Eyes in Diabetes: डायबिटीज में अंधेपन से बचने के लिए आँखों का रखें विशेष ख़याल

Health News: डायबिटीज के मरीज़ों को लगातार अपने डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए।

Report :  Preeti Mishra
Published By :  Ragini Sinha
Update:2022-05-09 12:54 IST

itching eyes (Social media)

Eyes in Diabetes: डायबिटीज एक साइलेंट किलर ,जो बहुत ही तेज़ी से अपने पॉव पसार रहा है। चिंता की बात तो यह है कि इसके चपेट में हर आयु वर्ग के लोग आ जा रहे हैं। पुरे विश्व में डायबिटीज सबसे ज्यादा तेज़ी से फैलने वाली एक ऐसी समस्या है जो खुद में कोई बीमारी ना होकर कई अन्य बिमारियों को शरीर में न्योता देता है। भारत में इसके मरीज़ दिन -प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं। यही कारण है कि भारत को मिनी डायबिटीज कैपिटल का नाम दे दिया गया है। 

यूँ तो डायबिटीज के कारण कई अंग प्रभावित हो सकते हैं लेकिन इसमें सबसे ज्यादा डर और चिंता मरीज़ के आँखों को लेकर होती है। बता दें कि डायबिटीज के मरीजों को हाई ब्लड शुगर की समस्या हो जाने पर  पैनक्रियाज से पैदा होने वाला इंसुलिन खून में शुगर की मात्रा को कंट्रोल नहीं कर पाता है ,  जिस कारण शरीर में बनने वाला इंसुलिन ठीक तरह से काम नहीं कर पाता। और परिणामस्वरूप हाई ब्लड शुगर आपकी आंखों पर असर डालकर आपके रेटिना के ब्लड वेसेल्स में बदलाव ला सकता है या इसके कारण आंखों के टिशूज में सूजन भी आ सकती है।  बता दें कि यही टिशूज ही देखने में हमारी मदद करते हैं। इसलिए इन पर असर पड़ने से धुंधला दिखने की समस्या हो सकती है। 

गौरतलब है कि डायबिटीज की वजह से ब्लीडिंग और रेटिना में ज्यादा तरल पदार्थ की समस्या हो जाती है, जो  आपके विजन पर गंभीर प्रभाव  डालता है।  अगर इस बीमारी का पता सही समय पर ना चले तो इससे आंखों की रोशनी तक जाने यानी विजन लॉस की भी  समस्या हो सकती है। इतना ही नहीं वयस्कों में अंधेपन की बड़ी वजह भी यही बनता है। 

लक्षण:

डायबिटीज  के मरीज़ों में आंखों से जुड़े ये कुछ  प्रमुख लक्षण नजर आ सकते हैं। जिन्हें नज़रअंदाज़ करना खतरनाक हो सकता है। जिनमें कुछ प्रमुख हैं। 

  • -  डायबिटीज की वजह से आपको डिस्टॉर्टेड विजन और विजन में डार्क स्पॉट्स की हो सकती है समस्या। 
  • -  डायबिटीज की समस्या में शरीर के प्रभावी ढंग से इंसुलिन नहीं बना पाने या इस्तेमाल कर पाने की स्थिति में भी आंखों को गहरा नुकसान पहुंच सकता है। बता दें कि  इंसुलिन के  सही तरीके से काम करने पर यही ब्लड शुगर आपके लिए मेन एनर्जी सोर्स की तरह भी काम कर करता  है, लेकिन हाई ब्लड शुगर की समस्या में  ग्लूकोज आपके सेल्स में न पहुंचकर ब्लड स्ट्रीम में ही रह जाता है। जिस कारण आपको  विजन लॉस और अंधेपन की भी  समस्या भी हो सकती है। 
  • - इतना ही नहीं इस समस्या में  आपको सिरदर्द, आंखों में दर्द, आंखों में पानी आने और धुंधला नजर आने की समस्या हो सकती है। 
  • - डायबिटीज में छोटी रक्त वाहिकाओं को प्रभावित होने के साथ ज्यादा ब्लड शुगर शरीर के सबसे छोटे ब्लड वेसेल्स यानी रक्त वाहिकाओं को डैमेज कर ब्लड फ्लो को भी बाधित कर सकता  है।   
  • - इसके सबसे मुख्य लक्षण आंखों से धुंधला दिखायी देना  हो सकता है। हालांकि ज्यादातर डायबिटीज के मरीजों में आँखों की समस्या  जैसे कोई लक्षण बहुत एडवांस स्टेज तक नजर नहीं आते, लेकिन ऐसे मरीज़ों के लिए साल में एक बार आंखों का चेकअप करवाना बेहद जरुरी है। जिससे आपइन समस्याओं से बचते हुए अपने विजन लॉस से भी बच सकते हैं।  
  • - हाई ब्लड शुगर से आँखों के लेंस के भी  आकार में बदलाव आ सकता है। बता दें कि  समय रहते अगर इसका इलाज सही तरीके से न हो तो इससे Cataracts, Glaucoma और Retinopathy जैसी गंभीर की समस्यायें भी  हो सकती है। 

