Postpartum Depression: जानें क्या है पोस्टपार्टम डिप्रेशन, महिलाएं ही क्यों बनती है इसकी शिकार

Postpartum Depression Symptoms: डिप्रेशन की समस्या एक ऐसे गंभीर समस्या है जो जानलेवा हो सकती है। डिप्रेशन में इंसान कई तरह के फेज से गुजरता है।

Update: 2022-09-11 13:41 GMT

Postpartum Depression (Image: Social Media)

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Postpartum Depression Symptoms: डिप्रेशन की समस्या एक ऐसे गंभीर समस्या है जो जानलेवा हो सकती है। डिप्रेशन में इंसान कई तरह के फेज से गुजरता है। कभी गुस्सा, कभी चिल्लाना, कभी रोना तो कभी चिढ़चिढ़ापन आदि जैसी परेशानियों से जूझता है। क्या आप जानते है कि डिप्रेशन भी कई प्रकार का होता है? पोस्टपार्टम डिप्रेशन भी डिप्रेशन का प्रकार है, जिसकी शिकार अधिकतर महिलाएं होती हैं। आइए विस्तार से जानते हैं पोस्टपार्टम डिप्रेशन के बारे में: 

क्या है पोस्टपार्टम डिप्रेशन

दरअसल बच्चे के जन्म के बाद महिलाओं में कई तरह के बदलाव नजर आते हैं। जिनमें एक अवसाद भी है, अवसाद यानी डिप्रेशन संबंधी समस्या होती है, उसे पोस्टपार्टम डिप्रेशन कहते हैं। बता दे कि प्रेग्नेंसी के दौरान किसी महिला के शरीर में जितने बदलाव होते हैं, उतने ही बदलाव बच्चे के जन्म के बाद भी होते हैं। जिसके कारण हॉर्मोनल स्तर असंतुलित रहता है और महिलाओं को मानसिक और इमोशनल समस्याओं का सामना बहुत करना पड़ता है। महिलाओं के मूड स्विंग होते रहते हैं। 

पोस्टपार्टम डिप्रेशन के ये हैं शुरुआती लक्षण 

ज्यादातर मन उदास रहना

मूड और व्यवहार में बदलाव आना

मूड स्विंग्स की समस्या होना

किसी से बात करने का मन नहीं होना

चिड़चिड़ापन ज्यादा बढ़ जाना

हर बात पर रोने का मन करना

किसी कोने में सबसे अलग बैठने की इच्छा होना

इतने दिन रहता है पोस्टपार्टम डिप्रेशन का असर

हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या हर महिला को नहीं होती है। हालांकि करीब 70 प्रतिशत महिलाएं इस समस्या का सामना जरूर करती हैं। पोस्टपार्टम डिप्रेशन में होने वाले लक्षणों का असर एक से दो महीने तक रह सकता है और फिर यह खुद ही ठीक हो जाते हैं। लेकिन यदि ये ठीक ना हो और इन्हें अनदेखा किया गया तो स्थिति बिगड़ सकती है और तब फिर ये लक्षण अधिक गंभीर रूप में सामने आते हैं। इन गंभीर लक्षणों को ना करें नजरअंदाज 

नींद नहीं आना की समस्या

भूख नहीं लगना

खुद को चोट पहुंचाने की कोशिश

आत्महत्या के विचार मन में लगातार आना

बच्चे के रोने पर बहुत अधिक गुस्सा आना

झगड़ालू प्रवृत्ति बढ़ जाना

चीजें तोड़ना, फेंकन या पटकने की समस्या

पोस्टपार्टम डिप्रेशन का इलाज ( Postpartum Depression Treatment)

इस बीमारी से बचने के लिए सबसे अच्छा तरीका कई परिवार का साथ। दरअसल इस स्थिति में महिला के पति का रोल बहुत अधिक बढ़ जाता है, उसे हर कदम पर अपनी पत्नी को इस बात का अहसास करना चाहिए कि वो पूरी तरह उसके साथ है। इसके अलावा खान-पान और दवाओं के अलावा महिला की पसंद और नापसंद का भी ध्यान रखना , इसके लिए उनकी छोटी-मोटी चीजें करते रहें उससे उन्हें खुशी मिलेही और स्ट्रेस फ्री रखने में मदद मिलती है। बता दे ये सभी तरीके शुरुआती स्तर पर महिला को पोस्टपार्टम डिप्रेशन से बचाते हैं लेकिन अगर ज्यादा समस्या हो जाए तो आप काउंसलर की मदद ले सकते हैं। अगर हॉर्मोन्स का स्तर अधिक गड़बड़ लगेगा या काउंसलर को जरूरी लगेगा कि आपको दवाएं लेनी चाहिए तो वो आपको सायकाइट्रिस्ट को रेफर कर देंगे।

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