World Disability Day: क्यों मनाते हैं विकलांगता दिवस, जानें कैसे दूर करें शारीरिक विकलांगता

World Disability Day 2021: हर साल 3 दिसंबर को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय विकलांग दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा की सिफारिश पर अंतरराष्ट्रीय विकलांगता दिवस की शुरुआत साल 1992 में की गयी थी।

Written By :  Shreya
Newstrack :  Network
Update:2021-12-03 06:00 IST
World disability day

World Disability Day 2021: विकलांग व्यक्ति आज केवल न देश बल्कि विदेशों में भी अपने नाम का परचम लहरा रहे हैं और भारत का नाम गर्व से रोशन कर रहे हैं। ओलंपिक में भी अपनी कमजोरियों को मुंह चिढ़ाते हुए मेडल जीतकर आ रहे हैं। हालांकि इन सब के बावजूद दुनियाभर में विकलांग व्यक्तियों को औरों के बराबर नहीं रखा जाता। ऐसे में दिव्यागों के प्रति लोगों के व्यवहार में बदलाव लाने, इन्हें बराबरी के मौके देने और इनके अधिकारों, आत्म-सम्मान के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए विश्वभर में अंतरराष्ट्रीय विकलांग दिवस मनाने की शुरुआत की गई। 

हर साल 3 दिसंबर को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय विकलांग दिवस (Vishv Viklang Diwas) या अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा की सिफारिश पर अंतरराष्ट्रीय विकलांगता दिवस की शुरुआत साल 1992 में की गयी थी। 1992 से हर साल इसे पूरी दुनिया में ढ़ेर सारी सफलता के साथ लगातार मनाया जा रहा है। इस दिन को मनाने के लिए हर साल एक थीम भी रखी जाती है। विकलांग इंसानों के लिए यह सबसे खास दिनों में से एक होता है। 

विकलांगता क्या है (Viklangta Kya Hai)?

सबसे पहले यह जान लें कि आखिर विकलांगता (Viklangta) क्या है? अगर इसे सरल भाषा में समझें तो विकलांगता एक ऐसी शारीरिक या मानसिक अक्षमता (कमी) है, जिस वजह से कोई व्यक्ति किसी काम को कर पाने में सामान्य व्यक्तियों की तरह अक्षम होता है। भारत में ऐसे व्यक्ति को विकलांगता की श्रेणी में लिया जाता है, जो चिकित्सा के आधार पर 40 फीसदी से कम विकलांगता का शिकार न हो। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट की मानें तो दुनिया की करीब 15 फीसदी आबादी किसी तरह की विकलांगता से पीड़ित है। भारत में यह प्रतिशत 2.21 है। 

विकलांगता के प्रकार (Viklangta Ke Prakar)

शारीरिक विकलांगता (Physical Disability)

मानसिक विकलांगता (Mental Disability)

संवेदी विकलांगता (Sensory Disability)

शारीरिक विकलांगता किसे कहते हैं (Sharirik Viklangta Kya Hai)?

जब किसी मनुष्य के शरीर का एक भाग या अंग काम करना बंद कर दे या फिर शरीर का भाग सामान्य से अलग हो तो इसे शारीरिक विकलांगता (Sharirik Viklangta) कहते हैं। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को सामान्य जीवन जीने में बहुत अधिक परेशानी होती है। सरल शब्दों में  शारीरिक विकलांगता एक ऐसी समस्या होती है, जिसके चलते व्यक्ति के जिंदगी की एक या उससे अधिक गतिविधियां प्रभावित होती हैं। शारीरिक विकलांगता जन्मजात, किसी बीमारी या किसी दुर्घटना की वजह से भी हो सकती है। 

शारीरिक विकलांगता के जोखिम कारक

प्रेग्नेंसी के दौरान बीमारी या संक्रमण हो जाना।

जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी होना।

माता पिता की बुद्धिमता यानी आईक्यू कम होना।

पैरेंट्स के नशे की लत या ड्रग्स के सेवन करना।

दिमाग की चोट।

कुपोषण।

बचपन में पोलियो ना पीना।

क्या हैं शारीरिक विकलांगता के लक्षण (Sharirik Viklangta Ke Lakshan)

बच्चे को चलने, दौड़ने या अन्य किसी शारीरिक गतिविधि को करने में समस्या होना।

रीढ़ की विचलन की समस्या का होना।

चलते, बैठते या उठते समय खराब आसान का होना।

शरीर के सभी ऊपरी और निचले अंग नहीं होना।

कई मौकों पर शरीर की हड्डियों का आसानी से टूटना या फ्रैक्चर होना।

शारीरिक विकलांगता से कैसे बचा जाए (Sharirik Viklangta Ke Upay)?

विकलांगता दिवस के मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं कि आप किस तरह से शारीरिक विकलांगता से बच सकते हैं। जी हां, अगर शुरू में ही कुछ जरूरी चीजों पर ध्यान दे दिया जाए तो बच्चे शारीरिक विकलांगता से बच सकते हैं। जैसा कि हमने बताया कि प्रेग्नेंसी के दौरान बीमारी या संक्रमण होने से भी बच्चे शारीरिक विकलांगता का शिकार हो सकते हैं। ऐसे में मां ध्यान दें कि 18 की उम्र से पहले या 35 साल के बाद गर्भ धारण करने से बचें। प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाएं अपना अच्छी तरह से ख्याल रखें। जैसे-

प्रेग्नेंट महिलाएं टेटनेस का टीका लेना ना भूलें।

भारी सामान उठाने से बचें।

ड्रग्स, नशीले पदार्थ, शराब या तम्बाकू का सेवन बिल्कुल ना करें।

अनावश्यक दवाओं का सेवन प्रेग्नेंसी में ना करें।

एक्सरे या फिर किसी भी तरह की रेडिएशन से बचें।

न केवल प्रेग्नेंसी के दौरान बल्कि डिलीवरी के बाद भी अपना बेहद ख्याल रखें। डिलीवरी वहीं पर करवाएं जहां पर सारी सुविधाएं मौजूद हों। बच्चे को किसी तरह के संक्रमण से बचाने के लिए स्तनपान जरूर कराएं।

बच्चों पर दें ध्यान 

बच्चे के जन्म के बाद भी माता पिता को उस पर पूरा ध्यान देना चाहिए।

बच्चों को संक्रामक बीमारियों से बचाने के लिए वैक्सीनेशन अवश्य करवाएं।

बच्चे को कान पर ना मारें, इससे उसके कान के परदे को नुकसान पहुंच सकता है और सुनने की क्षमता जा सकती है।

सिर की चोट या किसी तरह के एक्सीडेंट से बचाएं। अगर चोट लग जाती है तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं।

बच्चे के खानपान का अच्छे से ख्याल रखें। संतुलित आहार बेहद जरूरी होता है बच्चों को फिट रखने में।

गंदी जगहों से बचा कर रखें।

इन सभी उपायों को करने से आप अपने बच्चे को शारीरिक विकलांगता से दूर रख सकते हैं। इसके अलावा अगर कोई बच्चा शारीरिक विकलांगता का शिकार है तो ऐसे कई थेरेपी आज के समय में मौजूद हैं, जिससे इस समस्या को दूर किया जा सकता है। 

नोट- यह खबर सामान्य जानकारी के आधार पर तैयार की गई है। ऐसे में इन उपायों पर अमल करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर करें। 

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