ये हैं कोरोना के दुश्मन, घबड़ाएं नहीं, घरों में रहें मुकाबला जारी रखें

मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों के अनुसार जिन देशों में जनवरी से मार्च के बीच तापमान 19 डिग्री सेल्सियस से अधिक और नमी 9 ग्राम प्रति घन मीटर रही। वहां कोरोना वायरस के मात्र 6% मामले देखे गए।

Update: 2020-03-27 11:04 GMT

क्या आपको यह पता है कोरोना वायरस किस तापमान सरवाइव करते हैं, या फिर कोरोना वायरस को सक्रिय होने के लिए कैसा मौसम चाहिए। अगर आपको नहीं पता है तो आज हम आपको बता रहे हैं, कोरोना वायरस से जुड़ी यह सच्चाई, अध्ययन के निष्कर्षों को मशहूर जर्नल एसएसआरएन ने शामिल किया है। इन निष्कर्षों में यह पाया गया है कि नोबेल कोरेना वायरस और सार्स कोवि- 2 के विस्तार वाले 90 फीसदी मामले 3 से 17 डिग्री तापमान वाले क्षेत्रों में पाए गए। मोटे तौर पर समझने की बात ये है कि इस वायरस के लिए प्रति घन मीटर वायुमंडल में 4 से 9 ग्राम से अधिक पानी नहीं होना चाहिए, बेशक भाप के रूप में ही हो। इससे अधिक पानी होगा तो यह वायरस नहीं पनप पाएगा।

इसे भी पढ़ें

कोरोना से जंग : लॉकडाउन में घर पर ऐसे करें ऑनलाइन पढ़ाई

कोरोना वायरस को लेकर किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि गर्म और उमस वाले मौसम में इसका फैलाव धीमी गति से होता है। यही वजह है दुनिया के तमाम देशों में जहां मानसून जैसे हालात हैं इसका विस्तार कम देखने को मिला है।

ये मारेगा कोरोना वायरस को

मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों के अनुसार जिन देशों में जनवरी से मार्च के बीच तापमान 19 डिग्री सेल्सियस से अधिक और नमी 9 ग्राम प्रति घन मीटर रही। वहां कोरोना वायरस के मात्र 6% मामले देखे गए।

इसे भी पढ़ें

कोरोना की जंगः हम जीते हैं, हम जीतेंगे, अंततः हम जीत ही लेंगे

वैज्ञानिकों ने पाया कि इस अवधि में जिन एशियाई देशों में मानसून सक्रिय रहा वहां कोरोना के विस्तार की रफ्तार धीमी रही क्योंकि नमी का स्तर 10 ग्राम प्रति घन मीटर से अधिक था। अमेरिका में उत्तर दक्षिण इलाके में भी इसके विस्तार की रफ्तार अलग-अलग देखने को मिली। उत्तरी भाग ठंडा था वहां कोरोना के मामले ज्यादा सामने आए, जबकि दक्षिण में जो इसकी अपेक्षा गर्म रहता है वहां हालात बेहतर रहे।

Tags:    

Similar News