 गौरतलब है कि भारत में  डायबिटीज़ के लगभग 51 लाख मरीज़ हैं और चिंता की बात यह है कि ये आंकड़े दिन -प्रतिदिन देश और दुनिया दोनों में तेज़ी से बढ़ रहे हैं।  अनुमानों की माने तो  साल  2030 तक इसकी स्थिति और भी ख़राब हो सकती है। बता दें कि बाकी  लोगों की तुलना में डायबिटीज़ के मरीज़ों में अंधेपन का ख़तरा अधिक होता है, लेकिन कुछ सावधानियों को अपनाकर  डायबिटीज़ के मरीज़  इन समस्याओं का खतरा भी कम कर सकते हैं। न

डायबिटीक रेटिनोपैथी के लिए सटीक उपाय

  • -  डायबिटीज़ से जुड़ी आंखों की सभी बीमारियों के लिए हाई ब्लड शुगर लेवल  ही जिम्मेदार होता है। इसीलिए मरीज़ों को अपने ब्लड शुगर को नॉर्मल रेंज में बनाए रखना बेहद जरुरी है। इसके लिए एचबीए1सी लेवल को साल में कम से कम 2 बार टेस्ट अवश्य कराना चाहिए और इसका लक्ष्य 7 प्रतिशत से कम होना बेहद जरुरी है। 
  • - डायबिटीज के मरीज़ों को डॉक्टर की सलाह के अनुसार संबंधित दवाओं, डायट प्लान, एक्सरसाइज़ और ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने के लिए ब्लड ग्लूकोज़ मॉनिटरिंग का ध्यान रखना चाहिए। कई बार आपका एचबीए1सी लेवल 7.5% से ज़्यादा या बीमारी का पता लगाने के समय ओएडी लेने के बाद भी अगर यह 9% से ज़्यादा होने पर  डॉक्टर आपको इंसुलिन की सलाह भी दे सकता है। बता दें कि अगर औसत ब्लड शुगर लेवल में हर बार होनेवाली 10% की कमी, एचबीए1सी लेवल में भी दिखायी पड़ती है। तो यह डायबिटीज़ रेटिनोपैथी के जोखिम को 60% तक कम कर सकता है जबकि पहले से मौजूद डायबिटीक रेटिनोपैथी के जोखिम को बढ़ने की संभावना को भी  43% तक कम कर सकता  है।
  • -  डायबिटीज के मरीज़ों को लगातार अपने डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए। और हर साल अपनी नज़र और आंखों का टेस्ट जरूर करवाना चाहिए। 
  • - डायबिटीज के मरीज़ों को शराब  और धूम्रपान से दुरी बना कर रखनी चाहिए । बता दें कि इनमें मौजूद नुकसानदायक केमिकल आंखों के लिए जोखिमभरे साबित हो सकते है जो डायबिटीक रेटिनोपैथी का कारण भी बन सकता है।
  • - डायबिटीज को नियंत्रण में रख कर आप आंख के लिए खतरे को कम करने के अलावा, डायबिटीज़ से जुड़ी सभी समस्याओं को रोकने के साथ एक स्वस्थ जीवनशैली भी जी सकते हैं। 
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