Obesity : ब्रेन पर असर डालता है मोटापा, हो सकता है स्थायी डैमेज

Obesity : मोटापा बहुत खतरनाक स्थिति है जो अपने साथ ढेरों बीमारियों को लाता है। अब तो एक नए अध्ययन में पाया गया है कि मोटापा मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकता है। वो भी ऐसा नुकसान जो रिवर्स नहीं हो सकता।

Update: 2023-06-18 04:37 GMT
obesity diseases (social media)

Obesity : नई दिल्ली। मोटापा बहुत खतरनाक स्थिति है जो अपने साथ ढेरों बीमारियों को लाता है। अब तो एक नए अध्ययन में पाया गया है कि मोटापा मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकता है। वो भी ऐसा नुकसान जो रिवर्स नहीं हो सकता।

नई रिसर्च में पता चला है कि मोटापे के कारण ब्रेन की वह क्षमता खत्म हो जाती है जिसमें वह पेट भरा होने को पहचान नहीं पाता है। यही नहीं, फैट व चीनी खाने के बाद जो संतुष्टि मिलती है उसे समझने की क्षमता को भी ब्रेन खो सकता है।

स्थायी डैमेज

रिसर्च में ये भी निकल कर आया है कि मोटापे की वजह से ब्रेन में जो बदलाव हो जाते हैं वह मोटापा घटाने के बाद भी बने रहते हैं। यानी मोटापा स्थायी नुकसान पहुंचा देता है। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में मेडिसिन के प्रोफेसर और कोडायरेक्टर डॉ कैरोलिन एपोवियन के अनुसार, मोटापा घटाने के बाद भी लोगों के ब्रेन में रिवर्स होने का कोई संकेत नहीं पाया गया। मोटापे से ग्रस्त लोगों के दिमाग में उन रासायनिक प्रतिक्रियाओं की कमी हो जाती है जो शरीर को बताती है कि आपने पर्याप्त खा लिया है।

बॉडी मास इंडेक्स

चिकित्सकीय रूप से परिभाषित किया गया है कि मोटापे से ग्रस्त लोगों का बॉडी मास इंडेक्स या बीएमआई 30 से अधिक होता है, जबकि सामान्य वजन वालों का बीएमआई 18 से 25 के बीच होता है। डॉ एपोवियन के अनुसार यह अध्ययन बताता है कि मोटापा एक बीमारी क्यों है। क्योंकि मस्तिष्क में वास्तविक परिवर्तन होते हैं। यूके में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में चयापचय और चिकित्सा के प्रोफेसर डॉ. आई. सदफ फारूकी ने कहा कि नया अध्ययन बहुत कठोर और काफी व्यापक है। ये अध्ययन नेचर मेटाबॉलिज्म पत्रिका में छपा है।

कैसे किया गया परीक्षण

इस अध्ययन में चिकित्सकीय रूप से मोटापे से ग्रस्त लोगों और सामान्य वजन वाले लोगों के बराबर ग्रुप को शुगर कार्बोहाइड्रेट (ग्लूकोज), फैट (लिपिड) और पानी खिलाया गया। तीनों पोषक तत्वों को प्रत्येक ग्रुप के लोगों को अलग-अलग दिनों में एक फीडिंग ट्यूब के जरिये से सीधे पेट में डाला गया। येल स्कूल ऑफ मेडिसिन में एंडोक्रिनोलॉजी के प्रोफेसर डॉ मिरेइल सर्ली के मुताबिक, इस परीक्षण में पेट और ब्रेन के कनेक्शन पर ध्यान केंद्रित करना था। ताकि ये पता चल सके कि भोजन को देखे, सूंघे और चखे बगैर पोषक तत्व स्वतंत्र रूप से मस्तिष्क को कैसे प्रभावित करते हैं।

फीडिंग ट्यूब से पोषक तत्व पहुंचाए जाने के 30 मिनट बाद प्रतिभागियों के ब्रेन का एमआरआई और टोमोग्राफी किया गया। ताकि ब्रेन की प्रतिक्रिया जांची जा सके। इन जांचों के आधार पर शोधकर्ताओं ने अपने निष्कर्ष निकाले हैं लेकिन आगाह भी किया है कि अभी और परीक्षण किए जाने चाहिये।

Tags:    

Similar News