BJP: हिमाचल में झटके के बाद भाजपा सतर्क, अब चुनावी राज्यों पर फोकस, गुटबाजी के खिलाफ सख्त कदम

BJP New Strategy: गुजरात में सबसे बड़ी चुनावी जीत मिलने के साथ ही हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में लगे झटके ने भाजपा नेतृत्व को बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया है।

Report :  Anshuman Tiwari
Update: 2022-12-11 08:32 GMT

BJP Focus on Election States (Photo: Social Media)

BJP: गुजरात में सबसे बड़ी चुनावी जीत मिलने के साथ ही हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में लगे झटके ने भाजपा नेतृत्व (BJP leadership) को बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया है। पार्टी ने अब उन राज्यों पर फोकस करने का फैसला किया है जहां 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अगले साल विधानसभा चुनाव (assembly elections) होने हैं। इन राज्यों में कर्नाटक, राजस्थान और मध्य प्रदेश को काफी अहम माना जा रहा है। इन राज्यों में गुटबाजी पार्टी नेतृत्व के लिए मुसीबत बनी हुई है और पार्टी नेतृत्व ने गुटबाजी को खत्म करने के लिए सख्त कदम उठाने का संकेत दिया है।

दरअसल 2024 की बड़ी सियासी जंग से पहले राजस्थान, कर्नाटक और मध्य प्रदेश के अलावा तेलंगाना, छत्तीसगढ़, मिजोरम, त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। इन चुनावों को 2024 की सियासी जंग से पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सेमीफाइनल माना जा रहा है। हिमाचल में लगे झटके के बाद पार्टी ने इन राज्यों में विशेष फोकस करने का फैसला किया है। आने वाले दिनों में इन राज्यों में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं की सक्रियता बढ़ाने की तैयारी है।

हिमाचल के नतीजे ने सिखाया सबक

हिमाचल प्रदेश के चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच एक फीसदी से भी कम वोटों का अंतर रहा है मगर इस मामूली अंतर से भी पार्टी 15 सीटों से पिछड़ गई है। जहां एक ओर कांग्रेस राज्य की 40 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही है,वहीं भाजपा 25 सीटों पर ही सिमट गई है। इस बार के चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच 0.9 फ़ीसदी वोटों का ही अंतर है मगर यदि 2017 के विधानसभा चुनावों को देखा जाए तो इस बार भाजपा के वोट शेयर में करीब 6 फीसदी की गिरावट आई है।

दूसरी ओर कांग्रेस के वोट शेयर में 1.8 फ़ीसदी मतों की बढ़ोतरी हुई है। हिमाचल प्रदेश की इस हार के बाद पार्टी अब उन राज्यों को लेकर सतर्क हो गई है जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। पार्टी इन राज्यों की चुनावी तैयारियों में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहती।

कर्नाटक पर पार्टी का विशेष फोकस

भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी अपनी सरकार वाले राज्यों में सत्ता बचाए रखने की पूरी कोशिश करेगी जबकि राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य कांग्रेस से छीनकर हिमाचल प्रदेश का बदला चुकाने की कोशिश करेगी। इसके साथ ही पार्टी ने तेलंगाना पर भी अपना ध्यान लगा रखा है जहां केसीआर की मजबूत पकड़ मानी जाती है।

भाजपा नेतृत्व के लिए खासकर वे राज्य चिंता का विषय बने हुए हैं जहां ज्यादा गुटबाजी दिख रही है। पार्टी नेतृत्व की ओर से कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा को हटाकर बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया गया था। बोम्मई की राज्य भाजपा पर मजबूत पकड़ नहीं मानी जा रही है। बीच-बीच में उन्हें हटाने की चर्चाएं भी होती रही हैं। राज्य भाजपा में समय-समय पर गुटबाजी भी दिखती रही है। ऐसे में पार्टी की ओर से यहां बड़े कदम उठाए जा सकते हैं। कर्नाटक दक्षिण भारत का अकेला ऐसा राज्य है जहां मौजूदा समय में भाजपा की सत्ता है।

राजस्थान की गुटबाजी ने बढ़ाई चिंता

कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान में भाजपा इस बार सत्ता में वापसी करने की कोशिश में जुटी हुई है। कांग्रेस में यहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के खेमे में खींचतान चल रही है और भाजपा इसका फायदा उठाना चाहती है मगर पार्टी नेतृत्व की चिंता इस बात को लेकर है कि भाजपा में भी यहां गुटबाजी हावी है। वसुंधरा राजे का खेमा उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा बनाए जाने की मांग कर रहा है। वसुंधरा राजे ने इस बाबत पार्टी नेतृत्व पर लगातार बनाए रखा है।

दूसरी ओर सतीश पूनिया की अगुवाई में दूसरा खेमा भी सक्रिय है। पार्टी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह की तमाम कोशिशों के बावजूद अभी तक राजस्थान भाजपा में गुटबाजी खत्म नहीं हो सकी है। माना जा रहा है कि राजस्थान में भी गुटबाजी का खत्म करने के लिए सख्त कदम उठाया जा सकता है।

मध्यप्रदेश को लेकर भी सतर्कता

मध्यप्रदेश में भी पार्टी नेताओं के बीच मतभेद समय-समय पर उजागर होते रहे हैं। मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने भी पूरी ताकत लगा रखी है। हाल में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को मध्यप्रदेश में बड़ी कामयाबी मिली थी। ऐसे में भाजपा नेतृत्व मध्यप्रदेश को लेकर भी सतर्क रुख अपनाने की कोशिश में जुटा हुआ है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस का संगठन मजबूत होने के कारण इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़े मुकाबले की उम्मीद जताई जा रही है।

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