Himachal Pradesh Result: पांच बागी कर सकते हैं बड़ा खेल, जानिए पूरी गणित

Himachal Pradesh Election Result: हिमाचल प्रदेश एक ऐसा राज्य है जहां छोटे-छोटे अंतर उम्मीदवारों के चुनावी भाग्य का फैसला कर सकते हैं, ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि बागियों का क्या हाल होता है।

Report :  Neel Mani Lal
Update: 2022-12-08 06:35 GMT

Himachal Pradesh Assembly Election Result (Image: Social Media)

Himachal Election Result: हिमाचल प्रदेश एक ऐसा राज्य है जहां छोटे-छोटे अंतर उम्मीदवारों के चुनावी भाग्य का फैसला कर सकते हैं, ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि बागियों का क्या हाल होता है। इस बार के विधानसभा चुनाव में पांच बागी निर्दलीय उम्मीदवारों पर सबकी नजर है -

इंदु वर्मा (ठियोग)

तीन बार के विधायक दिवंगत राकेश वर्मा की पत्नी इंदु वर्मा पिछले दो दशकों से राजनीति से जुड़ी हुई हैं। राकेश वर्मा का दो साल पहले दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। वह ठियोग निर्वाचन क्षेत्र से दो बार निर्दलीय और एक बार भाजपा के टिकट पर जीते थे। बीते जुलाई में इंदु के कांग्रेस में शामिल होने के साथ, पार्टी को ठियोग क्षेत्र में अपनी संभावनाएं बढ़ाने की उम्मीद थी क्योंकि इस परिवार का अभी भी इस क्षेत्र में समर्थन और जनाधार है। लेकिन हरियाणा कांग्रेस के पूर्व प्रमुख कुलदीप सिंह राठौर को ठियोग से टिकट दे दिया गया। टिकट न मिलने से नाराज इंदु वर्मा निर्दलीय चुनाव लड़ने उतर गईं। कांग्रेस के दिग्गज नेता जेबीएल खाची के बेटे विजय पाल खाची भी मैदान में हैं। हिमाचल की सेब बेल्ट में प्रमुख निर्वाचन क्षेत्र में हार कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका होगा।

कृपाल सिंह परमार (फतेहपुर)

कृपाल सिंह ने भाजपा कार्यकर्ता के रूप में शुरुआत की और जिला और राज्य इकाइयों में आगे बढ़े। वह राज्यसभा सांसद बने और उन्हें राज्य भाजपा का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। पिछले साल, उन्हें फतेहपुर उपचुनाव के दौरान टिकट से वंचित कर दिया गया था जिसके बाद उन्होंने पार्टी के राज्य नेतृत्व में समस्याओं की ओर इशारा करते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। पार्टी ने उपचुनाव में बलदेव ठाकुर को मैदान में उतारा, लेकिन वह कांग्रेस के भवानी पठानिया से 5,800 से अधिक मतों से हार गए। इस बार भी नजरअंदाज किए जाने के बाद परमार निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं।

हितेश्वर सिंह (बंजार)

कुल्लू में भाजपा ने महेश्वर सिंह को टिकट दिया, जो क्षेत्र के पूर्व शाही परिवार से आते हैं। उन्होंने पहले हिमाचल लोकहित पार्टी के सदस्य के रूप में सीट जीती थी। लोकहित पार्टी बाद में भंग हो गई और भाजपा में विलय हो गई। महेश्वर के बेटे हितेश्वर को अपने लिए टिकट की उम्मीद थी सो उन्होंने घोषणा की कि वह बंजार से निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। पार्टी आलाकमान ने महेश्वर पर दबाव डाला कि वह अपने बेटे को लड़ाई न करने के लिए मनाए। आखिरकार, पार्टी ने महेश्वर का भी टिकट काट दिया और एक शिक्षक नरोत्तम सिंह को मैदान में उतार दिया। हितेश्वर ने भाजपा के सुरिंदर शौरी और भाजपा के पूर्व अध्यक्ष खिमी राम के खिलाफ निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा था, जो इस साल की शुरुआत में कांग्रेस में शामिल हो गए थे। हितेश्वर के विद्रोह ने कुल्लू और बंजार में भाजपा के लिए परेशानी खड़ी कर दी थी। यह क्षेत्र महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण पर्यटन केंद्र और विकास परियोजनाओं का स्थान है।

दयाल प्यारी और गंगू राम मुसाफिर (पच्छाड)

सिरमौर में पच्छाड निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति (एससी) समुदायों के लिए आरक्षित है। ये क्षेत्र दो महिलाओं के बीच लड़ाई का गवाह बना हुआ है। भाजपा की मौजूदा विधायक रीना कश्यप के सामने हैं दयाल प्यारी जो पिछली बार भाजपा के बागी के रूप में हार गई थीं। उन्होंने इस बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और शहरी विकास सुरेश कश्यप इसी क्षेत्र से आते हैं। दयाल प्यारी को 2019 में उपचुनाव के लिए भाजपा के कैंडिडेट के रूप में देखा गया था। लेकिन कथित तौर पर सुरेश कश्यप और सीएम जयराम ठाकुर के खेमे द्वारा उन्हें टिकट से वंचित कर दिया गया था क्योंकि वह पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल के समूह से संबंधित थीं। उपचुनावों के लिए भाजपा ने जिला परिषद सदस्य रीना कश्यप को मैदान में उतारा। इस क्षेत्र से कांग्रेस के बागी उम्मीदवार गंगू राम मुसाफिर ने भी वीरभद्र सिंह के नाम पर चुनाव लड़ा है।

केएल ठाकुर (नालागढ़)

केएल ठाकुर ने सितंबर 2012 में सिंचाई और जन स्वास्थ्य विभाग में एक कार्यकारी अभियंता के रूप में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद, भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और नालागढ़ से जीत हासिल की। 2017 में वह कांग्रेस के लखविंदर सिंह राणा से 1,300 मतों से हार गए। इस बार राणा के कांग्रेस से भाजपा में चले जाने के बाद ठाकुर को टिकट से वंचित कर दिया गया था। ठाकुर ने भाजपा के खिलाफ जनभावना पैदा करने के लिए रैलियां कीं। कांग्रेस ने भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक) के राज्य प्रमुख हरदीप सिंह बावा को अपना उम्मीदवार बनाया है।

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