Powassan Virus: पॉवासन वायरस है मस्तिष्क के लिए घातक संक्रमण, जानिये इसके लक्षण और उपचार

Powassan Virus: एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक दशक में पॉवासन वायरस के मामलों की संख्या काफी तेज़ी से बढ़ी है। उल्लेखनीय हैं कि इस रोग के प्रारंभिक लक्षण बेहद सामान्‍य होने के साथ ये अन्य रोगों के साथ भ्रमित हो सकते हैं।

Written By :  Preeti Mishra
Update:2022-06-14 19:34 IST

Powassan Virus (Photo Credit: Social Media)

Powassan Virus: यूँ तो आजकल के लाइफ स्टाइल में कई तरह की बीमारियां शरीर को अपने गिरफ्त में ले रही हैं। जो लोगों के लिए एक बेहद चिंतनीय विषय है। लेकिन पॉवासन वायरस मनुष्यों को प्रभावित करने वाले अन्य रोगों की तुलना में पॉवासन वायरस दुर्लभ और खतरनाक है। हालांकि आमतौर पर अभी तक इससे जुड़े संक्रमण के मामले अधिकांशतः पूर्वोत्तर और झील से जुड़े क्षेत्रों में ही पाए जाते हैं।

बता दें कि इस रोग से निपटने के लिए लोगों के बीच जागरूकता और सतर्कता ही प्रमुख हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक दशक में पॉवासन वायरस के मामलों की संख्या काफी तेज़ी से बढ़ी है। उल्लेखनीय हैं कि इस रोग के प्रारंभिक लक्षण बेहद सामान्‍य होने के साथ ये अन्य रोगों के साथ भ्रमित हो सकते हैं। इसलिए यह जानना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि अपने स्थान और जीवन शैली के आधार पर आपको यह संक्रमण होने का खतरा कितना ज्यादा है ?

पॉवासन वायरस के लक्षण:

हालाँकि इसके शुरूआती लक्षण लोगों को भ्रमित कर सकते हैं। लेकिन फिर भी इसके कुछ सामान्य लक्षण होते हैं। जिनमें

- बुखार,

- सिरदर्द,

- उल्टी और

- सामान्य कमजोरी महसूस होना शामिल है। गौरतलब है कि ये सभी लक्षण संक्रमण के एक हफ्ते बाद दिखने शुरू हो सकते हैं।

इसके अलावा कुछ मामलों में, वायरस मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के आस-पास संक्रमण और सूजन भी पैदा कर सकता है। गौरतलब है कि इस गंभीर बीमारी के लक्षणों में

- भ्रम,

- समन्वय की हानि,

- बोलने में कठिनाई भी शामिल हैं। बता दें कि गंभीर पॉवासन से उबर चुके लोगों में से लगभग आधे लोगों को दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं होने का भी खतरा रहता है जिसमें - सिरदर्द,

- स्मृति के साथ परेशानी और

- मांसपेशियों का नुकसान होना शामिल है।

यह वायरस फैलने का प्रमुख कारण :

बता दें कि मुख्य रूप से पोवासन वायरस अप्सरा नामक अपरिपक्व टिक्स द्वारा फैलता है, जो एक खसखस ​​के आकार के बराबर होते हैं। उल्लेखनीय है कि वयस्क हो चुके टिक्स बड़े होने के कारण उन्हें पहचानना आसान होता है, इसलिए लोगों के मुंह के हिस्सों में कीट के चले जाने से सबसे पहले उन्हें हटाने की अधिक संभावना रहती है। इतना ही नहीं बीमार होने से बचने के लिए, यदि आप अपने शरीर पर या अपने पालतू जानवरों पर कीट या टिक्स पाते हैं, तो उन्हें तुरंत निकाल दें । इस वायरस से बचने के लिए साफ़ -सफाई का विशेष ध्यान रखने की जरुरत है।

उपचार

पॉवासन वायरस से बचने के लिए टिक्स का पता लगाना बेहद जरुरी है । हालाँकि अभी तक पॉवासन वायरस के संक्रमण के लिए कोई विशिष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है, लेकिन फिर भी इसके लक्षण नज़र आते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना जरुरी है । बता दें कि इसके गंभीर मामलों में ठीक होने और मस्तिष्क में सूजन को कम करने के लिए अस्पताल में भर्ती होना जरुरी है।

जागरूकता ही बचने का उपाय

बता दें कि वायरस या अन्य टिक-जनित बीमारियों से बचने का सबसे अच्छा तरीका आपके अपने टिक काटने के जोखिम के बारे में जागरूकता है। विशेषज्ञों के अनुसार के जो लोग पॉवासन वायरस सक्रिय क्षेत्रों में काम करते हैं या बाहर खेलते हैं उन्हें संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा रहता है।

एक रिपोर्ट के अनुसार पॉवासन वायरस के कारण होने वाली गंभीर बीमारी के हर 10 में से एक मामला बेहद घातक माना जाता है। आमतौर पर पॉवासन वायरस से बीमार होने वाले लोगों में टिक यानी कीड़े-मकोड़े के काटने के एक महीने के भीतर लक्षण दिखाई देते है लेकिन कुछ मामलों में तो इसके लक्षण बिल्कुल भी दिखाई नहीं देते हैं।

इन जानवरों से फैल सकता है वायरस

उल्लेखनीय है कि दो अन्य प्रजातियां जैसे ग्राउंडहोग टिक्स और गिलहरी की टिक पॉवासन वायरस को तेज़ी से फैला सकती हैं। गौरतलब है कि अगर ये दोनों जीव संक्रमित जानवरों पर फ़ीड करते हैं तो ये इस वायरस के सबसे बड़े वाहक बनते है। अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि प्रत्येक वर्ष कितने स्पर्शोन्मुख पॉवासन वायरस संक्रमण होते हैं। गौरतलब है कि इस वायरस के लिए मनुष्यों को मृत के रूप में जाना जाता है, क्योंकि उनके द्वारा यह वायरस अन्य लोगों या जानवरों में नहीं फ़ैल सकता है। 

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