Japanese Encephalitis: कोरोना से खतरनाक वायरस पहुंचा पुणे, जापानी इंसेफेलाइटिस बीमारी के बारे में जाने पूरी डिटेल्स

Japanese Encephalitis: महाराष्ट्र के पुणे में जापानी इंसेफेलाइटिस का पहला मामला सामने आया है। जिसके बाद जानवरों, मच्छरों के सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं।

Update: 2022-12-02 12:55 GMT

Japanese Encephalitis (Image: Social Media) 

Japanese Encephalitis: महाराष्ट्र के पुणे में जापानी इंसेफेलाइटिस का पहला मामला सामने आया है। जिसके बाद जानवरों, मच्छरों के सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं। दरअसल पुणे नगर निगम (पीएमसी) के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बीते गुरुवार (1 दिसंबर) को पुष्टि की है कि जापानी बुखार (Japanese Encephalitis) के परीक्षण के लिए मच्छर, कुत्ते और सूअरों के सैंपल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) में भेजे गए हैं। विभाग ने चार साल के बच्चे में इस बीमारी की पुष्टि होने के बाद ये कदम उठाया है। ऐसे में आइए जानते हैं क्या है Japanese Encephalitis:

Japanese Encephalitis क्या है

दरअसल विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, जापानी इंसेफेलाइटिस (Japanese Encephalitis) डेंगू, पीले बुखार और वेस्ट नाइल वायरस से संबंधित एक फ्लेविवायरस है, जो मच्छरों से फैलता है। हालांकि इसके ज्यादातर मामले हल्के होते हैं और अधिकांश मामले में हल्के बुखार और सिरदर्द या फिर बिना किसी लक्षणों के होते हैं। वहीं इस बीमारी के गंभीर मामलों में तेज बुखार, सिरदर्द, गर्दन में अकड़न, कोमा, दौरे, स्पास्टिक लकवा आदि जैसी समस्या देखने को मिलती है। इसे जापानी बुखार भी कहते है। बता दें इसका पहला मामला जापान में साल1871 में दर्ज किया गया था।

जापानी इंसेफेलाइटिस का लक्षण

तेज बुखार होना

बुखार आना पर घबराहट होना

सिरदर्द रहना

गर्दन में अकड़न की समस्या

कोमा

दौरे पड़ना

स्पास्टिक लकवा 

ठंड लगना

ठंड लगने के साथ साथ कंपकंपी होना

सांस लेने में तकलीफ

जापानी इंसेफेलाइटिस का इलाज

दरअसल जापानी बुख़ार से पीड़ित मरीजों को अस्पताल में भर्ती करना जरूरी होता है। इसके अलावा मरीज को ऑक्सीज़न मास्क भी दिया जाता है क्योंकि कई बार मरीज को सांस लेने में भी तकलीफ होती है। हालांकि जापानी बुखार का वैक्सीन उपलब्ध है लेकिन मरीज की हालत गंभीर होने पर टीका दिया जाता है। इस बुखार से बचने के लिए बरसात के दिनों में पूरे शरीर को ढककर रखना चाहिए। साथ ही रात में सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करना चाहिए। गंदे जगहों पर नहीं रहना चाहिए। घर से बाहर निकलते समय जितना हो सके बॉडी को ढक कर रखें। 

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