Vitamin D: मां के दूध से नवजात को नहीं मिलता है ये विटामिन, जानें क्यों है जरूरी
Vitamin D: डॉक्टर्स आमतौर पर नवजात शिशुओं को विटामिन डी के सप्लीमेंट्स का सुझाव देते हैं।
Vitamin D: विटामिन डी बच्चों के सही विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह विटामिन शरीर में कैल्शियम और फॉस्फेट के सही स्तर को बनाए रखने में मदद करता है, जो हड्डियों और दाँतों के स्वस्थ विकास के लिए आवश्यक हैं। नवजात शिशुओं के लिए विटामिन डी का सामरिक स्रोत माँ के दूध में होता है, लेकिन कुछ बच्चे सूरज की किरणों शरीर में नहीं लेते, जिसके कारण उन्हें इस विटामिन की कमी हो सकती है। इसलिए, डॉक्टर्स आमतौर पर नवजात शिशुओं को विटामिन डी के सप्लीमेंट्स का सुझाव देते हैं।
विटामिन डी की कमी के लक्षण
हड्डियों में दर्द या कमजोरी
दाँतों की कमजोरी और दाँतों के पीलापन
गठिया की समस्याएं
मांसपेशियों में दर्द
जानें वजह
मां के दूध में भी विटामिन डी होता है, लेकिन यह कम मात्रा में हो सकता है। इसलिए, कुछ बच्चों को विटामिन डी के सप्लीमेंट्स की आवश्यकता हो सकती है, विशेषकर उन बच्चों के लिए जो मां के दूध को पूरी तरह से नहीं पीते हैं या जिनकी माताएं विटामिन डी में कमी रखती हैं। समय के साथ सबसे अच्छा तरीका है कि मां गर्भावस्था के दौरान और बच्चा पैदा होने के बाद विटामिन डी की सही मात्रा में एक्सपोजर लें। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, विटामिन डी का बच्चों में जन्म के समय में कम होना सामान्य है, क्योंकि इसका प्रमुख स्रोत मां के द्वारा होता है और गर्भावस्था के दौरान मातृक प्रणाली से बच्चे के तंतु में जाता है। इसलिए, जब बच्चा जन्म लेता है, तो उसकी विटामिन डी की आपूर्ति कम होती है।
क्यों जरूरी है विटामिन-डी?
विटामिन डी कैल्शियम और फॉस्फेट को संरक्षित रखने में मदद करता है, जो हड्डियों और दांतों के स्वस्थ विकास के लिए आवश्यक हैं। विटामिन डी मांसपेशियों की सही कार्यप्रणाली को बनाए रखने में मदद करता है, जिससे शरीर का सामान्य विकास होता है। विटामिन डी का सही स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकता है।यह इम्यून सिस्टम को बढ़ावा देता है, जिससे बच्चे समान्य बीमारियों से लड़ सकते हैं। बच्चों के भौतिक और मानसिक विकास के लिए विटामिन डी का सही स्तर बहुत महत्वपूर्ण है। इसकी कमी बच्चों के विकास में रुकावट डाल सकती है।