अब एपिड्यूरल ऐनलजीशिया से नॉर्मल डिलीवरी होगी दर्द मुक्त
एपिड्यूरल एक प्रकार का इंजेक्शन है, इसे प्रसव पीड़ा से होने वाले दर्द को कम करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसे रीढ़ की हड्डी में लगाया जाता है।यह इंजेक्शन रीढ़ की हड्डी वाली जगहों में नर्व इम्पल्स को रोक कर प्रसव के दौरान होने वाले दर्द को कम कर देता है। जब महिलाएं लेबर के दौरान एपिड्यूरल लेती हैं, तो उन्हें बिल्कुल भी दर्द नहीं होता है।
स्वाति प्रकाश
लेबर पेन महिलाओं के लिए सबसे ज़्यादा तकलीफदेह अनुभव होता है। लेबर से लेकर बच्चे के गर्भ से बाहर आने तक मां को असहनीय कष्ट झेलना पड़ता है। शोध के मुताबिक लेबर पेन इंसान को होने वाले दर्द की सबसे चरम सीमा है। लेबर पेन से गुज़रने वाली महिलाओं के मुताबिक इसमें उन्हें असहनीय कष्ट होता है।यही कारण है कि अब अधिकांश माएं एपिड्यूरल ऐनलजीशिया का इस्तेमाल करने लगी हैं ताकि वो लेबर पेन के उस असहनीय दर्द से बच सकें।
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एपिड्यूरल एक प्रकार का इंजेक्शन है, इसे प्रसव पीड़ा से होने वाले दर्द को कम करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसे रीढ़ की हड्डी में लगाया जाता है।यह इंजेक्शन रीढ़ की हड्डी वाली जगहों में नर्व इम्पल्स को रोक कर प्रसव के दौरान होने वाले दर्द को कम कर देता है। जब महिलाएं लेबर के दौरान एपिड्यूरल लेती हैं, तो उन्हें बिल्कुल भी दर्द नहीं होता है।
लखनऊ के अस्पतालों में शुरू हो चुकी है सुविधा
लखनऊ के कई अस्पतालों में महिलाओं को एपिड्यूरल ऐनलजीशिया दी जा रही है। इनमें सरकारी और गैर सरकारी अस्पताल शामिल हैं।लोहिया अस्पताल में भी पिछले 6 साल से एपिड्यूरल ऐनलजीशिया दी जा रही है। लोहिया अस्पताल प्रदेश का पहला सरकारी अस्पताल है जिसने पेन -लेस डिलिवरी की कवायद शुरू की। लोहिया अस्पताल की गायनोकोलॉजिस्ट डॉ इंदु चावला ने बताया कि पिछले 6 सालों में यहां 250 से ऊपर पेन -लेस डिलिवरी हो चुकी हैं। केजीएमयू में भी लगभग 3 सालों से महिलाओं को एपिड्यूरल ऐनलजीशिया दिया जा रहा है जिससे उनकी डिलिवरी दर्दमुक्त हो । क़्वीन मैरी अस्पताल में भी पिछले 5 साल से यह सुविधा मौजूद है।
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क्वीन मैरी की डॉक्टर रेखा ने बताया कि उनके अस्पताल में पिछले 5 साल में लगभग 70 के आसपास नॉर्मल डिलिवरी एपिड्यूरल ऐनलजीशिया से हुई हैं। पहले बहुत कम महिलाओं को यह सुविधा दी जाती थी, लेकिन पिछले 2 सालों में एपिड्यूरल लेने वाली महिलाओं की संख्या तेज़ी से बढ़ी है। सरकारी के साथ ही कई गैर सरकारी अस्पतालों में भी यह सुविधा मुहैया कराई जा रही है।इनमें आशियाना स्थित आस्था हॉस्पिटल प्रमुख रूप से शामिल है , जहाँ पिछले 2 सालों से प्रसूताओं को एपिड्यूरल देकर नॉर्मल डिलिवरी करवाई जा रही है। यहां के डॉक्टर एस के दीक्षित ने बताया कि पिछले एक साल में उनके यहाँ 21 महिलाओं को एपिड्यूरल दिया गया।पीजीआई में भी पिछले साल यह सुविधा शुरू हुई है जिसके चलते महिलाएं प्रसव पीड़ा के दर्द से उबर रही हैं।
न नॉर्मल डिलिवरी का दर्द , न ऑपरेशन का खर्च
क़्वीन मैरी की डॉक्टर रेखा बताती हैं कि अक्सर उनके अस्पताल में आने वाली महिलाओं में लेबर और डिलिवरी को लेकर डर और शंका होती है । कई महिलाएं प्रसव पीड़ा नहीं झेलना चाहतीं। पहले एपिड्यूरल की सुविधा न होने के कारण महिलाएं सिज़ेरियन करने को कहती थीं।सिज़ेरियन से महिलाओं के स्वास्थ्य पर गलत असर पड़ता है, साथ ही इसमें खर्च भी बहुत आता था। नॉर्मल डिलिवरी के लिए सक्षम महिलाएं भी दर्द के डर से ऑपरेशन करवा लेती थीं। एपिड्यूरल ऐनलजीशिया की सुविधा होने से महिलाओं को बेवजह ऑपरेशन करवाने की ज़रूरत नहीं पड़ती। कम खर्च और बिना दर्द सहे भी महिलाएं नॉर्मल डिलिवरी से एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती हैं। सरकारी अस्पतालों में इस प्रक्रिया में अलग से कोई भी खर्च नहीं आता।
