Himachal Politics: सुक्खू की ताजपोशी से नई राह पर कांग्रेस, परिवारवाद किनारे, जातीय समीकरण भी साधा

Himachal Politics: हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला करके कांग्रेस नई राह पर चलती हुई दिख रही है। हाईकमान ने सुक्खू के नाम पर मुहर लगाई।

Report :  Anshuman Tiwari
Update:2022-12-11 11:09 IST

हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला कांग्रेस ने परिवारवाद को किया दरकिनार: Photo- Social Media

Himachal Politics: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhwinder Singh Sukhu) को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला करके कांग्रेस नई राह पर चलती हुई दिख रही है। दो दिनों तक चली कवायद के बाद आखिरकार हाईकमान ने सुक्खू के नाम पर मुहर लगाई। हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के लिए पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह (Former Chief Minister Virbhadra Singh) की पत्नी और सांसद प्रतिभा सिंह की भी मजबूत दावेदारी थी। प्रतिभा सिंह (Pratibha Singh) के खेमे की ओर से लगातार शक्ति प्रदर्शन भी किया गया मगर कांग्रेस नेतृत्व ने परिवारवाद से किनारा करते हुए बिल्कुल निचले स्तर से उठने वाले सुक्खू की ताजपोशी का फैसला करके बड़ा संकेत देने की कोशिश की है।

इसके साथ ही कांग्रेस नेतृत्व ने हिमाचल प्रदेश के जातीय समीकरण ठाकुर और ब्राह्मण को भी साधने की कोशिश की है। ठाकुर जाति से ताल्लुक रखने वाले सुक्खू को सीएम और ब्राह्मण वर्ग से जुड़े मुकेश अग्निहोत्री को डिप्टी सीएम बनाने का फैसला हिमाचल प्रदेश को लेकर कांग्रेस की दूरदर्शी सोच का संकेत माना जा रहा है।

प्रतिभा सिंह की दावेदारी को नकारा

हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी और राज्य कांग्रेस की प्रमुख प्रतिभा सिंह की ओर से मजबूत दावेदारी की गई थी। हिमाचल प्रदेश के प्रभारी राजीव शुक्ला और कांग्रेस पर्यवेक्षकों के सामने प्रतिभा खेमे की ओर से शक्ति प्रदर्शन भी किया गया था। यहां तक कि प्रतिभा के बेटे और कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने अपनी मां के मुख्यमंत्री बनने की स्थिति में विधानसभा सीट छोड़ने की पेशकश तक कर डाली थी।

चुनाव नतीजों की घोषणा के बाद ही प्रतिभा सिंह ने हाईकमान पर मुख्यमंत्री बनाए जाने के लिए दबाव बढ़ा दिया था। उनका कहना था कि कांग्रेस को इस चुनाव में वीरभद्र सिंह के नाम पर काफी वोट मिले हैं। कांग्रेस को वीरभद्र सिंह के नाम, चेहरे और काम के दम पर जीत हासिल हुई है। इसलिए मुख्यमंत्री पद का फैसला करने में वीरभद्र के परिवार की अनदेखी नहीं की जा सकती। इसके बावजूद कांग्रेस नेतृत्व की ओर से प्रतिभा सिंह की दावेदारी को नकारते हुए सुखविंदर सिंह सुक्खू की ताजपोशी करने का फैसला किया गया।

कांग्रेस नेतृत्व ने परिवारवाद को किया किनारे

कांग्रेस सूत्रों का मानना है कि प्रतिभा खेमे की दबाव बनाने की रणनीति को फेल करके कांग्रेस नेतृत्व नई राह पर बढ़ता हुआ दिख रहा है। लंबे समय तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने वाले वीरभद्र सिंह के परिवार की दावेदारी को नकार कर कॉमनमैन सुक्खू पर भरोसा जताना कांग्रेस नेतृत्व का बड़ा कदम माना जा रहा है।

सियासी जानकारों का मानना है कि लगातार परिवारवाद के आरोपों में घिरी कांग्रेस अब इस दायरे से बाहर निकलने की कोशिश कर रही है। इसी कारण हिमाचल प्रदेश में सुक्खू पर दांव लगाने का फैसला किया गया है।

सूक्खू की रही है कॉमनमैन की छवि

कॉमनमैन की छवि रखने वाले सुक्खू का लंबा सियासी अनुभव है और उन्होंने लंबे समय तक हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस संगठन को मजबूत बनाने के लिए काम किया है। वे नगर निगम के दो बार पार्षद रहने के साथ ही पांच बार विधायक का चुनाव जीत चुके हैं। इसके साथ ही उन्होंने लंबे समय तक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में भी भूमिका निभाई है।

सुक्खू को सियासी अखाड़े का भी माहिर खिलाड़ी माना जाता है। मुख्यमंत्री पद के फैसले के दौरान भी उन्होंने कुशल राजनीति का परिचय दिया। उन्होंने खुद को मुख्यमंत्री पद की रेस से बाहर बताते हुए हाईकमान का फैसला मंजूर करने की बात कही थी। आखिरकार पार्टी नेतृत्व ने हिमाचल प्रदेश में सुक्खू की ओर से किए गए काम का इनाम देते हुए उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया।

हिमाचल का जातीय समीकरण भी साधा

कांग्रेस नेतृत्व ने मुकेश अग्निहोत्री को डिप्टी सीएम बनाने का फैसला करके एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश की है। मुकेश अग्निहोत्री को डिप्टी सीएम बनाने के फैसले के साथ प्रतिभा खेमे का मुंह बंद करने की कोशिश की गई है क्योंकि अग्निहोत्री प्रतिभा खेमे से ही जुड़े हुए हैं। इसके साथ ही वे ब्राह्मण वर्ग से आते हैं। ठाकुर समुदाय से जुड़े सुक्खू को सीएम और ब्राह्मण वर्ग से जुड़े मुकेश अग्निहोत्री को डिप्टी सीएम बनाकर हिमाचल प्रदेश की दो प्रमुख जातियों ठाकुरों और ब्राह्मणों को साधने का प्रयास भी किया गया है।

इस बार के विधानसभा चुनाव में प्रतिभा सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने भी जीत हासिल की है और जानकारों का मानना है कि उन्हें कैबिनेट में प्रमुख मंत्री पद दिया जाना तय है। इसके जरिए पार्टी प्रतिभा खेमे को साधकर भविष्य में सुक्खू के लिए सरकार चलाने की राह आसान बनाना चाहती है।

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