सावधान! जहरीली हवा ला सकती है हार्ट अटैक, हर उम्र वाले गहरे जोखिम में

Pollution cause of Heart Attack: वायु प्रदूषण हृदय संबंधी बीमारियों का सबसे बड़ा कारण है। इनमें दिल के दौरे, स्ट्रोक और हार्ट फेलियर से लेकर दिल की अनियमित धड़कन तक शामिल हैं।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2024-11-19 14:33 IST

जहरीली हवा ला सकती है हार्ट अटैक   (photo: social media )

Pollution cause of Heart Attack: भारत और पाकिस्तान में वायु प्रदूषण जबर्दस्त लेवल पर पहुंच चुका है। ये जहरीली हवा न सिर्फ फेफड़ों को बल्कि हृदय को भी खराब कर रही है और जानलेवा साबित हो सकती है।

ये कोई अटकलें नहीं बल्कि इस बात के अधिकाधिक प्रमाण हैं कि वायु प्रदूषण हमारे हृदय की सेहत को किस प्रकार प्रभावित कर रहा है। अध्ययनों में पाया गया है कि वायु प्रदूषण हृदय संबंधी बीमारियों का सबसे बड़ा कारण है। इनमें दिल के दौरे, स्ट्रोक और हार्ट फेलियर से लेकर दिल की अनियमित धड़कन तक शामिल हैं।

प्रदूषण से होता क्या है?

- हवा में तैरते प्रदूषकों में से सबसे खतरनाक है पीएम 2.5, जो 2.5 माइक्रोन से भी कम आकार का होता है। तुलना के लिए बता दें कि हमारे खून का एक रेड ब्लड सेल (लाल रक्त कोशिका) का आकार आठ माइक्रोन होता है। सो पीएम 2.5 आसानी से रक्तप्रवाह में जा सकता है।

- पीएम 2.5 कण खून की नलियों की परत में सूजन का कारण बनता है, इसे कमज़ोर और क्षतिग्रस्त करता है, जिससे टूटने का जोखिम बढ़ जाता है।

- खून की नली में हुए डैमेज के आस-पास खून के थक्के जम जाते हैं जो खून के सर्कुलेशन में रुकावट पैदा कर सकते हैं। इसकी वजह से दिल का दौरा पड़ सकता है।

- पीएम 2.5 दिल में कैल्शियम के असामान्य स्तर को भी जन्म दे सकता है, जो दिल की धड़कनों में बाधा डाल सकता है और अचानक कार्डियक अरेस्ट को ट्रिगर कर सकता है। यह ब्लड प्रेशर (BP) बढ़ा सकता है।

- लंबे समय में, पीएम 2.5 कोशिकाओं में आर्गेनिक बदलाव कर सकता है, जिसमें खून की नलियों का मोटा होना और फेफड़ों को नुकसान शामिल है। यह समय से पहले मृत्यु के जोखिम को भी बढ़ा सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें पुरानी हृदय या फेफड़ों की बीमारी है।

बड़ा खतरा

- पीएम 2.5 के संपर्क में आने से हृदय संबंधी स्थितियों और स्ट्रोक के लिए अस्पताल में भर्ती होने का जोखिम बढ़ जाता है।

- इस वर्ष के प्रारंभ में हार्वर्ड में किए गए अध्ययन में पाया गया कि पीएम 2.5 के संपर्क में आने से तीन वर्षों में सभी हृदय संबंधी बीमारियों, विशेष रूप से इस्केमिक हृदय रोग, सेरेब्रोवास्कुलर रोग, हार्ट फेल्योर और धड़कन में असमानता के लिए अस्पताल में भर्ती होने का जोखिम बढ़ जाता है।

- पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएचएफआई) और एम्स के एक अध्ययन के अनुसार, पीएम 2.5 के लंबे समय तक संपर्क में रहने से लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एलडीएल) या खराब कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स दोनों बढ़ सकते हैं। इससे रक्त गाढ़ा हो सकता है, जिससे हृदय के लिए इसे पंप करना मुश्किल हो जाता है और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है।

- एक अध्ययन से पता चला है कि पीएम 2.5 का लेवल 50 होने पर उसके संपर्क में आने से हृदय संबंधी जोखिम काफी बढ़ जाता है। हालात ये हैं कि भारत और चीन में, आउटडोर पीएम 2.5 शायद ही कभी 84 से नीचे होता है।

पीएम 10 के बारे में जानिए

पीएम 10 कण भी इतने छोटे होते हैं कि ये फेफड़ों में गहराई तक घुस सकते हैं और गैस की तरह काम करते हैं। जिन लोगों को पहले से ही दिल या फेफड़ों की बीमारी है, उन्हें घरघराहट, सीने में जकड़न या सांस लेने में कठिनाई की शिकायत हो सकती है।

पीएम 10 खून के थक्के बना कर तथा खून की नलियों को चौड़ा होने से रोक कर दिल के दौरे को ट्रिगर कर सकते हैं।

हर उम्र वाले जोखिम में

युवा, बूढ़े और पुरानी बीमारी से ग्रसित लोगों पर प्रदूषकों के संपर्क में आने से खराब प्रभाव पड़ने की सबसे अधिक संभावना है। इसलिए बाहर निकलने पर मास्क पहनें, एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें, साफ-सुथरा खाना खाएं, हाइड्रेट करें और स्मॉग हटने तक घर के अंदर रहें।

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