इस तरह के झटके लेंगे आपकी जान, करवाइए तुरंत उपचार
सीजर केस में बहुत सी बातों का ध्यान रखना पड़ता है। अगर मरीज को लगातार दौरे (सीजर) पड़ रहे हैं तो इस पर लापरवाही न बरतें। इम्यूनोलॉजिस्ट और यूर्मैटॉलजिस्ट का कहना है कि सीजर के केस में जब दौरे पड़े तो क्या करना चाहिए। बाहरी परीक्षण से यह बताया गया है कि मरीज को अगर दौरे पड़ने जारी हैं।
जयपुर: सीजर केस में बहुत सी बातों का ध्यान रखना पड़ता है। अगर मरीज को लगातार दौरे (सीजर) पड़ रहे हैं तो इस पर लापरवाही न बरतें। इम्यूनोलॉजिस्ट और यूर्मैटॉलजिस्ट का कहना है कि सीजर के केस में जब दौरे पड़े तो क्या करना चाहिए। बाहरी परीक्षण से यह बताया गया है कि मरीज को अगर दौरे पड़ने जारी हैं। कई बार ऐसा मालूम नहीं होता, जबकि मरीज को दौरे पड़ते रहते हैं और वह बेहोशी की स्थिति में रहता है। ऐसे में किसी भी सीजर के रोगी को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए। अधिकतर दिमागी दौरे (सीजर) दो मिनट में रुक जाते हैं। ऐसे में अगर कोई दौरा लंबा चल रहा है, तब इसकी आशंका अधिक है कि वह बिना डॉक्टरी इलाज के रुके।
जितने लंबे समय से दौरा चल रहा होगा, उतनी उसकी बिना दवा के रुकने की उम्मीद कम होती जाती है। ऐसे में जल्द-से-जल्द डॉक्टर (फिजिशन या न्यूरोलॉजिस्ट हो सके तो बेहतर) से मरीज को दिखाना चाहिए।
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स्टेटस एपिलेप्टिकस को पहचानने और उपचार करने में जो डॉक्टर एक्सपर्ट होते हैं, वे सबसे पहले रोगी की श्वासनली में आती-जाती हवा का रास्ता साफ करते हैं। सांसों पर ध्यान देने के बाद तुरंत वे ब्लडप्रेशर नापते व अन्य जांचों के लिए आदेश देते हैं। इसी के साथ रोगी में लगातार चल रहे दौरों को रोकने के लिए कुछ इंजेक्शन दिए जाते हैं। ऑक्सीजन व इंट्रावीनस तरल आवश्यकता के अनुसार रोगी को मुहैया कराए जाते हैं स्टेटस एपिलेप्टिकस (Status Epilepticus) के कारण अनेक हैं।
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ब्लडप्रेशर, मस्तिष्क में कोई भी संक्रमण, ट्यूमर, मिर्गी-रोग, गिरता ग्लूकोज-स्तर, सोडियम-आदि लवणों की असंतुलित मात्रा इनमें प्रमुख हैं। कई बार दौरों की दवाओं को अपने-आप बंद करने से भी ऐसी स्थिति देखने को मिलती है। ऐसे में उचित है कि मरीज जैसे ही दौरे पड़े जहां भी हो उसे तुरंत इमर्जेंसी पहुंचाया जाए।