ज्यादा नहीं, बस कर लें ये उपाय, कोरोना पास फटकने की हिम्मत नहीं करेगा

आयुर्वेद के शास्‍त्रों में इन उपायों पर काफी जोर दिया गया है और हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व आयुष मंत्रालय भी श्वसन संबंधी स्वास्थ्य के संदर्भ में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए स्‍वास्‍थ्‍य उपायों को बता रहा है तो मान लेने में क्या हर्ज है जबकि इन्हें अपनाने से नुकसान कुछ नहीं फायदा ही होना है।

Update:2020-04-14 19:23 IST

कोविड 19 के प्रकोप से दुनिया में पूरी मानव जाति पीड़ित है। ऐसे में शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली (रोग प्रतिरोधक क्षमता) को बेहतर करना अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

हम सभी जानते हैं कि रोकथाम इलाज से बेहतर है। चूंकि अब तक कोविड-19 के लिए कोई दवा नहीं है, ऐसे समय में निवारक उपाय करना अच्छा रहेगा जिससे हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी।

जीवन का विज्ञान अपनाएं

जीवन का विज्ञान होने के नाते, आयुर्वेद स्वस्थ और प्रसन्न रहने के लिए प्रकृति के उपहारों को ही बढ़ावा देता है।

निवारक उपाय संबंधी आयुर्वेद का व्यापक ज्ञान 'दिनचर्या'- दैनिक जीवन और 'ऋतुचर्या'- स्वस्थ जीवन बनाए रखने के लिए मौसमी व्यवस्था की अवधारणाओं से निकला है।

यह मुख्य रूप से पौधे पर आधारित विज्ञान है। अपने बारे में जागरूकता, सादगी और सामंजस्य से व्‍यक्ति अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखते हुए उसे और बेहतर कर सकता है।

आयुर्वेद के शास्‍त्रों में इस पर काफी जोर दिया गया है और हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व आयुष मंत्रालय भी श्वसन संबंधी स्वास्थ्य के संदर्भ में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए स्‍वास्‍थ्‍य उपायों को बता रहा है तो मान लेने में क्या हर्ज है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के सामान्य उपाय

क- पूरे दिन गर्म पानी पीजिए।

ख- आयुष मंत्रालय की सलाह के अनुसार प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट योगासन, प्राणायाम और ध्‍यान का अभ्यास करें।

ग- खाना पकाने में हल्दी, जीरा, धनिया और लहसुन जैसे मसालों के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के आयुर्वेदिक उपाय

क- रोज सुबह 10 ग्राम (1 चम्‍मच) च्यवनप्राश लें। मधुमेह रोगियों को शुगर फ्री च्यवनप्राश खाना चाहिए।

ख- तुलसी, दालचीनी, काली मिर्च, सोंठ और मुनक्‍का से बना काढ़ा/ हर्बल टी दिन में एक या दो बार पीजिए। अगर आवश्‍यक हो तो अपने स्‍वाद के अनुसार गुड़ या ताजा नींबू का रस मिलाएं।

ग- गोल्डन मिल्क- 150 मिली गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी पाउडर- दिन में एक या दो बार लें।

सरल आयुर्वेदिक प्रक्रियाएं

क- नाक का अनुप्रयोग - सुबह और शाम नाक के नथुनों में (प्रतिमार्ष नास्य) तिल का तेल/ नारियल का तेल या घी लगाएं।

ख- ऑयल पुलिंग थेरेपी- एक चम्‍मच तिल या नारियल का तेल मुंह में लीजिए। उसे पिएं नहीं बल्कि 2 से 3 मिनट तक मुंह में घुमाएं और फिर थूक दें। उसके बाद गर्म पानी से कुल्ला करें। ऐसा दिन में एक या दो बार किया जा सकता है।

सूखी खांसी/ गले में खराश के दौरान की प्रक्रिया

क- पुदीने के ताजे पत्तों या अजवाईन के साथ दिन में एक बार भाप लिया जा सकता है।

ख- खांसी या गले में जलन होने पर लवांग (लौंग) पाउडर को गुड़/ शहद के साथ मिलाकर दिन में 2 से 3 बार लिया जा सकता है।

ग- ये उपाय आमतौर पर सामान्य सूखी खांसी और गले में खराश को ठीक करते हैं। हालांकि अगर ये लक्षण बरकरार रहते हैं तो डॉक्‍टर से परामर्श लेना बेहतर होगा।

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