World Obesity Day: सावधान! बहुत बड़ी कीमत चुकानी होगी मोटापे की, भारत में बन रही बड़ी समस्या

World Obesity Day: विश्व ओबेसिटी फेडरेशन की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 2035 तक भारतीय अर्थव्यवस्था पर अधिक वजन और मोटापे का कुल प्रभाव 129.33 बिलियन डॉलर तक हो सकता है।

Written By :  Neel Mani Lal
Update: 2023-03-04 06:37 GMT

World Obesity Day (photo: social media )

World Obesity Day: वर्ष 2025 तक दुनिया की आधी जनसंख्या मोटापे का शिकार होगी। मोटापा सिर्फ लोगों की सेहत ही नहीं बल्कि देशों की आर्थिक सेहत को भी खराब कर रहा है। भारत में भी मोटापा एक बड़ी समस्या के रूप में फैलता जा रहा है। विश्व ओबेसिटी फेडरेशन की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 2035 तक भारतीय अर्थव्यवस्था पर अधिक वजन और मोटापे का कुल प्रभाव 129.33 बिलियन डॉलर तक हो सकता है।

सालाना 5 फीसदी से ज्यादा वृद्धि

वर्ल्ड ओबेसिटी एटलस नामक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में मोटापा 2035 तक सालाना 5.2 प्रतिशत बढ़ने की संभावना है। वार्षिक वृद्धि बच्चों और भी अधिक यानी 9.1 फीसदी होने की संभावना है।

डब्ल्यूएचओ की परिभाषा

रिपोर्ट में मोटापे की डब्ल्यूएचओ की परिभाषा का उपयोग किया गया है। इस परिभाषा के अनुसार, 30 और उससे अधिक के एक बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) मोटापा माना जाता है। जबकि 25-30 के बीच बीएमआई को अधिक वजन माना जाता है। आर्थिक प्रभाव की गणना मोटापे और उसके परिणामस्वरूप हुई स्थितियों की लागतों को ध्यान में रखते हुए की गई है। इसमें मोटापे से जुड़ी बीमारियों का इलाज, आर्थिक उत्पादकता पर उच्च बीएमआई के प्रभाव, उच्च बीएमआई से अनुपस्थिति में योगदान, कम उत्पादकता और समय से पहले सेवानिवृत्ति या मृत्यु को ध्यान में रखा गया है।

गतिहीन जीवन शैली

एक्सपर्ट्स का कहना है कि लोगों में सीडेंटरी यानी गतिहीन जीवन शैली बहुत तेजी से बढ़ रही है। मोटापे में वृद्धि का प्रमुख कारण बैठे बिठाए एक क्लिक पर सब कुछ उपलब्ध हो जाना है। यहां तक कि कार्यस्थल पर ऑटोमेशन से भी लाइफ स्टाइल खराब होती जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि मोटापे में वृद्धि से कई बीमारियां भी बढ़ती जाएंगी। हार्मोनल असंतुलन, डायबिटीज और हृदय रोगों से संबंधित मसले बढ़ते जा रहे हैं। मोटापा बढ़ने की वजह रिफाइंड खाद्य पदार्थों का अधिकाधिक उपभोग भी है।

पुरुष - महिला सब बराबर

हाल के दशकों में भारत में मोटापे में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस) के आंकड़ों के अनुसार, अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त पुरुषों का अनुपात 2006 में 9.3 प्रतिशत से बढ़कर 2021 में 22.9 प्रतिशत हो गया है। महिलाओं में यह आंकड़ा 12.6 से 24 प्रतिशत तक बढ़ गया।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों से पता चलता है कि शहरी क्षेत्रों के लोग ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की तुलना में अधिक मोटे या अधिक वजन वाले हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में क्रमशः 19.7 और 19.3 प्रतिशत महिलाओं और पुरुषों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में 33.3 प्रतिशत महिलाओं और 29.8 प्रतिशत पुरुष अधिक वजन वाले या मोटे हैं।

ग्लोबल समस्या

2035 तक दुनिया की आबादी का 51 प्रतिशत अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हो सकता है। यदि रोकथाम और उपचार नहीं किये गए तो इसका आर्थिक प्रभाव 4.32 ट्रिलियन डॉलर तक जा सकता है। यह 2025 के 2.47 ट्रिलियन डॉलर के अनुमान से लगभग दोगुना है।

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