Survey: डायबिटीज पर भारत में बड़ा सर्वे, सामने आया डराने वाला आंकड़ा

Survey: भारत में डायबिटीज पर सबसे बड़ी रिसर्च में सामने आया चैंकाने वाला आकड़ा। डायबिटीज को लेकर लैंसेट के शोध के आंकड़े डराने वाले हैं। भारत की 10.1 करोड़ आबादी डायबिटीज से ग्रसित है और 13.6 करोड़ लोग प्री-डायबिटीज हैं।

Update:2023-06-13 16:41 IST
Lancet's survey on diabetes

Survey: डायबिटीज यानी मधुमेह यह बीमारी आती तो अकेले है लेकिन धीरे-धीरे शरीर में कई बीमारियों को जन्म देने लगती है। भारत में डायबिटीज के रोगियों की संख्या साल दर साल लगातार बढ़ती जा रही है। अगर देखा जाए तो हर पांचवां व्यक्ति मधुमेह का रोगी है।
डायबिटीज को लेकर हुए एक शोध में ऐसे आंकड़े आए हैं जो डरा रहे हैं। ये आंकड़े इस बात की ओर इसारा करते हैं कि भारत तेजी से दुनिया का ‘डायबिटीज कैपिटल‘ बनता जा रहा है। हाल ही में द लैंसेट के अध्ययन में यह सामने आया है कि भारत में 10.1 करोड़ लोग डायबिटीज के पेशेंट हैं। स्टडी में कहा गया है कि पिछले चार सालों में ही डायबिटीज के मामलों में 44 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

44 प्रतिशत का उछाल आया है

द लैंसेट डाटबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च-इंडिया डायबिटीज ने किया है, जिसमें यह बात सामने आई कि भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। जहां 2019 में जहां देश में डायबिटीज के सात करोड़ पेशेंट थे तो वहीं अब इस संख्या में 44 प्रतिशत का उछाल आया है। शोध में कहा गया कि भारत की 15.3 प्रतिशत आबादी (कम से कम 13.6 करोड़ लोग) प्री-डायबिटीज हैं। प्री-डायबिटीज भविष्य में डायबिटीज होने के खतरे को कहा जाता है। हैरान करने वाली यह बात है कि यह आंकड़ा पूर्व में डायबिटीज को लेकर लगाए गए अनुमानों से काफी अधिक है, जिसने स्वास्थ्य विशेषज्ञों को चिंता में डाल दिया है।

डब्ल्यूएचओ का अनुमान हुआ फेल

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान भी फेल हो गया। डब्ल्यूएचओ ने अनुमान लगाया था कि भारत में लगभग 7.7 करोड़ लोग डायबिटीज से ग्रसित होंगे जबकि शोध में असल आंकड़ा 10.1 करोड़ का सामने आया है. वहीं, डब्ल्यूएचओ का अनुमान था कि 2.5 करोड़ प्री-डायबिटीज होंगे लेकिन असल आंकड़ा इससे काफी अधिक है।

दस सालों तक चला शोध

डायबिटीज पर किया गया यह शोध 10 सालों तक चला, जिसे भारत का अब तक का सबसे बड़ा सर्वे कहा जा रहा है। मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन ने इस शोध को करने में आईसीएमआर की मदद की है। इस सर्वे में भारत के हर राज्य से लोगों ने हिस्सा लिया। शोध की प्रमुख लेखिका और मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन की अध्यक्ष डॉ. रंजीत मोहन अंजना ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में कहा, ‘यह स्थिति किसी टाइम बम जैसी है। अगर आप प्री-डायबिटीज हैं तो आपको डायबिटीज होने की आशंका काफी अधिक है। प्री-डायबिटीज वाले 60 फीसदी लोगों में अगले पांच सालों में ये बीमारी हो ही जाती है।

सबसे अधिक मरीज गोवा में?

सर्वे में यह बात भी सामने आई है कि भारत में सबसे अधिक शुगर के मरीज गोवा में हैं। गोवा की 26.4 प्रतिशत जनसंख्या डायबिटीज से ग्रसित है। दूसरे नंबर पर पुडुचेरी (26.3 प्रतिशत) और तीसरे नंबर पर केरल (25.5 प्रतिशत) का स्थान आता है। वहीं यूपी के लिए कुछ राहत की बात है कि यहां सबसे कम 4.8 प्रतिशत डायबिटीज के मरीज हैं लेकिन यहां की लगभग 18 प्रतिशत आबादी प्री- डायबिटीक है जो कि एक बड़ा खतरा है। सर्वे में कहा गया कि अभी यूपी, मध्य-प्रदेश, बिहार और अरुणाचल प्रदेश में डायबिटीज का प्रसार कम है, लेकिन साथ ही यह कहा गया है कि इन राज्यों में डायबिटीज के तेजी से बढ़ने का खतरा है। डॉ. अंजना कहती हैं कि जिन राज्यों में डायबिटीज के मामले कम हैं वहां प्री-डायबिटीज के मामले अधिक हैं।

और तेजी से बढ़ेंगे मामले

डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी, सकरा वल्र्ड हॉस्पिटल, बेंगलुरु के डायरेक्टर डॉ. मंजुनाथ मलिंगे की माने तो देश में डायबिटीज के मामले और तेजी से बढ़ेंगे। वो कहते हैं, ‘डायबिटीज के मामलों में बढ़ोतरी के कई कारण हैं जैसे- अनहेल्दी लाइफस्टाइल, मोटापा और तनाव। आने वाले समय में महिलाओं और पुरुषों दोनों में ही डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ेंगे।

आखिर क्या है डायबिटीज?

डायबिटीज आज कल कामन बीमारी हो चुकी है। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा बढ़ जाती है। यह तब होती है जब शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन हार्मोन नहीं बना पाता या इंसुलिन का अच्छी तरह से इस्तेमाल नहीं कर पाता। इंसुलिन पैंक्रियाज द्वारा बनाया गया एक हार्मोन है जो कार्बोहाइड्रेट के टूटने से बने ग्लूकोज को ऊर्जा के लिए उपयोग करने में मदद करता है।

डायबिटीज के लक्षण

बार-बार पेशाब आना, नींद पूरी होने के बाद भी थकान महसूस होना, बार-बार भूख लगना, वजन कम होना, आंखों की रोशनी कम होना और धुंधला दिखाई देना, घाव का जल्दी न भरना आदि कई ऐसे लक्षण हैं जो डायबिटीज होने का प्रमाण देते हैं।

कैसे बचें डायबिटीज से

इस बीमारी से बचने के लिए सही लाइफस्टाइल, संतुलित डाइट और नियमित व्यायाम जरूरी है। इस दिनचर्या को अपनाने से डायबिटीज ही नहीं आप कई अन्य बीमारियों के खतरे को कम कर सकते हैं। डायबिटीज आनुवांशिक कारणों से भी होता है इसलिए कई बार इसे रोकना मुश्किल हो सकता है लेकिन एहतियात बरतकर हम इसके खतरे को कम कर सकते हैं। रोजाना आधे घंटे चलकर भी डायबिटीज के खतरे को कम किया जा सकता है।
डायबिटीज की प्रमुख वजह है तनाव और अनियमित दिनचर्या। अगर आप तनाव मुक्त रहें और नियमित दिनचर्या का पालन करें तो आपको डायबिटीज होने का खतरा काफी कम रहेगा।

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