान और मोटी होने लगती हैं। जब ऐसा होता है, तो वायु थैलियों के लिए अपना काम करना और शरीर के बाकी हिस्सों में ऑक्सीजन पहुंचाना मुश्किल हो जाता है।

क्या इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस एक घातक बीमारी है?

मेडिकल साइंस द्वारा आमतौर पर इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस को एक घातक बीमारी माना गया है। पल्मोनरी फाइब्रोसिस एक प्रगतिशील बीमारी है, जो समय के साथ गंभीर होती जाती है। आईपीएफ़ फेफड़ों की एक दुर्लभ और गंभीर बीमारी है, जिसके कारण फेफड़े कठोर और जख्मी हो जाते हैं। समय के साथ, फेफड़ों में स्थायी घाव बन जाते हैं, जिसे फाइब्रोसिस कहा जाता है। इसका कोई इलाज नहीं है। यह अंततः मृत्यु का कारण बनती है।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस के साथ लोग कितने समय तक सामान्य जीवन जी सकते हैं?

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (IPF) के साथ सामान्य जीवन जीने की समय सीमा की बात करें तो इसमें कई चीजें कारक हैं। यह बीमारी जल्दी कुछ महीनों में ही या बहुत धीरे-धीरे यानी कुछ सालों में गंभीर रूप ले सकती है। इस बीमारी के लिए खोजी गईं नई दवाएँ इस बीमारी की रफ्तार को धीमा करने में मदद कर सकती हैं। फाइब्रोसिस के कारण सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। इस बीमारी के नाम में इस्तेमाल होने वाले इडियोपैथिक शब्द का मतलब होता है, जिसका कारण अज्ञात हो।अब तक इस बीमारी का सटीक कारण सामने नहीं आ सका है।

आईपीएफ़ बीमारी के संकेत (Idiopathic Pulmonary Fibrosis Symptoms)

आईपीएफ़ के लक्षणों (IPF Ke Lakshan) में सांस की तकलीफ, लगातार सूखी खांसी, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, थकान और वजन कम होना शामिल हैं। शुरू में किसी व्यक्ति के सक्रिय होने पर सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। लेकिन समय के साथ, सांस लेने में तकलीफ और ज्यादा बढ़ जाती है, यहां तक कि आराम करते समय भी। इसके अतिरिक्त आईपीएफ़ की बीमारी से प्रभावित व्यक्ति में समय के साथ ये लक्षण गंभीर होते जाते हैं। इस बीमारी से पीड़ित रोगियों का वजन तेजी से कम होने लगता है और उन्हें हर वक्त थकान महसूस होती है।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फ़ाइब्रोसिस (आईपीएफ़) बीमारी की वजह (IPF Kis Vajah Se Hota Hai)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

इडियोपैथिक पल्मोनरी फ़ाइब्रोसिस (आईपीएफ़) का सटीक कारण अज्ञात है. हालांकि, इसमें ये कारक योगदान दे सकते हैं-

- आनुवंशिक प्रवृत्ति।

- पर्यावरणीय कारक।

- धूम्रपान।

- फेफड़ों की चोट।

- असामान्य एसिड का सेवन ।

- क्रोनिक वायरल संक्रमण।

आईपीएफ़ का इलाज (Idiopathic Pulmonary Fibrosis Treatment In Hindi)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

आईपीएफ़ के इलाज में प्रभावी दवाएं, जैसे कि पिरफ़ेनिडोन और निंटेडानिब।

- ऑक्सीजन थेरेपी

ऑक्सीजन थेरेपी, सांस लेने में दिक्कत वाले लोगों को अतिरिक्त ऑक्सीजन देकर मदद करने का एक उपचार है। इसे पूरक ऑक्सीजन थेरेपी भी कहा जाता है। यह थेरेपी, फेफड़ों की बीमारियों या सांस लेने की समस्याओं से पीड़ित लोगों को बेहतर महसूस करने और ज़्यादा सक्रिय रहने में मदद करती है।

- पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन

इसमें व्यायाम, शिक्षा और तकनीकों के ज़रिए, रोज़मर्रा की गतिविधियों में सांस लेने में मदद की जाती है। यह कार्यक्रम, फेफड़ों की बीमारियों से जुड़े शारीरिक और भावनात्मक प्रभावों को कम करने में मदद करता है।

- फेफड़े का प्रत्यारोपण

फ़ेफ़ड़े का प्रत्यारोपण एक शल्य प्रक्रिया है, जिसमें किसी व्यक्ति के रोगग्रस्त फ़ेफ़ड़ों को स्वस्थ फ़ेफ़ड़ों से बदला जाता है. यह एक जीवन रक्षक सर्जरी है। लेकिन इसमें कई जोखिम भी होते हैं।

हालांकि इस लाइलाज बीमारी आईपीएफ़ का पूर्णदरूप से निदान करना मुश्किल हो सकता है। इस बीमारी के संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करने के लिए, शारीरिक परीक्षण, चिकित्सा इतिहास, और इमेजिंग स्टडीज़ की जाती हैं। वहीं इस लाइलाज बीमारी आईपीएफ़ के निदान के लिए मेडिकल साइंस में लगातार शोध किए जा रहें हैं।

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