Stem Cell Therapy: स्टेम सेल थेरेपी में छुपा है पोस्ट कोविड जटिलताओं का इलाज

Stem Cell Therapy: लखनऊ में पले बढे क्लीनिकल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर मुंबई के कंसलटेंट ओर्थपेडीक और स्टेम सेल ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ बी एस राजपूत इस सम्बन्ध में उम्मीद की एक नयी किरण बन कर सामने आये हैं।

Report :  Rakesh Mishra
Update: 2022-07-18 11:38 GMT

Stem Cell Therapy Dr BS Rajput (Image:Newstrack)

Stem Cell Therapy: कोरोना के वो दो भयानक वर्ष की यादें अभी भी जेहन में है। हालांकि अब यह बीमारी उतनी भयानक नहीं रह गयी है लेकिन फिर भी पोस्ट कोविड जटिलताओं के नाते अभी भी लोगों की मौत हो रही हैं। वैसे तो पोस्ट कोविड कॉम्प्लीकेशन्स (Post Covid Complications) से उभरने वाली बिमारियों का कोई सटीक इलाज तो सामने नहीं आया है लेकिन स्टेम सेल थेरेपी (Stem Cell Therapy) एक ऐसी उम्मीद की किरण है जो लाखों लोगों को पोस्ट COVID फेफड़े के फाइब्रोसिस (Lung Fibrosis) से उबरने में मदद करता है।

क्या है पोस्ट कोविड फाइब्रोसिस

यह हम सभी जानते हैं कि कोरोना पूरी मानव जाति के लिए सबसे खराब चिकित्सा समस्या के रूप में आया, जहां लाखों लोगों ने अपनी जान गंवाई। अभी भी हजारों लोग ऐसे हैं जो अभी भी कोविड के हानिकारक प्रभावों से उबर नहीं पाए हैं। तमाम रोगी ऐसे हैं जिन्हे कोविड के बाद लंग फाइब्रोसिस या इंटरस्टीशियल लंग डिजीज का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे मरीजों को कोविड के बाद भी जीने के लिए रोज-रोज ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। ऐसे लोगों की सांस फूलती है और बार-बार सूखी खांसी आती है। फेफड़ों के विशेषज्ञों के अनुसार यह एक बहुत ही विकट समस्या है और ऐसे रोगियों की मदद के लिए बहुत कुछ नहीं किया जा सकता है।


क्या है स्टेम सेल थेरेपी?

स्टेम सेल थेरेपी, जिसे पुनर्योजी चिकित्सा के रूप में भी जाना जाता है, स्टेम सेल या उनके डेरिवेटिव का उपयोग करके रोगग्रस्त, खराब या घायल ऊतक की मरम्मत प्रतिक्रिया को बढ़ावा देता है। यह अंग प्रत्यारोपण में अगला अध्याय है और दाता अंगों के बजाय कोशिकाओं का उपयोग करता है, जो आपूर्ति में सीमित हैं। स्टेम-सेल थेरेपी किसी बीमारी या स्थिति के उपचार या रोकथाम के लिए स्टेम सेल का उपयोग है। यह आमतौर पर अस्थि-मज्जा प्रत्यारोपण का रूप लेता है, लेकिन कोशिकाओं को गर्भनाल रक्त से भी प्राप्त किया जा सकता है। स्टेम सेल के लिए विभिन्न स्रोतों को विकसित करने के साथ-साथ न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों और मधुमेह और हृदय रोग जैसी स्थितियों के लिए स्टेम सेल उपचार का इस्तेमाल किया जा सकता है।


डॉ बी एस राजपूत उम्मीद की एक किरण

लखनऊ में पले बढे क्लीनिकल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर मुंबई (Clinical Hospital and Research Centre, Mumbai) के कंसलटेंट ओर्थपेडीक और स्टेम सेल ट्रांसप्लांट सर्जन और जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज (GSVM Medical College) में रीजनरेटिव मेडिसिन और सेल आधारित थेरेपी के विजिटिंग प्रोफेसर डॉ बी एस राजपूत (Dr BS Rajput) इस सम्बन्ध में उम्मीद की एक नयी किरण बन कर सामने आये हैं। डॉ राजपूत ने बताया कि ऑटिज्म, रीढ़ की हड्डी की चोट, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी और एएलएस जैसे तंत्रिका रोगों के कई मामलों में स्टेम सेल थेरेपी का इस्तेमाल पहले से ही किया जा रहा है। ऐसे में फेफड़े के फाइब्रोसिस के मरीजों को स्टेम सेल थेरेपी से बड़ी राहत मिलेगी।

न्यूज़ट्रैक से बात करते हुए डॉ राजपूत ने बताया की कोविड महामारी से अभी तक तक़रीबन सात लाख लोग ऐसे हैं जो पूरी तरह से उबार नहीं पाए हैं। ऐसे लोगों को अभी भी पोस्ट कोविड कॉम्प्लीकेशन्स के दौर से गुजरना पड़ रहा है। ऐसे लोगों को कोविड के बाद ILD ( इंटरस्टीशियल लंग डिजीज), लंग फाइब्रोसिस, मलासिए, मसल वैस्टिंग (weight loss), कार्डिओ वैस्कुलर समस्या (cardio vascular problems) और आर्थराइटिस (arthritis) जैसी बीमारी गंभीर बिमारियों का सामना करना पड़ रहा है। डॉ राजपूत ने बताया कि इन सभी में लंग फाइब्रोसिस एक डेडली बीमारी है। परंपरागत तकनीक से इस बीमारी का पूरी तरह इलाज अभी तक संभव नहीं दीखता।

