Male Contraceptive: आ गया पुरुषों के लिए गर्भनिरोधक इंजेक्शन, क्लिनिक ट्रायल में हुआ सफल
Male Contraceptive Injection: अध्ययन की रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय ओपन एक्सेस जर्नल 'एंड्रोलॉजी' में प्रकाशित हुई है। इसके अनुसार 303 स्वस्थ, यौन रूप से सक्रिय और विवाहित पुरुष जिनकी आयु 25 से 40 वर्ष के बीच थी, को 60 मिलीग्राम RISUG का इंजेक्शन लगाया गया।
Male Contraceptive Injection: पुरुषों के लिए विश्व का पहला गर्भनिरोधक इंजेक्शन जल्द ही बाजार में उपलब्ध होने की उम्मीद है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (Indian Council Of Medical Research-ICMR) ने 303 स्वस्थ पुरुष वालंटियर्स के सात साल के अध्ययन का निष्कर्ष निकाला है, जिससे पता चला है कि गैर-हार्मोनल इंजेक्शन पुरुष गर्भनिरोधक-- RISUG (Reversible Inhibition of Sperm under Guidance)-- सुरक्षित और प्रभावकारी है।
अध्ययन की रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय ओपन एक्सेस जर्नल 'एंड्रोलॉजी' में प्रकाशित हुई है। इसके अनुसार 303 स्वस्थ, यौन रूप से सक्रिय और विवाहित पुरुष जिनकी आयु 25 से 40 वर्ष के बीच थी, को 60 मिलीग्राम RISUG का इंजेक्शन लगाया गया।
क्या कहता है अध्ययन?
अध्ययन में पाया गया कि RISUG की गर्भावस्था रोकथाम बिना किसी गंभीर दुष्प्रभाव के 99.02% थी। अध्ययन में पाया गया कि RISUG ने एज़ूस्पर्मिया, एक चिकित्सीय शब्द है जो यह बताता है कि स्खलित वीर्य में कोई व्यवहार्य शुक्राणु मौजूद नहीं है, में 97.3% हासिल किया। अध्ययन में वालंटियर्स की पत्नियों के स्वास्थ्य की भी निगरानी की गई और पाया गया कि कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा। अध्ययन पांच केंद्रों, जयपुर, नई दिल्ली, उधमपुर, खड़गपुर और लुधियाना के अस्पतालों में हुआ। यह अध्ययन स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित है। अध्ययन में पाया गया कि भले ही कुछ पुरुषों में आरआईएसयूजी इंजेक्शन के बाद बुखार, सूजन और मूत्र प्रणाली में संक्रमण जैसे शुरुआती दुष्प्रभाव दिखे, लेकिन कुछ हफ्तों से लेकर लगभग तीन महीने के भीतर उनका पूरी तरह से समाधान हो गया।
किसने डेवेलप किया RISUG?
RISUG को आईआईटी खड़गपुर के डॉ सुजॉय कुमार गुहा द्वारा विकसित किया गया था। उन्होंने 1979 में गर्भनिरोधन पत्रिका में RISUG पर पहला वैज्ञानिक पेपर प्रकाशित किया था। इस गर्भनिरोधक को चरण-III परीक्षणों को पूरा करने में चार दशक से अधिक समय लगा है।
क्यों है यह कंडोम से बेहतर
RISUG एक पॉलिमरिक एजेंट, स्टाइरीन मैलिक एनहाइड्राइड (SMA) को डाइ-मिथाइल सल्फॉक्साइड (डीएमएसओ) के माध्यम से शुक्राणु वाहिनी में इंजेक्ट करने पर आधारित है, जो शुक्राणु कोशिकाओं को अंडकोष से लिंग तक पहुंचाता है। अध्ययन के अनुसार RISUG का लाभ यह है कि इसे एक बार इंजेक्शन लेने पर इसका प्रभाव लम्बे समय तक रहता है। साथ ही अन्य गर्भनिरोधकों के मुकाबले दुष्प्रभाव नहीं होता है। अध्ययन में बताया गया है कि जहाँ इस्तेमाल के दौरान कंडोम फटने की दर 12% से 18.6% तक है वहीँ RISUG में ऐसी कोई दिक्कत नहीं होती है।
कैसे करता है RISUG काम
RISUG को दो शुक्राणु नलिकाओं में इंजेक्ट किया जाता है जो शुक्राणु को अंडकोष से लिंग तक ले जाती हैं। इंजेक्शन लगाने से पहले अंडकोश पर लोकल अनेस्थिसिया लगाया जाता है। इसके बाद RISUG को पहले एक शुक्राणु वाहिनी में इंजेक्ट किया जाता है और फिर दूसरे में। एक बार इंजेक्शन लगाने के बाद, अत्यधिक आवेशित पॉलिमर शुक्राणु वाहिनी की भीतरी दीवारों से चिपक जाता है। जब पॉलिमर नकारात्मक रूप से आवेशित शुक्राणु के संपर्क में आता है, तो यह उनकी पूंछ को तोड़ देता है जिससे वे अंडों को निषेचित करने में असमर्थ हो जाते हैं।