Lung Cancer Cases: सावधान ! दो साल में पांच फीसदी बढ़ गए फेफड़े कैंसर के केस

Lung Cancer Cases: पिछले दो वर्षों में भारत में फेफड़े के कैंसर के मामलों में पांच प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, जबकि कुल घटनाओं में 34,000 से अधिक की वृद्धि हुई है।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2022-12-26 13:25 IST

सावधान ! दो साल में पांच फीसदी बढ़ गए फेफड़े के कैंसर के केस: Photo- Social Media

Lung Cancer Cases: पिछले दो वर्षों में भारत में फेफड़े के कैंसर (Lung Cancer Cases) के मामलों में पांच प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, जबकि पिछले वर्ष इस जानलेवा बीमारी की कुल घटनाओं में 34,000 से अधिक की वृद्धि हुई है। फेफड़े के कैंसर के सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और बिहार में सामने आए हैं। दक्षिणी राज्यों में, तमिलनाडु में कैंसर के मामलों (cancer cases in tamil nadu) की संख्या सबसे अधिक थी, इसके बाद कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और केरल का स्थान था।

यूपी की स्थिति

सरकार ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद - राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के हवाले से संसद में बताया है कि फेफड़े के कैंसर के मामले 2020 में 98,278 से बढ़कर 2022 में 1,03,371 हो गए हैं। ये 5.2 प्रतिशत की वृद्धि है। पुरुषों और महिलाओं, दोनों में कुल कैंसर के मामलों की अधिकतम संख्या 2,10,958 - 2022 में उत्तर प्रदेश में दर्ज की गई। इसी वर्ष, महाराष्ट्र में 1,21,717 मामले देखे गए, इसके बाद पश्चिम बंगाल (1,13,851) और बिहार (1, 09274) का स्थान है।

साउथ में तमिलनाडु सबसे आगे

दक्षिण भारत में, तमिलनाडु 93,536 मामलों के साथ शीर्ष पर है, इसके बाद कर्नाटक में 90,349, आंध्र प्रदेश में 73,536 और केरल में 59,143 मामले मिले हैं। इन चार दक्षिणी राज्यों में 2019 के बाद से कैंसर के मामलों में वृद्धि देखी गई है। तमिलनाडु में 2019 में 86,596, 2020 में 88,866 और 2021 में 91,184 मामले दर्ज किए गए थे। इसी तरह, कर्नाटक 2019 में 83,824 मामले दर्ज किए गए। 2020 में यह बढ़कर 85,968 हो गया, जबकि 2020 में यह आंकड़ा 88,126 रहा। 2019 में, आंध्र प्रदेश में 68,883 कैंसर के मामले दर्ज किए गए, 2020 में यह बढ़कर 70,424 हो गया और 2021 में यह 71,970 तक पहुंच गया। 2019 में केरल ने 2019 में कुल 56148 मामले दर्ज किए, जो 2020 में 57,155 और 2021 में 58,139 हो गए। सभी दक्षिणी राज्यों में, तेलंगाना में कैंसर के मामलों की तुलनात्मक रूप से कम संख्या दर्ज की गई। 2019 में, राज्य ने 46,464 मामले दर्ज किए। 2020 में यह 47,620 दर्ज किया गया और 2021 में मामलों ने 48,775 को छू लिया।

लक्षद्वीप को छोड़कर ऐसा कोई राज्य नहीं है जहां संख्या में कमी आई हो, जहां लगातार दो वर्षों में 28 मामले दर्ज किए गए - 2021 और 22, 2020 से एक अधिक।

कई वजहें हैं जिम्मेदार

सरकार ने कहा है कि कैंसर के जोखिम कारकों में तंबाकू उत्पाद, शराब, अपर्याप्त शारीरिक गतिविधियां, अस्वास्थ्यकर आहार और वायु प्रदूषण शामिल हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के अनुसार, नौ में से एक भारतीय को जीवन भर कैंसर होने की संभावना होती है। यह बीमारी 2020 से 2025 तक 12.8 प्रतिशत बढ़ सकती है। इसमें यह भी कहा गया है कि 40 से 64 आयु वर्ग में सबसे ज्यादा मामले सामने आए। 40 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों में फेफड़े का कैंसर सबसे आम कैंसर था, जबकि स्तन कैंसर सभी आयु समूहों में महिलाओं में सबसे अधिक था। आईसीएमआर ने अपनी पत्रिका इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में कहा है कि भारत में कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।

फैक्ट फाइल

- सरकार ने संसद में कहा है कि फेफड़े के कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं

- 2020 में 98,278 मामले सामने आए

- 2022 में 1,03,371 मामले सामने आए

- 2022 में यूपी में पुरुषों और महिलाओं दोनों में 2,10,958 मामले पाए गए, जो अधिकतम कैंसर केस है

- लक्षद्वीप को छोड़कर ऐसा कोई राज्य नहीं है जहां संख्या में कमी आई हो

- उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और बिहार में सबसे ज्यादा मामले सामने आए

- 40-64 आयु वर्ग कैंसर से सबसे अधिक प्रभावित था

- कैंसर के केस बढ़ने की कई हैं वजहें

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