डॉ राजपूत ने बताया लंग्स फाइब्रोसिस को ठीक करने के अभी तक जो परंपरागत उपाय हैं उनमे से एंटी फाइब्रोसिस ड्रग, कोर्टिकोस्टेरोइड और ऑक्सीजन थेरेपी ही प्रमुख है। उन्होंने बताया कि 2007 में स्टेम सेल के फॉर्मल प्रोडक्शन के लिए उनके कुछ मित्रों ने मुंबई में एक प्रयोगशाला बनायीं। वह शुरुआत में इस लैब का हिस्सा नहीं थे। बाद में उन्हें भी इसमें शामिल किया गया। 


डॉ बी एस राजपूत ने किया लखनऊ की एक महिला का इलाज

संयोग से ऐसी स्थिति लखनऊ की एक महिला के सामने आई, जो 2016 से पहले से ही फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित थी, लेकिन उन्हें जीने के लिए कभी ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ी। लेकिन अप्रैल 2021 में कोविड से संक्रमित होने के बाद, वह बच तो गई, लेकिन फेफड़े की घातक बीमारी विकसित हो गई, जिसे लंग फाइब्रोसिस कहा जाता है, जिसका वर्तमान में कोई निश्चित इलाज उपलब्ध नहीं है। उन्हें जीवित रहने के लिए चौबीसों घंटे ऑक्सीजन की आवश्यकता थी।

मरीज का लखनऊ के एक स्थानीय अस्पताल अजंता हॉस्पिटल (Ajanta Hospital, Lucknow) में इलाज चल रहा था। अस्पताल में डॉ राजपूत भी महीने के तीसरे सोमवार को उपलब्ध रहते हैं। अस्पताल के डॉक्टरों ने इस सम्बन्ध में डॉ राजपूत से संपर्क किया। महिला का स्टेम सेल ट्रांसप्लांट करवाया गया। यह ट्रांसप्लांट डॉ बी एस राजपूत की देखरेख में हुआ। रोगी पर स्टेम सेल थेरेपी की एक सरल प्रक्रिया की गई। पिछले 3 महीनों के दौरान रोगी में काफी सुधार हुआ है और उसकी ऑक्सीजन की आवश्यकता 50 प्रतिशत कम हो गई है। आपको बता दें कि 52 वर्षीय इस महिला को स्टेम सेल थेरेपी के पहले 24 घंटे में 2 लीटर ऑक्सीजन की जरुरत पड़ती थी। अब उसकी आवश्यकता लगभग आधी हो गयी है। महिला का लंग पहले 65 प्रतिशत तक डैमेज हो गया था। थेरेपी के बाद महिला को बहुत आराम मिला है।

कैसे होती है स्टेम सेल थेरेपी

डॉ राजपूत ने बताया कि स्टेम सेल थेरेपी की प्रक्रिया बड़ी आसान है। बोन मेरो यानि अस्थि मज्जा से सेल कंसन्ट्रेट बनाया जाता है। और उसे मरीज के अंदर ब्लड के जरिये ट्रांसप्लांट किया जाता है। यह प्रक्रिया बहुत ही आसान होती है और उसमे मरीज को पूरी तरह से बेहोश करने की भी जरुरत नहीं पड़ती है। रक्त स्टेम कोशिकाओं को एक दर्द रहित प्रक्रिया के माध्यम से लिया जाता है जिसे एफेरेसिस कहा जाता है। रक्त एक नस से लिया जाता है और एक मशीन के माध्यम से प्रसारित किया जाता है जो स्टेम कोशिकाओं को हटा देता है और शेष रक्त और प्लाज्मा को रोगी को वापस कर देता है। एक ऑपरेटिंग कमरे में दाता से अस्थि मज्जा स्टेम सेल काटा जाता है।

डॉ राजपूत ने बताया की यह प्रक्रिया लोकल एनेस्थीसिया के जरिये ही पूरी कर ली जाती है। उन्होंने बताया की एक बार स्टेम सेल थेरेपी से ही मरीज में सुधार दिखने लगता है। यह प्रक्रिया साल में कम से कम तीन बार की जाती है। उसके बाद मरीज को पूरी तरह आराम मिल सकता है।


कितना आता है खर्च

डॉ बीएस राजपूत ने बताया कि स्टेम सेल थेरेपी प्रक्रिया में एक बार में लग्भग 2.5 लाख रुपये का खर्च आ जाता है। साल में यदि तीन बार प्रक्रिया की जाए तो एक मरीज को वर्ष में लगभग 7.5 लाख रुपये खर्च करने पड़ेंगे।

सरकार, बीमा कंपनियां कर रही हैं मदद

डॉ राजपूत ने बताया कि इस प्रक्रिया में चुकी अच्छा खासा पैसा खर्च होता है और वो आम लोगों की पंहुच के भीतर रहे इसके लिए सरकार गरीब लोगों की पूरी मदद कर रही है। उन्होंने बताया कि अब तक उन्होंने जितने भी ऐसे प्रक्रिया किये हैं उनमे 80 प्रतिशत सरकारी मदद वाले लोग ही थे। डॉ राजपूत बताते हैं कि नोएडा के मेट्रो हॉस्पिटल में तमाम ऐसे लोगों की उन्होंने स्टेम सेल थेरेपी की है जिन्हे पीएम और सीएम रिलीफ फण्ड के द्वारा मदद की गयी थी। डॉ राजपूत ने बताया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ-साथ मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान भी ऐसे लोगों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि स्टेम सेल थेरेपी भी बीमा कंपनियों के दायरे में आ गया है और तमाम बीमा कपनियां भी ऐसे रोगियों को वित्तीय राहत प्रदान कर रही हैं। डॉ राजपूत ने बताया कि बीमा कंपनियां अब स्टेम सेल थेरेपी में लगे पैसे की प्रतिपूर्ति कर रही है। 

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