कैसे काम करता है एपिड्यूरल ऐनलजीशिया
झलकारी बाई अस्पताल की सीएमएस डॉ सुधा वर्मा बताती हैं कि एपिड्यूरल ऐनलजीशिया पेट, पेल्विक एरिया और पैरों को प्रभावित करता है। रीढ़ की हड्डी के एक विशेष स्थान जिसे एपिडलल स्पेस कहा जाता है वहां एक एस्थेटिक दवा डाली जाती है। यह प्लास्टिक ट्यूब से बने एक छोटे कैथेटर के माध्यम से दिया जाता है। रीढ़ की हड्डी के अंदर और स्पाइनल कॉर्ड में दाखिल करायी जाती है। यह केवल तभी दिया जाता है जब महिला का लेबर पेन सक्रिय चरण में होता है।
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एक पतली सी कैथेटर को एपिड्यूरल स्पेस में डालते हैं (स्पाइनल कॉर्ड के आसपास का क्षेत्र) जिसके द्वारा दवाई माँ के शरीर में डाल दी जाती है ।डिलिवरी हो जाने के बाद इसे निकाल दिया जाता है। ये दवाई एनेस्थेटिक और नार्कोटिक का मिश्रण होता है । अनेस्थेटिक दर्द को रोकता है और नार्कोटिक उस दर्द को नस के द्वारा दिमाग तक जाने से रोकता है ।डॉ सुधा का कहना है कि इन दिनों पेनलेस डिलिवरी आम हो रही है क्योंकि ज्यादा से ज्यादा महिलाएं दर्द के बिना नॉर्मल डिलिवरी कराना चाहती हैं।इसकी खासियत है कि इसमें बिना दर्द के एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया जा सकता है जो पूरी तरह होश में हो। यह एक तरह का एनेस्थीशिया है जो नसों को सुन्न कर देता है जिससे मां को बिलकुल भी दर्द महसूस नहीं होता। इसी कारण इसे पेन लेस डिलिवरी भी कहा जाता है ।
पूरी तरह सुरक्षित है प्रक्रिया
गायनोकोलॉजिस्ट डॉ रेखा बताती हैं कि यह प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित है क्योंकि एपिड्यूरल देने के बाद मां की हर वक़्त मॉनटरिंग की जाती है जिससे पता चलता है कि बच्चा किस अवस्था में है।इस प्रक्रिया का बच्चे के स्वास्थ्य पर या माँ के स्वास्थ्य पर असर न के बराबर होता है । कई और दवाइयाँ है जो डिलिवरी के दर्द को कम करने के लिए दी जा सकती हैं और इनमे से ज्यादातर सभी दवाइयाँ माँ और बच्चे दोनों के लिए सुरक्षित होती हैं ।हालाँकि ये शुरुवाती कुछ मिनटों के लिए ये माँ के ब्लड प्रेशर को कम कर सकती हैं । लेकिन इसमें चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि डॉक्टर और अनेस्थीशियोलॉजिस्ट हर वक़्त मां और बच्चे को मॉनिटर करते हैं।
क्या कहते हैं डॉक्टर
एपिड्यूरल ऐनलजीशिया के फायदे हैं तो कुछ नुकसान भी हैं। लोहिया अस्पताल की गायनाकोलॉजिस्ट डॉ इंदु के मुताबिक यह प्रसव को धीमा कर देता है क्योंकि दर्द न होने के कारण मां अपनी ताकत से बच्चे को बाहर लाने के लिए ज़ोर नहीं लगाती। यह ऑक्सीटोसिन हार्मोन के साथ छेड़छाड़ करता है, जो डिलिवरी के दौरान पैदा होता है। जब इस हार्मोन के साथ एक हस्तक्षेप होता है, तो जाहिर है यह समय आने पर प्रभावी ढंग से ज़ोर लगाने की मां की क्षमता को प्रभावित करता है। इस कारण डिलिवरी में देर होती है। आमतौर पर 2 से 3 घंटों में होने वाली डिलिवरी में एपिड्यूरल के कारण कभी कभी 7 से 8 घंटे भी लग जाते हैं।इस एक तथ्य को छोड़ दिया जाए तो एपिड्यूरल ऐनलजीशिया पूरी तरह माओं के हित में है।
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क्या है महिलाओं की राय
झलकारीबाई अस्पताल में इलाज करवाने आई गर्भवती महिलाओं से जब इस बाबत सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि बाकी अस्पतालों में भी यह सुविधा शुरू की जानी चाहिए ताकि लेबर पेन से डरने वाली महिलाएं आराम से नॉर्मल डिलिवरी करवा सकें। कई महिलाओं ने कहा कि अगर सभी सरकारी अस्पतालों में यह सुविधा शुरू हो जाए तो गर्भवती महिलाओं को प्रसव पीड़ा नहीं झेलनी पड़ेगी।यह स्वास्थ्य के क्षेत्र की सबसे बड़ी उपलब्धि साबित होगी। इस सुविधा से माएं बिना दर्द सहे एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकेंगी।